Thursday, March 28, 2024
Interesting Travel FactsTravel History

Kangra Fort History : कांगड़ा किला भारत का सबसे पुराना Fort और इसका इतिहास है रोचक

Kangra Fort History  : कांगड़ा किला, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा शहर के बाहरी इलाके में धर्मशाला शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह किला अपनी हजारों साल की भव्यता, आक्रमण, युद्ध, धन और विकास का बड़ा गवाह है. यह शक्तिशाली किला त्रिगर्त साम्राज्य की उत्पत्ति को बताता है जिसका उल्लेख महाभारत महाकाव्य में मिलता है.

बता दें कि यह किला हिमालय का सबसे बड़ा और शायद भारत का सबसे पुराना किला है, जो ब्यास और उसकी सहायक नदियों की निचली घाटी पर स्थित है.

इस किले के बारे में कहा जाता है कि एक समय ऐसा भी था कि जब इस किले में अकल्पनीय धन रखा गया था जो इस किले के अंदर स्थित बृजेश्वरी मंदिर में बड़ी मूर्ति को चढ़ाया जाता था.

इसी खजाने की वजह से इस किले पर कई बार हमला हुआ था और लगभग हर शासक चाहे वो आक्रमणकारी हो या देशी शासक सभी ने कांगड़ा किले पर अपना कब्ज़ा करने की कोशिश की थी. यहां आने वाले पर्यटक कांगड़ा किले के इतिहास के बारे में जानने के लिए बेहद उत्सुक रहते हैं और यह किला हिमाचल में आकर्षण का एक अनूठा नमूना है.

कांगड़ा किले का इतिहास।। History of Kangra Fort

कांगड़ा के किले का निर्माण लगभग 3500 साल पहले कटोच वंश के महाराजा सुशर्मा चंद्रा ने करवाया था. महाराजा सुशर्मा चंद्रा ने महाभारत में वर्णित कुरुक्षेत्र के युद्ध में कौरवों के साथ लड़ाई लड़ी थी. इस लड़ाई में पराजित होने के बाद उन्होंने त्रिगर्त साम्राज्य को अपने नियंत्रण में ले लिया और कांगड़ा किले को बनवाया था.

बृजेश्वरी के मंदिर को कांगड़ा किले के अंदर बनवाया गया था. जिसकी वजह से इस किले को भक्तों द्वारा मूल्यवान उपहार और दान में मिलते थे. इतिहास से पता चलता है कि इस किले में अकल्पनीय खजाना था और जिसकी वजह से यह किला अन्य शासकों और विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा लूट करने की एक आम जगह बन गई थी.

कांगड़ा किले पर पहला हमला कश्मीर के राजा ने 470 ईस्वी में किया था. इस किले पर पहला विदेशी आक्रमण 1009 ईस्वी में गजनी के महमूद गजनवी ने किया था. इसके बाद उनके नक्शेकदम पर चलते हुए तुर्की सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक ने इस किले पर कब्जा किया और उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी फिरोज शाह पदभार संभाला.

यह साफ़ नज़र आता है कि सभी विदेशी आक्रमणकारियों ने खजाने की तलाश में ही कांगड़ा किले पर हमला किया था. ऐसा बताया जाता है कि महमूद गजनवी ने अपने आक्रमण के दौरान किले अंदर मौजूद सभी लोगों को मार डाला था और अंदर मौजूद खजाना लूट लिया था.

1615 में अकबर द्वारा तुर्की शासकों से कांगड़ा फॉर्ट्स को पुनर्प्राप्त करने के 52 असफल प्रयासों के बाद उसके बेटे जहांगीर 1620 में किले पर कब्जा कर लिया था.

हिमाचल में बर्फबारी के कारण टॉय ट्रेन में बढ़ी पर्यटकों की संख्या, आप भी करें हसीन वादियों का सफर

1758 में कटोच के उत्तराधिकारी घमंड चंद को अहमद शाह अब्दाली द्वारा जालंधर का राज्यपाल नियुक्त बनाया गया था. इसके बाद उनके पोते संसार चंद ने अपनी सेना को मजबूत किया और अंत में शासक सैफ अली खान को हराया और 1789 में अपने पूर्वजों के सिंहासन को फिर से हासिल कर लिया था.

इस जीत से संसार चंद ने खुद को एक शक्तिशाली शासक साबित किया और पड़ोसी क्षेत्रों के कई राज्यों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया. इसके बाद पराजित राजा तब गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा से से मदद मांगी और इसके बाद सिखों और कटोचो के बीच युद्ध हुआ और 1806 में गोरखा सेना ने एक खुले द्वार से किले में प्रवेश कर इस किले पर कब्जा कर लिया.

कांगड़ा किले पर हार के बाद संसार चंद को महाराजा रणजीत सिंह के साथ गठबंधन करना पड़ा. इसके बाद 1809 में गोरखा सेना पराजित हुई और अपनी रक्षा करने के चलते युद्ध से पीछे हट गई इसके बाद 1828 तक ये किला कटोचो के अधीन रहा क्योंकि संसार चंद की मृत्यु के बाद रंजीत सिंह ने इस किले पर कब्ज़ा था.

अंत में ब्रिटिशो ने सिखों के साथ हुए युद्ध के बाद इस किले पर अपना कब्जा जमा लिया।

कांगड़ा किले का इतिहास युद्ध, खून, छल और लूट से भरा पड़ा है. इस किले की दीवार जब तक मजबूत रही जब तक की ये 4 अप्रैल, 1905 भूकंप में नहीं डूब गया.

