Thursday, March 28, 2024
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Difference Between old and New Parliament House : नए संसद भवन और पुराने संसद भवन में क्या है अंतर

Difference Between old and New Parliament House : भारत में नई संसद बनकर तैयार हो चुकी है. नए भवन के निर्माण के साथ ही, संसद भवन के पुराने आर्किटेक्चर से इसके अंतर की बात भी की जा रही है. आइए जानते हैं कि नए और पुराने संसद भवन में क्या फर्क है?

नए संसद भवन कई मामलों में पुराने संसद भवन से अलग है, चाहे डिजाइनिंग की बात हो या सांसदों के बैठने की क्षमता की बात हो, नया संसद भवन काफी बेहतर और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. वहीं पुराना संसद भवन भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का उदाहरण है. आइए जानते हैं कि आखिर नए और पुरान संसद भवन में क्या अंतर है?

पुराने और नए संसद भवन का निर्माण || Construction of old and new parliament building

पुराने संसद भवन का शिलान्यास 12 फरवरी 1921 को किया गया था और 6 साल के बाद 18 जनवरी 1927 को पुराने संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा हुआ. तत्कालीन वायरसराय लार्ड इरविन ने तब संसद भवन का उद्घाटन किया था. नए संसद भवन की बात करें तो 10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी और 28 मई 2023 को उन्होंने इसका उद्घाटन किया. पुराने संसद भवन के निर्माण में 6 वर्ष से ज्यादा का समय लगा जबकि नए संसद भवन के निर्माम में 3 वर्ष से भी कम का समय लगा है.

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लोकसभा में सीटें || Seats in Lok Sabha

नए संसद लोकसभा में 888 सांसदों को समायोजित करने में सक्षम होगी, जो वर्तमान लोकसभा की क्षमता का तीन गुना है. मौजूदा संसद में केवल 543 सांसद ही बैठ सकते हैं.

राज्यसभा में सीटें || Seats in Rajya Sabha

नए संसद भवन की राज्यसभा में भी बैठने की क्षमता अधिक होगी. मौजूदा राज्यसभा में 245 सीटें हैं, जबकि नई राज्यसभा में 384 सीटों का प्रावधान होगा.  भविष्य में राज्यसभा सांसदों की संख्या बढ़ने पर भी सदन में जगह की कमी नहीं होगी.

सेंट्रल हॉल नहीं || No central hall

पुराने संसद भवन के अपोजिट नए भवन में सेंट्रल हॉल नहीं होगा. इसके बजाय, नए संसद भवन में लोकसभा हॉल को ज्वाइंट सेशन को आसानी से एडजस्ट करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है.  यह ज्वाइंट सेशन के दौरान अतिरिक्त कुर्सियों को स्थापित करने की आवश्यकता को समाप्त करते हुए 1,272 लोगों को बैठने में सक्षम होगा.

भूकंप रोधक ||  Earthquake free

यह देखते हुए कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में भूकंप के बढ़ते जोखिम के साथ भूकंपीय गतिविधि के मामले में दिल्ली जोन 2 से जोन 4 में ट्रांसफर हो गया है, इस तरह की घटनाओं का सामना करने के लिए नए संसद भवन का निर्माण किया गया. रहने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे जोन 5 में मजबूत झटके झेलने के लिए मजबूत बनाया गया.

मोर और कमल का फूल थीम || Peacock and Lotus Flower Theme

नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा अलग-अलग थीम प्रदर्शित करेंगे. लोकसभा में राष्ट्रीय पक्षी, मोर को शामिल किया जाएगा, जबकि राज्यसभा में राष्ट्रीय फूल, कमल को उनकी संबंधित संरचनाओं में शामिल किया जाएगा.

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आधुनिक सुविधाएं || Modern Conveniences

2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर देश को उपहार के रूप में नया संसद भवन भारत की आजादी के बाद निर्मित पहला संसद भवन होगा. प्रत्येक सांसद की सीट के सामने एक मल्टीमीडिया डिस्प्ले होगा, जो सदन की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाएगा.

नया संसद भवन स्थिरता और पर्यावरण-मित्रता को प्राथमिकता देगा. हरित निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाएगा और 30 प्रतिशत बिजली की खपत को बचाने के लिए उपकरण लगाए जाएंगे. वर्षा जल संचयन और सौर ऊर्जा उत्पादन प्रणाली लागू की जाएगी. बैठने की व्यवस्था अधिक आरामदायक होगी और निर्माण एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डिजाइन के साथ कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा.

अतिरिक्त समिति कक्ष || Additional committee room

नए संसद भवन में काफी अधिक संख्या में समिति कक्ष शामिल होंगे. ये कमरे परिष्कृत ऑडियो-विजुअल सिस्टम से लैस होंगे, जिससे संसदीय समितियों के सुचारू कामकाज में आसानी होगी.

नए संसद भवन में मीडिया के लिए भी विशेष सुविधाएं होंगी. मीडिया के लिए कुल 530 सीटों की व्यवस्था की जाएगी. दोनों सदनों में आम जनता के लिए संसदीय कार्यवाही देखने के लिए दीर्घाएं होंगी. हर सीट से घर का नजारा साफ नजर आएगा.

सार्वजनिक संसद भवन || Public Parliament House

नए संसद भवन को सार्वजनिक संसद भवन है. बच्चों, बुजुर्गों और विकलांगों का प्रवेश आसान होगा. पब्लिक गैलरी और सेंट्रल कॉन्स्टिट्यूशनल गैलरी तक पहुंचने के लिए आम जनता के लिए दो विशेष प्रवेश बिंदु होंगे. पूर्व के भवन में अग्नि सुरक्षा का समुचित प्रबंध नहीं था. नए भवन में फायर सेफ्टी के बेहतर फीचर होंगे.

Komal Mishra

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