Thursday, March 28, 2024
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सावन 2020 : सोमवार के दिन कर लें Trimbakeshwar Jyotirlinga के दर्शन, जानें क्या है महिमा

सावन का पवित्र महीना शिव जी के नाम से जाना जाता है। आज से ही शिव भक्त भोले की भक्ति में मग्न दिखेंगें। लोग व्रत रखेंगें, पूजा अर्चना में लीन रहेंगें। जब शिव जी की बात हो तो भला शिव ज्योतिर्लिंग का बखान ना हो भला ऐसा कैसे हो सकता है। तो आज हम त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग ( Trimbakeshwar Jyotirlinga) के बारे में आओको कुछ रोचक बातें बताएंगें। श्री त्र्यंबकेश्वर भगवान का मंदिर ( Trimbakeshwar Jyotirlinga ) नासिक जिले में स्थित है। त्रियंबकेश्वर मंदिर भगवान शिव के उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसे भारत में सबसे अधिक पूजा जाता है। लोग दूर-दूर से इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं। यहीं के ब्रह्म गिरि नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम भी हुआ है। ऐसा माना जाता है कि गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की तभी से ये मंदिर त्र्यम्बकेश्वर के नाम से विख्यात हुआ।

यहां होते हैं गोदावरी के दर्शन

शिवपुराण के अनुसार ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिये यहां चौड़ी-चौड़ी सात सौ सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। यहां इन सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद दो कुण्ड मिलते हैं। जिन्हें ‘रामकुण्ड’ और ‘लष्मणकुण्ड’ के नाम से जाना जाता है। फ़िर शिखर के ऊपर पहुँचने पर गोमुख से निकलती हुई भगवती गोदावरी नदी के दर्शन होते हैं।

एक ही साथ विराजमान हैं (त्रिदेव) ब्रह्मा, विष्णु और महेश

त्र्यंबकेश्‍वर ज्योर्तिलिंग (Trimbakeshwar Temple) में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों ही भगवान विराजित हैं। यही इस ज्‍योतिर्लिंग की सबसे बड़ी विशेषता है। जो यहां की महत्वता को बढ़ाती है। त्र्यबंकेश्वर मंदिर के पास तीन पर्वत स्थित हैं। जिन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार के नाम से जाना जाता है। अन्‍य स्थानों पर विराजमान सभी ज्‍योतिर्लिंगों में केवल भगवान शिव ही विराजित हैं। यहां मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों का प्रतीक माना जाता है।

स्वयं प्रकट हुआ था शिवलिंग

इस मंदिर के संबंध में ये मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। इसे किसी ने स्थापित नहीं किया था। ये त्रि-नेत्रों वाले भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर की विशेष मान्यता है।

गौतम ऋषि की तपस्या से यहीं स्तिथ हो गए शिव जी

गौतम ऋषि ने कठोर प्रायश्चित किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे वर मांगने को कहा। महर्षि गौतम ने कहा भगवान मुझ पर गौ हत्या का पाप लगा है। कृपया करके आप मुझे गौ हत्या के पाप से मुक्त कर दीजिए। भगवान शिव ने गौतम ऋषि से कहा गौतम तुम सर्वदा ही निष्पाप हो। गौ हत्या का अपराध तुम पर छल पूर्वक लगाया गया था। ऐसा करने के लिए तुम्हारे आश्रम में रहने वाले ब्राह्मणों को मैं दंड देना चाहता हूं। इस पर महर्षि गौतम ने कहा की ऐसा ना करें प्रभु उन्हीं के उस कार्य से ही तो मुझे आपके दुर्लभ दर्शन प्राप्त हुए हैं। अब उन्हें मेरा समझ कर उन पर आप क्रोध ना करें। इसके उपरांत ही बहुत सारे ऋषि मुनियों और देवगणों एवं गंगा ने वहां उपस्थित होकर ऋषि गौतम की बात का अनुमोदन करते हुए भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि आप सदा यहीं पर निवास करें। देवों की प्रार्थना करने पर भगवान भोलेनाथ वहीं गौतमी-तट पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। शिव जी उनकी बात मानकर वहां त्र्यम्ब ज्योतिर्लिंग के नाम से स्थित हो गए।

