Thursday, March 28, 2024
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पुरानी Delhi में स्थित धरमपुरा की वो हवेली, जिसे विजय गोयल ने बदल डाला

नई दिल्ली. शहरों को अक्सर आदत होती है सब कुछ निगल जाने की, और नया भूगोल बनाते हुए सबसे पहले वो अपना अतीत भूलते जाते हैं। लेकिन कुछ ईंटे पुरानी बची रह जाती हैं, कुछ गलियां संभाल ली जाती हैं और कुछ पुराने आंगन भी वक़्त रहते या तो बचा लिए जाते हैं या फिर से बना लिए जाते हैं। लेकिन वही ऐसा करते हैं जिन्हें बीते हुए दिनों की या तो कसक रह जाती है या फिर उस पुराने गौरव को लौटा लाने की बेचैनी होती है।

चांदनी चौक में 200 साल पुरानी हवेली, old Delhi पुरानी दिल्ली की सकरी गली में मौजूद हैं। विजय गाोयल ने इस हवेली को हेरीटेज इंडिया फाउंडेशन से खरीदा था और इसकी मरम्मत करवाई थी। इस हवेली की खास बात यह है कि यहां हर छोटी बड़ी चीज मुगलों के जमाने की है जो अपने आप में बेहद खूबसूरत है। एक पुरानी हवेली की भुरभुराती दीवारों को संभाल लेने की कशिश हवेली धरमपुरा के रूप में सामने है।

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The Haveli of Dharampura, located in Old Delhi
The Haveli of Dharampura, located in Old Delhi

जामा मस्जिद के इर्द-गिर्द माह-ए-रमज़ान की रौनक को चीरते हुए हम गली गुलियान की तरफ बढ़ रहे थे। गलियों से गुजरते हुए, एक-एक कर कई पुरानी इमारतों को पार करते हुए एकाएक हवेली धरमपुरा के सामने पहुंचकर ठिठके थे। आसपास की दूसरी इमारतों के बीच इस रेस्टोर्ड हवेली को पहचानने के लिए निगाह आसमान तक उठानी होती है, वरना आप इसके सामने से भी गुज़र जाओगे बगैर यह जाने कि एक खास हवेली वहां है।

मेरे ख्याल से रेस्टोरेशन का सौंदर्य भी इसी में है कि इस एक इमारत का बाहरी पहलू भी आसपास की दूसरी इमारतों जैसा ही रखा गया है। आंगन पार करते हुए लाखोरी रेस्टॉरेंट है। छोटी-छोटी, पतली, गुजरे दौर की लाखौरी ईंटों के नाम पर बने रेस्टॉरेंट में अपनी थकान छोड़ने के बाद दरों-दीवारों को करीब से देखने हम पहली मंजिल पर पहुंच चुके थे।

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इतिहास के ज़र्द पन्नों से झांकती हवेली की मौजूदा शानो-शौकत

राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने इस हवेली को खरीदा था तब इस हवेली में एक या दो नहीं बल्कि 61 परिवार बसे थे। इन बाशिन्दों ने अपनी-अपनी जरूरत के मुताबिक जाने कितनी दीवारें हवेली के सीने पर तान दी थीं जिनसे असल दीवारें ढक गई थीं। हवेली को पुरानी शानोशौकत में लाने की मुहिम शुरू हुई तो इन बाद के निर्माणों को ढहाया गया, नीचे से जो मूल स्ट्रक्चर निकला उसे वैसे ही रखा गया। फूलों की कारीगरी वाले मूल खंभे और लाखौरी ईंटों की भव्यता को लाखौरी रेस्टॉरेंट में आज भी देखा जा सकता है।

The Haveli of Dharampura, located in Old Delhi
The Haveli of Dharampura, located in Old Delhi

हेरिटेज फाउंडेशन के साथ मिलकर आठ साल हवेली को उसका पुराना गौरव लौटाने का काम जारी रहा। आज वो गौरव लौटा है नई आधुनिक सुख-सुविधाओं के साथ। मसलन, ऊपरी मंजिलों पर जाने के लिए लिफ्ट है, यह अलग बात है कि हम तो उन्हीं सीढ़ीदार रास्तों से चढ़े थे जिनमें असल रोमांस छिपा होता है ।

हेरिटेज हवेली में रहने का खर्च

हवेली में कुल जमा 13 गैस्ट रूम/स्वीट्स हैं। हेरिटेज ट्रैवलर्स के लिए दिल्ली शहर के सीने में छिपा एक खूबसूरत नगीना है हवेली धरमपुरा। डॉलर में भुगतान करना हो तो 9000/रु से 18000/रु हर दिन के खर्च पर उपलब्ध हवेली का शाहजहां स्वीट / झरोखा रूम / दीवान-ए-खास रूम कोई मंहगा नहीं लगता।

स्टे के साथ हेरिटेज, पतंगबाजी और किसी शाम कत्थक का आयोजन पैकेज में हो तो मसला समझ आता है। बहरहाल, हम हिंदुस्तानी जमा-खर्च वाले मेहमानों के लिए टैरिफ यकीनन मंहगा ही गिना जाएगा।

हवेली में है लखौरी रेस्टोरेंट

इस हवेली में अब एक हेरिटेज बुटिक होटल शुरू किया गया है, जिसमें चांदनी चौक की तमाम खासियतों को ध्यान में रखकर इंटीरियर बनाया गया है। लखोरी ईंटों से बने हॉल को रेस्टोरेंट बनाया गया है। चांदनी चौक की सभी पुरानी इमारतें इन्हीं लखौरी ईंटों से बनी है. यही नहीं रेस्टोरेंट का नाम भी ईंट के नाम पर लखौरी रेस्टोरेंट रखा गया है।

The Haveli of Dharampura, located in Old Delhi
The Haveli of Dharampura, located in Old Delhi

इस हवेली के सूरत बदलने के बाद अब चांदनी चौक की तमाम हवेलियों के दिन फेरने की चर्चा फिर से गरम हो सकती है, क्योंकि इसी काम के लिए पहले सरकार शाहजहांनाबाद रिडेवलपमेंट अथॉरिटी बना चुकी है।

ऐसे जाएं धरमपुरी की हवेली

हवेली धरमपुरा पहुंचने के लिए जामा मस्जिद अहम् लैंडमार्क है। मस्जिद के गेट नंबर 3 से यही कोई 3-4 मिनट में पैदल हवेली तक पहुंचा जा सकता है। बस, यही याद रखना होता है हेरिटेज में तब्दील हो चुके ठिकानों को ठहरने के लिए चुनते हुए। ये कोई दिल्ली के दिल में खड़ा मेरिडियन या शांगरी ला नहीं है जिसके ऐन दरवाजे तक आपकी एंट्री गाड़ी से होगी। जामा मस्जिद पार्किंग पर गाड़ी खड़ी करें और चले जाएं उस भीड़-भाड़ (रौनक) को चीरते हुए जिसे पुरानी दिल्ली Delhi कहते हैं।

Komal Mishra

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