Thursday, March 28, 2024
Food Travel

Nagaland Food : नगालैंड का ‘भोजन’, जो ‘चिकन प्रेमियों’ के भी होश उड़ा दे!

Nagaland Food : नगा ( Nagaland People ) धरती पर मौजूद हर उस चीज को खाते हैं जिसमें प्राण हैं. वो कीट पतंगों और कीड़े मकौड़ों ( Nagaland People Food ) तक को नहीं छोड़ते हैं. लेकिन जिस चीज को वो मजे से खाते हैं वो हैं  जंगली जानवर.

वह स्वभाव से ही लड़ाके होते हैं. शिकार करना उन्हें बेहद पसंद है और जंगली जानवरों का मांस उनकी खुशी में चार चांद लगा देता है लेकिन दिल्ली और उत्तर भारत के चिकन प्रेमियों को शायद इसे देखकर उल्टी आ जाए.

चावल-मीट का जोड़ः चावल नगाओं ( Nagaland People ) का प्रमुख भोजन होता है, जिसे वह मीट के साथ खाते हैं. ये मीट मुख्यतः पोर्क, बीफ या चिकन का होता है. लेकिन ये सांप, घोंगे, चूहे, गिलहरी, कुत्ते, बिल्ली, मिथुन (बैल जैसी दिखने वाली एक पशु की प्रजाति), भैंसे, हिरन, मकड़ी, चिड़िया, केंकड़ा, बंदर, मधुमक्खी का लार्वा, झींगा, लाल चींटियां भी बड़े चाव से खाते हैं.

यूं कहें कि वो हर चीज जिसके बारे में उत्तर भारत में रहने वाला मांसाहारी शख्स सोच भी नहीं सकता, उस हर जंगली जानवर ( Nagaland Food  ) को नगा खाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि वे हाथी भी खाते हैं. वे पशु के शरीर के कोई भी अंग बर्बाद नहीं करते हैं. खून, खाल और आंते भी वे खा जाते हैं. खास मौकों पर वे पशुओं की खाल के वस्त्र बनाकर पहन लेते हैं.

शिकार गौरव की बातः एक नगा ( Nagaland People ) शख्स ने अपने अनुभवों को इस तरह से साझा किया. उसने बताया कि हमारे यहां सालभर त्यौहारों का सिलसिला चलता रहता है और कोई भी उत्सव मीट के बिना पूरा नहीं  होता है.

हम सुअरों के, कुत्तों के, बिल्लियों, चिकन और भैंस का मीट खाते हैं ( Nagaland Food  ) लेकिन जंगली जानवरों के मीट को हमेशा महत्व दिया जाता है. उन्होंने कहा कि शिकार एक ऐसी चीज है जिसे नगा सदियों से कर रहे हैं और एक शिकारी कितने जानवरों को मारता है, यह उसके लिए गौरव की बात होती है.

More than 100 Delicious Recipes, Get you eBook Here

नगालैंड में नगाओं की 16 जनजातियां और उप जातियां ऐसी हैं जिनकी पहचान कर ली गई है. इनकी अच्छी खासी आबादी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और पूर्वी म्यांमार में भी है.

जानवरों को मारकर पकाने में ही नहीं बल्कि उन्हें पकाने के तरीके में भी नगा पूर्वोत्तर की बाकी जनजातियों से भिन्न हैं. वह मीट से उठने वाले धुएं को सूंघते हैं और एक विशेष पद्दति का इस्तेमाल कर उसे खुशबूदार बनाते हैं. कुछ मीट पर अनीषी लगाते हैं, जो शकरकंद की पत्तियों से बना होता है. ( Nagaland Food  )

यहां चिकन जैसा है मेढकः नगालैंड में मेढक चिकन की तरह खाया ( Nagaland Food  ) जाता है. ज्यादातर मीट को उबाला जाता है और उचित मसालों के मिश्रण से उन्हें तैयार किया जाता है.

मेढक, मधुमक्खियों के लार्वा और कीड़े मकौड़ों को ड्राई होने तक फ्राई किया जाता है और उनमें अदरक, लहसुन और मिर्च मिलाया जाता है. घोंघे को ढेर सारी मिर्च डालकर पकाया जाता है.

कुत्ते के मीट के लिए अदरक, नगा काली मिर्च और सूखी लाल मिर्च को सबसे अच्छा मसाला माना जाता है. मीट को सलाद और पालक की पत्तियों से भी पकाया जाता है. चिली, भुत झोलोकिया या नगा मिर्चा और बंबू  समान रूप से मशहूर हैं.

