Thursday, March 28, 2024
Travel Tips and Tricks

Bageshwar Travel Guide – बागेश्वर टूरिज्म, ट्रैवल Tips, कैसे पहुंचें

बागेश्वर (Bageshwar) हिमालय का एक खूबसूरत गहना है, जो कि बर्फीली घाटियों, पहाड़ और आरामदायक मौसम के लिए जाना जाता है। एक शानदार छुट्टी के लिए ये जगह एक आदर्श विकल्प है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव यहां पर बाघ के रूप में रहने आए थे। यही कारण है कि इस शहर को बागेश्वर (Bageshwar) कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘बाघ की भूमि’। उत्तराखंड के अन्य आकर्षणों की तरह यहां पर भी कई प्राचीन मंदिर मौजूद हैं। इनके अलावा ये पर्वतीय स्थल अलग अलग तरह की वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय देता है। प्राकृतिक स्थलों के अलावा आप यहां पर एडवेंचर का रोमांचक मजा भी ले सकते हैं।

जानिए यहां के चुनिंदा दर्शनीय स्थलों के बारे में, जो आपकी बागेश्वर यात्रा को सुखद बना सकते हैं।

पिंडारी और सुन्दरढूंगा ग्लेशियर (Pindari and Sunderdhunga Glacier)
यदि आप एक साहसिक ट्रैवलर हैं, तो पिंडारी और सुन्दरढूंगा ग्लेशियर ट्रेकिंग का रोमांचक आनंद जरूर लें। पिंडारी ग्लेशियर की यात्रा सुन्दरढूंगा ग्लेशियर से ज्यादा आसान मानी जाती है। ये दोनो ही जगह रोमांचक ट्रेकिंग के लिए मशहूर हैं, जो कि दूर-दराज के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम करते हैं। पिंडारी ग्लेशियर 3353 मीटर की ऊंचाई के साथ नंदा देवी के किनारे स्थित है। वहीं सुन्दरढूंगा ग्लेशियर पिंडारी के दूसरी तरफ स्थित है। ये दोनों की पर्वतीय बिंदु हिमालय के अद्भुत दृश्य पेश करने का काम करते हैं।

बागनाथ मंदिर (Bagnath Temple Bageshwar)
बागनाथ मंदिर वास्तव में यहां का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जहां से इस शहर को नाम मिला है। ये गोमती और सरयू नाम की दो पवित्र नदियों के संगम स्थल पर स्थित है। बागनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और ये वो स्थान है जहां पर वो ध्यान लगाया करते थे। ये एक प्राचीन मंदिर है जिसका निर्माण 1450 में कुमाऊं के राजा लक्ष्मी चंद ने करवाया था। यहां पर आने का सबसे अच्छा समय शिवरात्रि के वक्त पर है। इस दौरान दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पर जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं।

बैजनाथ (Baijnath)
बागनाथ मंदिर के अलावा आप यहां बैजनाथ मंदिर के दर्शन का भी प्लान बना सकते हैं। बागेश्वर से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो कि अपनी प्राचीन मूर्तियों के लिए जाना जाता है। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि बैजनाथ 7वीं से 11वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास कत्यूरी राजवंश की राजधानी हुआ करता था, जिसका शुरुआत में नाम कार्तिकेयपुर था। बैजनाथ मंदिर भी कत्यूरी राजाओं के द्वारा ही बनवाया गया था, जिसमें भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान ब्रह्मा और विभिन्न हिंदू देवताओं की मूर्तियों को स्थापित किया गया था।

चंडिका मंदिर (Chandika Mandir)
आप यहां पर चंदिका मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। चांदिका मंदिर हिंदू देवी चंडीका माई को समर्पित है जो कि मां काली का ही एक रूप हैं। ये मंदिर बागेश्वर से केवल आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर नवरात्रों के दिनों में श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा लगता है। इसके अलावा चंडिका मंदिरा स्थानीय लोगों के लिए एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव के लिए आप यहां की यात्रा कर सकते हैं।

कौसानी (Kausani)
आप बागेश्वर से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कौसानी की यात्रा भी कर सकते हैं। कौसानी की प्राकृतिक खूबसूरती को देखते हुए इसे भारत का स्विट्ज़रलैंड भी कहा जाता है। साल 1929 में यहां की यात्रा के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस स्थल को स्विट्जरलैंड कहकर सम्मानित किया था। कौसानी प्राचीन परिदृश्य के साथ शानदार घाटियां और सुरम्य हरियाली के लिए जाना जाता है। अगर आप प्राकृतिक सौंदर्यता का जी भरकर आनंद उठाना चाहते हैं तो यहां जरूर आएं।

बागेश्वर कैसे पहुंचे
बागेश्वर उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से आसानी से जुड़ा हुआ है और यहां पर आप सड़क, ट्रेन और फ्लाइट तीनों के जरिये पहुंच सकते हैं। अगर आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो पंतनगर हवाईअड्डा सबसे पास पड़ेगा जो कि इस जगह से 180 किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन पंतनगर से आपको यहां के लिए सीधे टैक्सी और बसें मिल जाएंगी। वहीं अगर आप ट्रेन के जरिये आना चाहते हैं तो काठगोदाम सबसे नजदीक पड़ेगा जो कि 150 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से भी आपको सीधा बस और कैब मिल जाएगी, जो बागेश्वर पर आपको छोड़ देगी। इसके अलावा उत्तराखंड की साधारण बसें भी आपको यहां पर पहुंचा देंगी। नैनीताल, अलमोड़ा, जैसे बड़े शहरों से बसें और कैब यहां के लिए चलती है।

 

Taranjeet Sikka

एक लेखक, पत्रकार, वक्ता, कलाकार, जो चाहे बुला लें।

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