Thursday, March 28, 2024
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भारत की बेशकीमती सब्जी जिसकी कीमत है 1200 रुपए / प्रति किलो

भारत की बेशकीमती सब्जी खुखड़ी (Khukhadi) जिसकी कीमत है 1200 रुपए प्रति किलो. ये लोगों के बीच काफी पसंद की जाती है इसीलिए बाजार में आते-आते यह सब्जी हाथों-हाथ बिक जाती है. ये सब्जी साल में 2 महीने ही बिकती है. खुखड़ी (Khukhadi) की सब्जी ज्यादार सिर्फ सावन के महीने में बिकती है.

ऐसा बताया जाता है कि सावन के पवित्र महीने में झारखंड की एक बड़ी आबादी चिकन और मटन खाना एक माह के लिए बंद कर देती है तो इसकी सब खुखड़ी (Khukhadi) की सब्जी ही खाते हैं. और आपको ये देश के सिर्फ दो ही राज्य झारखंड और छत्तीसगढ़ में खाने को मिलेगी. खुखड़ी (Khukhadi) की सब्जी में प्रोटीन अत्यधिक मात्रा में मिलता है. इस बेहद कीमती सब्जी को छत्तीसगढ़ में खुखड़ी (Khukhadi) और वहीं झारखंड में इसे रुगड़ा के नाम से जानते हैं.

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इसकी खास बात ये है की खुखड़ी (Khukhadi) को दो दिन के अंदर ही पकाकर खाना होता है, नहीं तो ये सड़ जाती है। खुखड़ी (Khukhadi) की सब्जी मशरूम की ही एक प्रजाति है, जो सिर्फ जंगलों में ही पाई जाती है. ये सफेद रंग का होता है. जो कि जंगल में अपने आप ही उगता है. यही कारण है कि ये इतना महंगा होता है. वैसे तो इस सब्जी की कई प्रजातियां और किस्में होती हैं लेकिन मुख्य तौर पर भुड़ू यानी दीमक द्वारा बनाए जाने वाली खुखड़ी बड़ी महंगी होती है. इसीलिए इसकी मांग भी काफी ज्यादा होती है. इस सब्जी की कुछ-कुछ प्रजातियों की कीमत तो लाखों तक पहुंचती है.

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आमतौर पर खुखड़ी की सब्जी इम्युनिटी बढ़ाती है. इसे औषधीय के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. कई दवाओं को बनाने में भी उपयोग होता है. खुखड़ी की सब्जी मुख्य रूप से ह्रदय रोग, कैंसर, किडनी, डायबिटीज, खून की बीमारी के लिए वरदान माना जाता है.

Anchal Shukla

मैं आँचल शुक्ला कानपुर में पली बढ़ी हूं। AKTU लखनऊ से 2018 में MBA की पढ़ाई पूरी की। लिखना मेरी आदतों में वैसी शामिल है। वैसे तो जीवन के लिए पैसा महत्वपूर्ण है लेकिन खुद्दारी और ईमानदारी से बढ़कर नहीं। वो क्या है कि मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हें याद रखती हूँ, मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहज़े याद रखती हूँ, ज़रा सा हट के चलती हूँ ज़माने की रवायत से, जो सहारा देते हैं वो कंधे हमेशा याद रखती हूँ। कुछ पंक्तिया जो दिल के बेहद करीब हैं। "कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये"

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