Village Tour

Village Tour : इस गांव में है भूतों का बसेरा! बिना चढ़ावे के डोली निकलते ही उठ जाती है अर्थी

Village Tour: राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में शुमार चतरा के अति पिछड़े लावालौंग प्रखंड के पशहंग गांव के लोग अजीबो गरीब डर के साये में जी रहे हैं. यहां न तो बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल की व्यवस्था है और न ही आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र की. शिक्षण संस्थान और स्वास्थ्य सेवाओं से महरूम इस गांव के लोग आज अंधविश्वास में जकड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि आज के डिजिटल युग में भी यहां के लोग भूत-प्रेत के डर से न खेती-बारी करते और न ही अपनी बेटियों की शादी.

The whole village is under the trap of superstition

गांव में भूत का आतंक इस कदर हावी हो चुका है कि यहां बीना ग्राम देवता को चढ़ावा दिए हुए किसी किसान के घर में एक छटाक अनाज तक नहीं आता है और न ही किसी के घर में शहनाई बजती है. सबसे भयावह स्थिति तो गांव की बेटियों की है, जो शादी की उम्र रेखा पार करने के बाद भी अपने घरों में महज अंधविश्वास के जाल में फंसकर कुंवारी बैठी हैं. भूत के भय के कारण पिछले तीन वर्ष से खेती तक नहीं हुई है.

पंजाब में एक गांव जहां नहीं बचा कोई पुरुष, कहा जाता है विधवाओं का गांव

Village gods and priests have to be happy

ऐसा नहीं है कि गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी करने में सक्षम नहीं हैं. घर से सुखी-संपन्न होने के बावजूद ये लोग न तो अपनी बेटियों की शादी करवा पा रहे हैं और न ही अपना जीवन यापन करने के लिए खेती-बारी कर रहे हैं. इस गांव में मान्यता है कि बगैर ग्राम देवता के पुजारी पाहन को खुश किये न तो यहां बेटियों की शादी हो सकती है और न ही खेती-बारी. जब तक पाहन द्वारा ग्राम देवता और कुलदेवता की पूजा विधि-विधान से नहीं की जाती है, तब तक किसी भी प्रकार का विधि-विधान और कार्य शुभ नहीं माना जाता है.

Kumar Vishwas :कुमार विश्वास ने पैतृक गांव में बनाया सपनों का आशियाना, कुछ ऐसा दिखती है उनकी मड़ैय्या

Dirty wakes up as soon as the dolly comes out

ऐसा नहीं करने पर गांव पर बड़ी आपदा आन पड़ती है. अंधविश्वास है कि बगैर पाहन को खुश किये अगर घर में शहनाई बजती है और बेटियों की डोली उठती तो है, लेकिन डोली के साथ ही किसी न किसी की अर्थी भी उठ जाती है. यही हाल खेती-बारी का भी है. जब तक पाहन खेतों में जाकर पूजा-अर्चना नहीं करते हैं, तब तक खेती शुभ नहीं मानी जाती है. ग्रामीणों का मानना है कि इससे गांव का भूत उनका कुछ न कुछ बुरा जरूर करेगा. गांव में स्थिति यह बनी हुई है कि अगर परिस्थितिवश किसी के घर बेटे की शादी होती है, तो वह भी गांव से बाहर किसी मंदिर में होती है.

एक गांव हो गया खंडहर में तब्दील, लोग कहते हैं भूतिया गांव

As soon as the procession comes out, there is disaster in the village

क्योंकि, अंधविश्वास इस कदर हावी है कि अगर बेटे की भी बारात निकलती है, तो कोई विपत्ति गांव पर जरूर आ जायेगी. ग्रामीण गांव में भूत के इस भय से इस कदर भयभीत हैं कि वे उस अंधविश्वास से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और न ही उन्हें इस अंधविश्वास से बाहर निकालने के लिए सरकार या किसी संस्था की की ओर से ही कोई पहल की जा रही है.

पहाड़ का कड़वा सचः उत्तराखंड में कैसे रुकेगा पलायन?

Komal Mishra

मैं हूं कोमल... Travel Junoon पर हम अक्षरों से घुमक्कड़ी का रंग जमाते हैं... यानी घुमक्कड़ी अनलिमिटेड टाइप की... हम कुछ किस्से कहते हैं, थोड़ी कहानियां बताते हैं... Travel Junoon पर हमें पढ़िए भी और Facebook पेज-Youtube चैनल से जुड़िए भी... दोस्तों, फॉलो और सब्सक्राइब जरूर करें...

error: Content is protected !!