हालांकि, यहां ये भी जान लें कि कुत्ते, मेढक, घोंघे, कीट पतंगे या कीड़ों की सभी प्रजातियों का नगा नहीं खाते हैं. नगा कहते हैं  कि मेढक का मीट चिकन जैसा स्वाद देता है. दीमापुर का बुधवार मार्केट यहां की जनजातियों में खासा मशहूर है.

यहां जानवरों, कीड़े मकौड़ों की बड़ी संख्या में बिक्री होती है. एक जीवित कुत्ता 500 से 600 रुपये में यहां बिकता है. मेढक और नदी का घोंघा 200 से 250 रुपये किलो के हिसाब से मिलता है. नदियों में पाए जाने वाले घोंघे, जो आकार में बेहद छोटे होते हैं, उन्हें दाल के साथ पकाया जाता है और खाया जाता है.

यह बाजार हर हफ्ते लगता है. यहां के विक्रेता ज्यादातर स्थानीय लोग ही होते हैं जो स्थानीय फल, जानवर, कीड़े और सब्जियों की बिक्री करते हैं. इसके अलावा पारंपरिक परिधान, हैंडिक्राफ्ट की भी बिक्री यहां होती है. दूरदराज के क्षेत्रों से भी नगा चलकर यहां तक पहुंचते हैं.

आम तौर पर जब एक जानवर को मारा जाता है, उसके खून को एक कटोरे में एकत्रित कर लिया जाता है और इसे तब इस्तेमाल किया जाता है जब वह ठंडा हो जाता है. खून सूखकर पनीर जैसा सख्त हो जाता है और इसे बर्फी की तरह टुकड़ों में काटकर खाया जाता है.

महिलाएं नहीं खा सकतीं बंदरः नगाओं का एक टैबू कुछ जानवरों को खाने ( Nagaland Food  ) को लेकर भी है. वह मानते हैं कि ऐसा /रने से उस जंतु का गुण शख्स में ट्रांसफर हो सकते हैं. एक शख्स ने बताया कि हम महिलाओं को बंदर खाने की इजाजत नहीं देते क्योंकि हम मानते हैं कि ये उन्हें निरंकुश बना देगा.

इस टैबू के बावजूद कई नगा महिलाएं बंदर खाती हैं. यही नहीं, गर्भवती महिलाओं को भालू का मीट खाने की इजाजत नहीं है क्योंकि उसे स्टुपिड जानवर माना जाता है. टाइगर और लेपर्ड को भी नहीं खाया जाता क्योंकि पुरानी मान्यता है कि पुरुष और टाइगर मानवता के उदय से पहले भाई ही थे..

दवा का काम करते हैं जीवः नगा ये भी मानते हैं कि जंगली जानवरों, कीड़ों को खाने से कई बीमारियों का भी खात्मा होता है. किंगफिशर चिड़िया, जो पत्थर खाती है, वह इनमें खासी प्रिय है. एक पुरानी मान्यता है कि गुर्दे से संबंधित रोग में इसका मीट रामबाण दवा है.

मेढक, घोंघे और मधुमक्खी के लार्वा को तब खाया जाता है जब कोई घायल होता है, माना जाता है कि इससे उसकी स्किन और हड्डियां जल्दी हील होंगी. स्थानीय चिकन और पिग्स को गर्भावस्था में खाया जाता है और मान्यता है कि कुत्ते का मीट न्यूमोनिया  में कारगर होता है.

Nilkamal Furniture – Best offers for you

बंदर के मीट को लेकर मान्यता है कि ये शारीरिक कमजोरी और आलस्य को भगाता है. नगाओं के हिसाब से जंगली बकरी हड्डी फ्रैक्चर के वक्त दुरुस्त होने में मदद करती है और एक केंचुआ सांप के कांटने पर राहत देता है.

एक एक्सपर्ट ने बताया कि उनकी मां को जहरीले सांप ने कांट लिया था और वह भयानक दर्द से गुजर रही थीं लेकिन जैसे ही उन्हें केंचुओं से भरा तरल पिलाया गया वह आधे घंटे बाद ही दुरुस्त हो गई.

एक शिक्षक ने बताया कि बुजुर्ग युवाओं को सांप खाने के लिए प्रेरित करते हैं. वे मानते हैं कि सांप खाने से वह उसके जहर से बच सकेंगे. नगाओं की फूड हेबिट्स सदियों से नहीं बदली है. वह मीट को वैसे ही चाहते हैं, जैसा उनके पूर्वज उसे चाहते थे.

सिर्फ एक अंतर ये आया है कि आज की पीढ़ी मसालों का इस्तेमाल करना जान गई है. एक स्थानीय प्रोफेसर से सवाल किया गया कि क्या वह गैंडे का मीट पसंद करेगा, वह हंसा और कहा क्यों नहीं… लेकिन यहां हमें वह मिलता नहीं है.

error: Content is protected !!