Friday, March 29, 2024
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Mount Everest : ये फैक्ट्स नहीं जानते होंगे आप?

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़ना हर किसी के लिए एक बड़ी बात होती है। ये दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी समुंद्र तल से ऊंचाई 8,850 मीटर है और नेपाल में स्थित है। जिसकी पूरे विश्व में लोकप्रियता है। आज हम आपको माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) से जुड़े कई रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आप शायद नहीं जानते होंगे।

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर्वत को नेपाल के लोग सागरमाथा भी कहते है। ये नाम नेपाल के इतिहासकार बाबुराम आचार्य ने साल 1930 के दशक में रखा था। सागरमाथा का अर्थ होता है – स्वर्ग का शीर्ष। वहीं संस्कृत में एवरेस्ट पर्वट को देवगिरि और तिब्बत में सदियों से चोमोलंगमा यानी की पर्वतों की रानी कहते हैं।

एवरेस्ट पर्वत का नाम इंग्लैड के वैज्ञानिक जार्ज एवरेस्ट के नाम पर रखा गया हैं। जार्ज ने 13 सालों तक भारत की सबसे ऊंची चोटियों का सर्वेक्षण किया था।

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़ाई करने के लिए सबसे अच्छा वक्त मार्च से लेकर मई के बीच में हैं। इस दौरान बर्फ ताजी होती है, बारिश भी बहुत कम होती है। अच्छी घूप की वजह से मौसम भी अच्छा रहता है।

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर अब तक करीब 5 हजार लोग चढ़ाई पूरी कर चुके हैं, जिसमें एक 13 साल का लड़का भी है, एक अंधा शख्स भी है और एक 73 साल की जापानी बुजुर्ग महिला भी है।

एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़ाई करने से पहले नेपाल सरकार को 11 हजार डॉलर जो कि करीब 7 लाख रुपये की फीस देनी होती हैं।

एवरेस्ट (Mount Everest) पर्वत पर गए हर 100 में से 4 लोगों की मौत हुई है। कई तो ऐसे भी है जो पर्वत के शिखर पर पहुंचने के बाद नीचे उतरते समय अपनी जान गंवा बैठे।

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के शिखर पर पहुंचने के जुनुन को लेकर अब तक 200 से जयादा लोग अपनी जान गंवा चुके है। उनकी लाशे आज भी माऊंट एवरेस्ट पड़ी हुई हैं क्योंकि उन्हें इतनी ऊपर से नीचे लाना आसान काम नही है।

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर पड़ी हुई लाशे जल्दी खत्म नही होती। कई बार तो चढ़ाई करने वाले इन लाशों पर पैर रखकर ऊपर चढ़ने या नीचे उतरने का सफ़र तय करते है।

एवरेस्ट (Mount Everest) पर सबसे ज्यादा मौते शिखर के करीब के हिस्से में होती है जिसे डेथ जोन भी कहा जाता है। लोग अकसर चढ़ाई करने के समय गलती करके अपनी जान गंवा बैठते है।

एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी तक पहुंचने के लिए 18 अलग अलग रास्ते हैं।

एवरेस्ट (Mount Everest) पर 120 टन कचरा मौजूद है इसमें ऑक्सीजन टैंक, टेंट आदि सामान शामिल है। साल 2008 से 2011 तक एवरेस्ट पर चलाए सफाई अभियान में 400 किलोग्राम कचरा हटा दिया गया।

एवरेस्ट (Mount Everest) हर साल 2 सेंटीमीटर की दर से ऊंचा हो रहा है।

जॉर्डन रोमेरो दुनिया के सबसे छोटे इंसान है जिन्होंने एवरेस्ट (Mount Everest) की चढ़ाई की तो वहीं यूइचिरो मियूरा दुनिया के सबसे बड़े इंसान है जिन्होनें एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की। इन्होनें ये कारनामा 13 और 80 साल की उम्र में किया है। वहीं भारत की मालवथ पूर्णा सबसे कम उम्र की लड़की है जिन्होंने एवरेस्ट की चढ़ाई की है।

एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी पर चढ़ने के लिए 2 महीने का समय लगता है और एक आदमी का खर्च लगभग 80 लाख रूपए आता है। इसमें नेपाल की हवाई यात्रा भी शामिल हैं।

एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी से नीचे उतरने के लिए 3 दिन का समय लगता है लेकिन 2011 में 2 नेपाली लोगों ने पैरागलाडिंग की सहायता से मात्र 48 मिनट में नीचे उतर आए थे।

एवरेस्ट (Mount Everest) पर पहली बार चढ़ाई साल 1953 में एडमंड हिलारी (न्यूजीलैंड) और तेंजिंग नॉरगे (नेपाल) ने की थी।

साल 1975 में पहली बार किसी महिला ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी। जपान की रहने वाली जुंको ताबेई ने ये काम किया था।

नेपाल के पेम दोरजी और मोनी ने साल 2005 में एवरेस्ट पर शादी की थी।

भारत की रहने वाली ताशी और नौग्शी मलिक जुड़वा बहनों ने साल 2013 में चढ़ाई की थी।

नेपाल के आपा शेरपा और फुरबा ताशी ने एवरेस्ट (Mount Everest) की सबसे ज्यादा बार (21) चढ़ाई की है।

Taranjeet Sikka

एक लेखक, पत्रकार, वक्ता, कलाकार, जो चाहे बुला लें।

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