Friday, March 29, 2024
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Indian Railway जल्द बंद करने जा रहा है 500 ट्रेनें और 10,000 स्टॉपेज

कोरोना के कारण देश में पहली बार भारतीय रेलवे ( Indian Railway ) ने कई ट्रेनों की सेवा को बंद किया. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन ने देश की रेल व्यवस्था ( Indian Railway ) को एक तरह से ठप कर दिया. जिससे सबसे ज़्यादा परेशानी आम आदमी को उठानी पड़ी. लेकिन कुछ बाद सरकार ने अनलॉक के अलग-अलग फेजो में कुछ ट्रेनों को चलाने की अनुमति दे दी. और धीरे-धीरे ट्रेनों की संख्या में इजाफ़ा करते रहे. इससे यात्रियों की परेशानी थोड़ी कम हुई.

कोरोना संकट काल में लॉकडाउन की वजह से रेलवे ( Indian Railway ) को भारी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा है. इसके लिए रेलवे ( Indian Railway ) अपना नया टाइम टेबल लाने जा रहा है. जिससे खबरों में सुनने को आ रहा है कि रेलवे पोस्ट कोविड के दौरान 500 ट्रेनों और 10,000 रेलवे स्टॉपेज को पूरी तरह से बंद करने की तैयारी कर रहा है.

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रेलवे पोस्ट कोविड टाइम टेबल से पैसेंजर ट्रेनों की औसत गति में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. इस प्रक्रिया को लाने के लिए रेलवे जीरो बोस्ड टाइमटेबल पर काम कर रहा है. इस पूरी प्रक्रिया में रेलवे ( Indian Railway ) के एक्सपर्ट्स के साथ-साथ आईआईटी-बॉम्बे के विशेषज्ञ काम कर रहे हैं. जो ट्रेनें एक साल से औसतन खाली जा रही हैं उन सभी ट्रेनों को रेलवे ( Indian Railway ) जल्द ही बन्द कर सकता है.

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वहीं लंबी दूरी पर चलने वाली ट्रेनों का 200 किलोमीटर की दूरी तक कोई स्टॉपेज नहीं होगा. अगर वहां कोई बड़ा शहर नहीं हो तो. इस तरीके से देश में लगभग 10,000 से ज़्यादा रेलवे ( Indian Railway ) स्टॉपेज जल्द ही खत्म किये जा सकते हैं. रेलवे ( Indian Railway ) जीरो बेस्ड टाइम टेबल के मुताबिक यात्री ट्रेन Train अब हब एवं स्पोक मॉडल पर चल सकेंगी. ये हब वे शहर होंगे, जिनकी आबादी 10 लाख से ज्यादा है. इसके साथ ही साथ 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों से छोटे शहर कनेक्टिंग ट्रेन Train से भी जोड़े जा सकते हैं.

रेलवे ( Indian Railway ) के नए टाइमटेबल में ट्रेनों Trains में अब से कोच की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाएगी. जिसके अंतर्गत अब लिंक हॉफमैन बुश (LHB) के 22 डिब्बे लगेंगे या फिर इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बने 24 डिब्बे लगेंगे.

Anchal Shukla

मैं आँचल शुक्ला कानपुर में पली बढ़ी हूं। AKTU लखनऊ से 2018 में MBA की पढ़ाई पूरी की। लिखना मेरी आदतों में वैसी शामिल है। वैसे तो जीवन के लिए पैसा महत्वपूर्ण है लेकिन खुद्दारी और ईमानदारी से बढ़कर नहीं। वो क्या है कि मैं लोगों से मुलाक़ातों के लम्हें याद रखती हूँ, मैं बातें भूल भी जाऊं तो लहज़े याद रखती हूँ, ज़रा सा हट के चलती हूँ ज़माने की रवायत से, जो सहारा देते हैं वो कंधे हमेशा याद रखती हूँ। कुछ पंक्तिया जो दिल के बेहद करीब हैं। "कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये"

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