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Rampuria Haveli Bikaner: महाभारत के वक्त से जुड़ा है बीकानेर की इस जगह का इतिहास

बीकानेर राजस्थान के चुनिंदा सबसे खूबसूरत और समृद्ध शहरों में गिना जाता है। पर्यटन के लिहाज से ये शहर भारत के मुख्य आकर्षणों में शामिल है। इतिहास के पन्नों को खंगाल कर देखें तो पता चलता है कि इस शहर का इतिहास महाभारत के वक्त से जुड़ा हुआ है, तब इसे जांगल देश के नाम से पहचाना जाता था। जांगल देश में बीकानेर के साथ-साथ जोधपुर का उत्तरी भाग भी शामिल था। राजस्थान के बाकी समृद्ध शहरों की तरह ही इस शहर का भी अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है, जिसे बसाने का श्रेय राव बीका को दिया जाता है। आज ये शहर राज्य के प्रमुख प्रयटन स्थलों में गिना जाता है, जहां की ऐतहासिक हवेलियों को और राजशाही परिवेश को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानी यहां तक का सफर तय करते हैं।

बीकानेर की हवेलियों में आप रियासतकाल के बड़े रसूखदारों और उद्योगपतियों की झलक देख सकते हैं। राजा-महाराजाओं के बड़े महलों और किलों से अलग इन हवेलियां की भव्यता में किसी तरह की कमी नहीं है। बड़े भू-भाग पर बनी ये ऐतिहासिक संरचनाएं अपनी खूबसूरती के लिए आज भी जानी जाती हैं। आपको यहां पर कई तरह की हवेलियां दिखेंगी लेकिन ज्यादातर लाल रंग में रंगी होंगी। ऐसा कहा जाता है कि राजस्थान की हर एक ईंट में कुछ ना कुछ इतिहास छिपा हुआ है।

ऐसी ही एक हवेली है बीकानेर की रामपुरिया हवेली। ये पुराने बीकानेर की पतली गलियों में स्थित एक खुबसूरत हवेली है जो कि लगभग 100 साल पहले लाल बलुआ पत्थर से बनाई गई थी और उस समय के सबसे अमीर उद्योगपतियों में से एक रहे रामपुरिया परिवार के रहने की जगह भी थी। आज के दिन जब हम इन शांत हवेलियो के पास से गुजरते है तो एक प्राचीन यूरोपियन शहर का अनुभव होता है, जहां पर एक तरफ ये हवेली अपनी खूबसूरती से आपका मन खुश कर देती है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ दशकों से हो रहा इनका पतन आपको दुखी भी कर देगा।

रामपुरिया हवेली के बारे में कई कहानियां सुनी जाती है। लेकिन एक कहानी जो काफी प्रचलित है वो साल 1920 की है, बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह गंग नहर का निर्माण करवा रहे थे ताकि उनकी रियासत की प्रजा को खेती के लिए पानी मिल सके। इस नहर के निर्माण में काफी पैसा खर्च हुआ तो महाराजा ने भंवर लाल रामपुरिया नाम के एक अमीर उद्योगपति से एक बड़ी रकम कर्ज में मांगी और बदले में उन्हें हवेली दे दी थी। साल 1925 तक ये हवेली बनकर तैयार हुई, इस हवेली का नाम यहां पर रहने वाले रामपुरिया परिवार की वजह से ही पड़ा बाकी इसका असल नाम कुछ और ही था।

बीकानेर की हवेलियों में आप सबसे खास रामपुरिया हेवली को देख सकते हैं। इस खूबसूरत हवेली को बीकानेर का गौरव भी कहा जा सकता है। रामपुरिया हवेली पुराने वास्तुकला और भव्यता का एक उत्कृष्ट मिश्रण है। लाल बलुआ पत्थरों में बनी ये हवेली बीकानेर की ऐतिहासिक संरचनाओं में एक जीवंत रूप मानी जाती है। बीकानेर घूमने आए लोगों के बीच में ये हवेली काफी खास माना जाती है। यहां पर आए देशी-विदेशी पर्यटक इस हवेली को अपने कैमरे में कैद करना ज्यादा पसंद करते हैं। रामपुरिया हवेली की वास्तुकला की अगर बात करें तो भारतीय शैली में बने छज्जे खूबसूरती में चार चांद लगाते है, पत्थर पर लयदार जाली का आभास कराती पतली नक्काशी पहले मध्य एशिया की कलाकृति की देन थी लेकिन आज के दिन में ये भारतीय वास्तुकला का हिस्सा बन गई है।

हवेली में लगे रंगीन कांच, प्रतिमाएं और मेहराब यूरोपियन शैली का जीता जागता उदाहरण है। हवेली के प्रवेश द्वार पर हिन्दू देवताओं के चित्र और प्रतिमाएं लगी है जबकि बाहरी दीवारों पर कुछ फिरंगी हस्तियों के चित्र बने हैं जिनमें से एक चित्र किंग जॉर्ज का भी है। हवेली के आसपास कुछ छोटी हवेलियां भी हैं, जिनमे आज भी कुछ व्यापरियों के परिवार रहते है। ऐतिहासिक सरंचनाओं को देखने के लिए बीकानेर एक खास जगह है, आप यहां पर ऑन सीजन या ऑफ सीजन कभी भी आकर हवेलियों का दीदार कर सकते हैं।

रामपुरिया हवेली को देखने जाने के लिए सबसे अच्छा वक्त सुबह जल्दी का है, क्योंकि उस वक्त इस इलाके की तंग गलियां खाली रहती है और आप अच्छे से हवेली की तस्वीर ले सकते हैं। गौरतलब है कि अगर आप शाम के वक्त यहां पर पहुंचेंगे तो उस वक्त सूरज की उतरती किरणें हवेली का रंग बदल देती थी। गली में पहला कदम रखते ही आपको आभास होगा कि मानो प्राचीन यूरोप के किसी शहर में है, हवेली की दीवारों पर अंग्रेजी वास्तुकला के साथ भारतीय कला का मिश्रण साफ नजर आता है।

फोटोः अनुराग जाजू

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