कांगड़ा किले की वास्तुकला ।। Architecture of Kangra Fort

कांगड़ा किले का प्रवेश द्वार एक छोटे से गलियारे से होकर जाता है जिसमे दो गेट लगे हुए है जिसको फटक कहते हैं.इस गेट पर मौजूद शिलालेख से पता चलता है कि यह सिख काल के बाद का है.इसके बाद एक लम्बा और सकरा रास्ता अहानी और अमीरी दरवाजा से होते हुए शानदार किले के शीर्ष की ओर जाता है.

Best Train Routes in India : भारत के सबसे सुंदर Rail Routes, आप किसपर घूमना चाहेंगे?

बाहरी द्वार से लगभग 500 फीट की दूरी पर यह मार्ग एक तीखे कोण पर एक मोड़ लेता है और जहाँगीरी दरवाजे से होकर निकलता है जिससे पूरी तरह से मुहम्मडन इमारत दिखाई देती है और इसके नाम से यह लगता है कि 1620 ई में किले पर विजय प्राप्त करने के बाद जहांगीर द्वारा इसको बनवाया गया होगा. एक सफेद संगमरमर का स्लैब जो एक फारसी शिलालेख था उसके दो टुकड़े 1905 में बरामद हुए थे.

हालांकि अब कांगड़ा का यह किला ज्यादातर खंडहर हो चुका है लेकिन एक बार वहां खड़े होने वाले शाही ढांचे की परिकल्पना आसानी से की जा सकती है. कांगरा किले में जो एक बहुत खूबसूरत संरचना है इसकी छत से भी आपको शानदार नजारा देखने को मिलता है.

कांगड़ा आने वाले टूरिस्ट कांगड़ा किले के अंदर बनी हुई वॉच टावर तथा भगवान लक्ष्मी नारायण मंदिर, और आदिनाथ मंदिर को देख सकते हैं.

कांगड़ा के आसपास घूमने की आकर्षक जगह ।। attractive places to visit around kangra

ज्वालामुखी मंदिर
अंबिका देवी मंदिर
बृजेश्वरी मंदिर
जयति माता मंदिर
लक्ष्मी नारायण मंदिर और आदिनाथ मंदिर
महाराजा संसार चंद कटोच संग्रहालय

कांगड़ा किले के लिए खुलने का समय ।। Opening timings for Kangra Fort.

कांगड़ा किला सुबह 9:00 बजे – शाम 6:00 बजे तक सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है.

कांगड़ा किला प्रवेश फेयर ।। Kangra Fort Entrance Fair

गाइड के साथ प्रति व्यक्ति (भारतीय)- 150
गाइड के के साथ प्रति व्यक्ति (विदेशी)- 300

कांगड़ा कैसे पहुंचे || How to reach Kangra Fort

फ्लाइट से – अगर आप फ्लाइट से कांगड़ा किला देखने जाना चाहते हैं तो बता दें कि इसका नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल हवाई अड्डा है. जो कांगड़ा शहर से 11 किमी की दूरी पर स्थित है. गग्गल हवाई अड्डा देश के अधिकांश हवाई अड्डों के साथ हवाई अड्डा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. हवाई अड्डे से आप कांगड़ा फोर्ट जाने के लिए ऑटोरिक्शा, बसों, और टैक्सियों की मदद ले सकते हैं. सड़क माध्यम से गग्गल से कांगड़ा दूरी तय करने में आपको 30 मिनट का समय लगेगा.

ट्रेन से – जो भी पर्यटक ट्रेन से यात्रा करना चाहते हैं तो उनके लिए बता दें कि कांगड़ा शहर का अपना रेलवे स्टेशन है, जो कांगड़ा घाटी के भीतर स्थित है. लेकिन यह एक टॉय ट्रेन स्टेशन है, जिसकी वजह से यह देश के अन्य शहरों से रेल मार्ग से नहीं जुड़ा.कांगड़ा का नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट रेलवे स्टेशन है जो कांगड़ा से 87 किमी की दूरी पर है। पठानकोट से कांगड़ा फोर्ट पहुंचने के लिए आपका टैक्सी किराये पर लेना सबसे अच्छा रहेगा.

 सड़क से – कांगड़ा नई दिल्ली से लगभग 450 किमी दूर है इसलिए आप नई दिल्ली से बस में यात्रा करके यहां आसानी से पहुंच सकते हैं. इसके अलावा कांगड़ा के पास दूसरा प्रमुख शहर चंडीगढ़ सिर्फ 6-7 घंटे की दूरी पर है जो सड़कों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.

कांगड़ा जाने का सबसे अच्छा समय क्या है || What is the best time to visit Kangra

अगर आप कांगड़ा का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि यहां जाने के लिए सितंबर से जून तक का समय सबसे अच्छा हैं. मई-जून की गर्मियों के महीनों में यहां का तापमान 22-30 डिग्री सेल्सियस रहता है जो ट्रेकर्स द्वारा पसंद किया जाता है.

Komal Mishra

मैं हूं कोमल... Travel Junoon पर हम अक्षरों से घुमक्कड़ी का रंग जमाते हैं... यानी घुमक्कड़ी अनलिमिटेड टाइप की... हम कुछ किस्से कहते हैं, थोड़ी कहानियां बताते हैं... Travel Junoon पर हमें पढ़िए भी और Facebook पेज-Youtube चैनल से जुड़िए भी... दोस्तों, फॉलो और सब्सक्राइब जरूर करें...

error: Content is protected !!