Friday, March 29, 2024
Travel Blog

Singapore Diary-8: जब ड्राइवर ने की तारीफ, दिल को छू गए शब्द

Singapore Travel, Singapore Travel Destinations, Singapore Travel Place, Singapore Night Safari, Sightseening in Singapore, Tour of Singapore

आज सिंगापोर में चौथे दिन ही मुझे भारत की याद सताने लगी थी। बाजार से होटल लौटते वक्त सोचा कि टैक्सी कर ली जाये। सिंगापोर में टैक्सी सहज ही उपलब्ध है। हर खाली टैक्सी पर फ़्लैश लाइट से ‘टैक्सी’ लिखा होता है और अगर उसमें सवारी होती है तो ‘हायर्ड’ लिखा होता है। ऐसे ही एक अँगरेज़ टैक्सी वाले को रोककर मैंने उनसे अपने होटल का नाम लेकर अनुमानित किराया पूछा तो उसने पहले ‘ट्वेल्व’ कहा। फिर झट से बोला ‘बारह’। हम उसकी टैक्सी में बैठ गए। पर खोजी पत्रकार मन कहाँ चैन से बैठने वाला था तो टैक्सी में बैठते ही ड्राइवर से उसका नाम पूछा तो उसने विलियम बताया। फिर उससे ‘बारह’ बोलने का राज़ पूछा तो वो बोला कि मैंने ऐसे ही 20 तक की हिंदी गिनती सीख ली पर इसके अलावा उसे हिंदी का एक अक्षर नहीं आता था।

उसने मुझसे पूछा कि कैसा लगा हमारा सिंगापोर तो मैंने उससे कहा कि मुझे यहाँ के लोग थोड़े ‘सेल्फ सेंटर्ड’ लगे तो वह झट से बोला कि नहीं,यहाँ के लोग तो बड़े मददगार है। होटल पहुँचने पर हमने उसे मीटर के हिसाब से पैसे दिए तो उसने बाकी बचे पैसे चिल्लड़ समेत हमें लौटा दिए। चलते चलते उसने मुझसे कहा कि मुझे आपसे मिलकर एक अलग सा अपनापन महसूस हो रहा है। आप बहुत अच्छी हैं। ईश्वर आपका भविष्य उज्जवल करे। उसके शब्द मेरे मन को छू गए। मैंने भी उसे मन से दुआएं दी। अरे हाँ, सिंगापुर के बाजार में मैंने ‘द पॉन शॉप’ भी सच में देखी वरना तो इसे मैंने हमेशा  ‘हिस्ट्री टीवी’ के कार्यक्रम में ही देखा था।

शाम को नियत समय पर माइक हमे क्रूज पर ले जाने के लिए आ गया। होटल की लॉबी में कुछ भारतीय और विदेशी सोफों पर पसरे पड़े थे। मैं होटल से जा रही थी और वे अभी आये थे। होटल छोड़ते वक़्त मन को कुछ कुछ हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि इस जगह फिर दुबारा न जाने कब आना होगा। जाते वक़्त मैंने हाथ हिला कर सिंगापोर के उस हिस्से को गुड बाय कहा और क्रूज के लिए रवाना हो गयी। करीब आधे घंटे बाद माइक ने हमे क्रूज जैमिनी के लिए ‘हार्बर फ्रंट’ पोर्ट पर छोड़ दिया। जाने से पहले माइक ने हमे क्रूज़ जैमिनी दिखाते हुए कहा कि ये आपका क्रूज है। उसकी एक झलक देखते ही मैं भौचक्की सी रह गयी। वो बहुत ही बड़ा, शानदार और सुन्दर था। मुझे सब कुछ सपने सा लग रहा था।

मेरा मन क्रूज को अंदर से देखने को मचलने लगा था। सी पोर्ट भी मैंने पहली बार देखा था। वो बहुत ही शानदार था। बिलकुल एयरपोर्ट जैसा। यहाँ भी बड़े बड़े स्क्रीन्स पर फ्लाइट्स की तरह स्टीमर्स, फेयरी और क्रूज का डिपार्ट और अराइवल टाइम लिखा था। हमे रात 8.30 बजे क्रूज में एंट्री करनी थी। इसे रात 12 सिंगापोर से चलना था और अगले दिन सुबह 9 बजे मलेशिया के मलक्का पोर्ट पर लंगर डालना था। फिर शाम को 7 बजे वापिस सिंगापोर के लिए चल देना था और अगले दिन दोपहर 12 बजे वापिस सिंगापोर आना था। चूँकि क्रूज जैमिनी सप्ताह में एक ही दिन (बुधवार) को चलता है इसलिए पोर्ट पर क्रूज जैमिनी पर चढ़ने वालों की ज़बरदस्त भीड़ थी जिसमे 90% भारतीय थे। उसमे भी गुजरती बड़ी संख्या में थे जो ज्यादातर ग्रुप में आये हुए थे। यहाँ आकर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि मैं विदेश में हूँ।

जैसे हवाई ज़हाज़ में चढ़ने से पहले होता है वैसे ही यहाँ भी हम सबकी और हमारे सभी कागज़ातों की सघन जांच हुई। यहाँ भी इमिग्रेशन का ग्रीन चैनल पार करना था। हमें रूम नंबर और डेक नम्बर दे दिए गए और हमारा सामान भी क्रूज अथॉरिटीज ने ले लिया। अब हम फ्री थे। हमें थोड़े देर इंतज़ार करने को कहा गया। क्रूज पर जाने वाले करीब 1500 पैसेंजर्स थे लेकिन सभी को क्रूज अथॉरिटीज अच्छे ढंग से  नियंत्रित कर रही थी। नियत समय पर हम सभी को कैरेज वे से क्रूज पर ले जाया गया। पोर्ट और क्रूज के बीच बने उस अस्थाई  पुल से समुन्दर दिख रहा था। कैरेज वे से क्रूज पर जाते हुए मैं बहुत रोमांचित थी।     


Parul Jain

घुमन्तु स्वतन्त्र पत्रकार और मीडिया एजुकेटर

error: Content is protected !!