Friday, March 29, 2024
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Mallikarjun Jyotirlinga और Srisailam Mandir : नाराज कार्तिकेय को मनाने यहीं आए थे शिव-पार्वती

Srisailam Temple |  Srisailam Mandir | Mallikarjun Jyotirlinga | श्रीशैलम मंदिर या मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की गिनती देश के प्राचीनतम और ऐतिहासिक महत्व वाले मंदिरों में होती है. ये मंदिर हैदराबाद के प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हैं. इस मंदिर का नाम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भी है. लेकिन ये मंदिर Srisailam Mandir के नाम से मशहूर है. अगर ये नाम आपके लिए नया है तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप आसानी से इस मंदिर की खासियत और किन कारणों से ये मंदिर प्रसिद्ध है ये जान जाएंगे.

आपकों बता दें ये मंदिर पहाड़ों और वादियों के बीच बसा है और आंध्र प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. यहां की खासियत इस मंदिर के साथ-साथ Srisailam Temple से पहले पड़ने वाले नागुर्जन बांध (Nagarjuna Dam) के कारण भी है जिसे देखते हीआप तरोताजा हो जाएंगे और ये सफर आपके लिए यादगार बन जाएगा.

कैब का सफर मजेदार और आरामदायक ( How to reach SriSailam Mandir or Mallikarjun Jyotirlinga )

अगर आप तेलंगाना या आंध्र प्रदेश में रह रहे हैं तो आप बस से या कैब से आसानी से पहुंच सकते हैं. यदि आप इन दोनों राज्य में नहीं रह रहे तो आप फ्लाइट से हैदराबाद तक का सफर तय कर लें. इसके बाद आप सुबह चार बजे Srisailam Temple के लिए कैब बुक करके निकल जाए. कैब का सफर आपके लिए आरामदायक रहेगा.

नागुर्जन डेम जरूर देंखे ( Nagarjuna Dam, a must see place )

साथ ही आप Srisailam Temple तक पहुंचने से पहले अपने समय और इच्छा के मुताबिक नागुर्जन डेम का लुत्फ उठा सकते है. ये सुविधा आपको बस में नहीं मिलेगा. कैब के सफर से आप लगभग 6 घंटे में एयरपोर्ट से Srisailam Mandir पहुंच जाएंगे. ये सफर थोड़ा लम्बा है, लेकिन दिलचस्प भी है. कैब के खर्च की बात करें तो 10 हजार रुपये तक आपका खर्च होगा. इसमें आपका आना जाना दोनों ही आसानी से हो जाएगा. यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन मर्कापुर रोड है, जो श्रीसैलम ( Srisailam ) से 62 किलोमीटर की दूरी पर है

 Srisailam Temple की खासियत ( why Srisailam Temple or Mallikarjun Jyotirlinga is so famous )

अब बात करते हैं इस मंदिर के खासियत की. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ( Mallikarjun Jyotirlinga ) मंदिर एक हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है. यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर श्रीसैलम नाम के पर्वत पर, आंध्र प्रदेश में स्थित है. मल्लिकार्जुन मंदिर ( Mallikarjun Mandir ) में स्थित ज्योति लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है. 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ( Mallikarjun Jyotirlinga ) को दूसरा ज्योतिर्लिंग माना जाता है. ‘मल्लिका’ माता पार्वती का नाम है, जबकि ‘अर्जुन’ भगवान शंकर को कहा जाता है. यहां भगवान शिव की पूजा मल्लिकार्जुन ( Mallikarjun ) के रूप में की जाती है और लिंगम द्वारा इसका प्रतिनिधित्व किया जाता है.

पढ़ें : Janaki Temple in Nepal : जहां से जुड़ी हैं रामायण की जड़ें, क्यों कहते हैं नौलखा मंदिर?

भगवान शिव की पत्नी पार्वती को भ्रामम्बा के रूप में चितित्र गया है. यह मंदिर 183 मीटर (600 फीट) की ऊंचाई वाली 152 मीटर (49 9 फीट) और 8.5 मीटर (28 फीट) की ऊंचाई वाली दीवारों से बना हुआ है. इस मंदिर की दीवारों पर कई मूर्तियां बनी हुई है. इस मंदिर का आधुनिक परिर्वतन विजयनगर साम्राट के राजा हरिहर के समय में किए गए थे.