महाकुंभ का आयोजन भी यहां होता है

भारत वर्ष में लगने वाले चार प्रसिद्ध महाकुम्भ मेलों में एक महाकुम्भ के मेले का आयोजन यहां भी होता है। यहां महाकुम्भ पर लोग स्नान करने के लिए ना जाने कहाँ-कहां से आते हैं। उसी दौरान यहाँ भव्य मेला भी लगता है। इस दौरान लोग कई धार्मिल कृत्यों एवं समारोह का आयोजन भी करते हैं।

मंदिर में प्रवेश के लिए बनाये गए हैं कुछ खास नियम

ये जो भागों में स्थापित है। जो कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। त्त्र्यंबकेश्वर शिवलिंग आकार में काफ़ी छोटा है। यहां दर्शन के लिए शिवलिंग पर शीशा लगा हुआ है। जिससे आप भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इस मंदिर में एक कुण्ड बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस कुण्ड में स्नान करने के बाद ही शिवलिंग पर पूजा, अर्चना करनी चहिये। यहां का प्रमुख नियम है कि यहां गर्भ गृह प्रवेश करने पर पुरुषों को ऊपर किसी भी प्रकार के वस्त्र पहनने की अनुमति नही है। साथ ही यहां चमड़े की कोई भी वस्तु आप अंदर नहीं ले जा सकते। ये पूरी तरह से वर्जित है।

यहां पर कैसें पहुँचे

अगर आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाने की योजना बना रहे हैं तो त्र्यंबकेश्वर जाने के लिए आपको पहले नासिक जाना होगा। जो भारत के लगभग हर क्षेत्र से रेल तथा सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। अगर आप हवाई मार्ग से जाने की योजना बना रहे हैं तो आपको मुम्बई से होकर जा सकते हैं। त्र्यंबकेश्वर नासिक से केवल 30 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है। यहां से आपको कभी भी टैक्सी मिल सकती है। हर साल यहां हज़ारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

किस महीने यहां जाना सबसे अच्छा रहता है

वैसे तो यहां का मौसम आम तौर पर हमेशा ही अच्छा रहता है। लेकिन अक्टूबर से मार्च के बीच का समय यहां जाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।

मंदिर के आस-पास अन्य पर्यटक स्थल

यहां अंगूर के बागान का खास क्षेत्र है। इगतपुरी स्थित बौद्ध मठ धम्मगिरि, नाशिक बस स्टैंड से सिर्फ 9 किमी दूर मौजूद पांडव गुफाएं, गंगापुर का श्री सोमेश्वर मंदिर, वेद मंदिर, कपालेश्वर महादेव, भक्तिधाम, मुक्तिधाम, नरोशंकर मंदिर और सप्तशृंगी गढ के अलावा नंदूर मदमेश्वर वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी भी यहँ के प्रमुख आकर्षणों में शामिल हैं।

Anchal Shukla

मैं आँचल शुक्ला कानपुर में पली बढ़ी हूं। AKTU लखनऊ से 2018 में MBA की पढ़ाई पूरी की। लिखना मेरी आदतों में वैसी शामिल है। वैसे तो जीवन के लिए पैसा महत्वपूर्ण है लेकिन खुद्दारी और ईमानदारी से बढ़कर नहीं। वो क्या है कि मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हें याद रखती हूँ, मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहज़े याद रखती हूँ, ज़रा सा हट के चलती हूँ ज़माने की रवायत से, जो सहारा देते हैं वो कंधे हमेशा याद रखती हूँ। कुछ पंक्तिया जो दिल के बेहद करीब हैं। "कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये"

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