स्कंद पुराण में श्री शैलकाण्ड नाम का अध्याय है. इसमें मंदिर का वर्णन है. इससे इस मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है. तमिल संतों ने भी प्राचीन काल से ही इसकी स्तुति गाई है. कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने जब इस मंदिर की यात्रा की, तब उन्होंने शिवनंद लहरी की रचना की थी.

 Srisailam Temple से जुड़े शिव माता पार्वती की कहानी ( Shiva Parvati story related to SriSailam Mandir or Mallikarjuna Jyotirlinga )

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव के दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश विवाह के लिए आपस में कलह कर रहे थे.

कार्तिकेय के अनुसार वह बड़े है इसलिए उनका विवाह पहले होना चाहिए किन्तु गणेश अपना विवाह पहले करना चाहता थे.

इस कलह को खत्म करने के लिए भगवान शिव और पार्वती ने दोनों को पृथ्वी के 7 बार परिक्रमा करेने के लिए कहा. जो पहले ऐसा करेगा उसका विवाह पहले होगा ये बात कही.

यह सुन कर कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए. लेकिन गणेश बुद्धिमान थे, उन्होंने अपनी बुद्धि का प्रयोग कर भगवान शिव और माता पार्वती को एक आसन पर बैठने के लिए कहा.

गणेश ने अपने माता-पिता के 7 बार परिक्रमा कर पृथ्वी की परिक्रमा से प्राप्त होने वाले फल की प्राप्ति के अधिकारी बन गए.

उनकी चतुर बुद्धि को देख कर शिव और पार्वती दोनों काफी खुश हुए और उन्होंने श्रीगणेश का विवाह कार्तिकेय से पहले करा दिया.

कार्तिकेय वापस लौटे गणेश का विवाह हो चुका था

जब तक स्वामी कार्तिकेय सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके वापस आए, उस समय तक श्रीगणेश जी का विवाह विश्वरूप प्रजापति की पुत्रियों सिद्धि और रिद्धि के साथ हो चुका था, जिनसे उन्हें ‘क्षेम’ तथा ‘लाभ’ नामक दो पुत्र भी प्राप्त हो चुके थे.

कार्तिकेय ने शिव लोक छोड़ दिया

देवर्षि नारद ने स्वामी कार्तिकेय से यह सारा वृतान्त बताया. श्रीगणेश का विवाह और उन्हें पुत्र लाभ का समाचार सुनकर स्वामी कार्तिकेय नाराज हो गये. इस प्रकरण से नाराज कार्तिक ने शिष्टाचार का पालन करते हुए अपने माता-पिता के चरण छुए और वहां से चले गए.

कार्तिकेय क्रौंच पर्वत पर रहने लगे

माता-पिता से अलग होकर कार्तिकेय क्रौंच पर्वत पर रहने लगे. माता पार्वती पुत्र स्नेह से व्याकुल थी, इसलिए भगवान शिव जी को लेकर क्रौंच पर्वत पर पहुंच गईं. कार्तिकेय को क्रौंच पर्वत पर अपने माता-पिता के आगमन की सूचना मिल गई और वे वहां से 36 किलोमीटर दूर चले गये.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ ( Story of Mallikarjun Jyotirlinga )

कार्तिकेय के चले जाने पर भगवान शिव उस क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गये. तभी से वे ‘मल्लिकार्जुन’ ज्योतिर्लिंग ( Mallikarjun Jyotirlinga ) के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इस प्रकार सम्मिलित रूप से ‘मल्लिकार्जुन’ नाम उक्त ज्योतिर्लिंग का जगत में प्रसिद्ध हुआ.

अगर आप हैदराबाद आएं तो थोड़ा ज्यादा समय निकालकर Srisailam Temple के दर्शन जरूर करें. आपका मन पावन हो जाएगा. साथ ही वादियों के बीच बसा यह मंदिर क्यों विश्व प्रसिद्ध है ये भी आप जान जाएंगे.

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Sonal Singh

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