Buddha Statue - Mintu Paul making Tallest Buddha Statue in India
Tallest Buddha Statue in India – भारत अजूबों का देश है, कलाकारों का देश है, विद्वानों का देश है… लेकिन कमी है तो सिर्फ प्रतिभा को पहचान मिलने की. कला की इसी श्रेणी में अगर हम बात करें मूर्तियों की तो भारत में एक से एक विशालकाय मूर्तियां मिल जाएंगी. हाल में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ने तो सारे कीर्तिमानों को ध्वस्त ही कर दिया है. देश ही नहीं, विदेशों से भी लोग स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को देखने के लिए खिंचे चले आते हैं. मूर्तियों की बात चली है तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी मूर्ति की, जो भारत में एक नया कीर्तिमान बनाने जा रही है. ये है बुद्ध की मूर्ति ( Buddha Statue ). बोधगया स्थित बुद्ध इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के सानिध्य में कोलकाता में मूर्तिकार मिंटू पाल इस नायाब कृति को दिन-रात एक करके तैयार करने में जुटे हुए हैं.
कोलकाता के जाने-माने मूर्तिकार मिंटू पाल प्रतिमा निर्माण के क्षेत्र में इस बुद्ध मूर्ति ( Buddha Statue ) से एक और मिसाल बनने जा रहे हैं. यूं तो वह पहले भी मां दुर्गा की कई मूर्तियों को बना चुके हैं और ख्याति अर्जित कर चुके हैं लेकिन बुद्ध की ये प्रतिमा बेहद खास होने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये मूर्ति 100 फीट लंबी होगी और ये देश में भगवान बुद्ध की सबसे लंबी मूर्ति ( Buddha Statue ) होगी. इस मूर्ति में भगवान बुद्ध ( Buddha Statue ) को शयन मुद्रा में दिखाया जाएगा. 53 साल के पाल इस समय कुम्हारटोली स्थित अपने वर्कशॉप में भगवान बुद्ध की 100 फुट लंबी प्रतिमा तैयार करने में जुटे हुए हैं.
ट्रैवल जुनून के साथ खास बातचीत में मिंटू पाल ने बताया कि ये मूर्ति संभवतः अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी. वहीं, बुद्ध इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के संस्थापक आर्य पाल भिक्षु से ट्रैवल जुनून को जो जानकारी मिली उसके मुताबिक इस मूर्ति पर सोने का लेप लगाया जाएगा और इसे लेकर पूरी कोशिश रहेगी कि अगले साल बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर इस मूर्ति का अनावरण कर दिया जाए. यदि कोरोनावायरस महामारी की वजह से इसमें देरी हुई तो भी अगले साल नवंबर तक इसका अनावरण कर देने की योजना है. बुद्ध इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के संस्थापक व सचिव आर्य पाल भिक्षु ने बताया कि भगवान बुद्ध का जन्म भले नेपाल के लुंबिनी में हुआ लेकिन उनके भगवान रूप का जन्म भारत में ही हुआ. बोधगया में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ इसलिए देश में भगवान बुद्ध को सही रूप में दर्शाने की जरूरत है. इसी कोशिश के तहत ये मूर्ति बनाई जा रही है.
शयन मुद्रा वाली इस प्रतिमा ( Buddha Statue ) को अगले साल बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर बोधगया स्थित बुद्ध इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के मंदिर में प्रतिष्ठापित किया जाएगा. पाल ने एक हिंदी समाचार पत्र को बताया कि वह पिछले दो महीने से इस विशालतम बुद्ध प्रतिमा तैयार करने में जुटे हुए हैं. इस समय बुद्ध के चेहरे को तैयार करने का काम चल रहा है. उसके बाद शरीर के बाकी हिस्सों का अलग-अलग तौर पर निर्माण कर उन सबकी असेंबलिंग की जाएगी. पाल ने आगे कहा कि प्रतिमा निर्माण में फाइबर ग्लास का प्रयोग किया जा रहा है. इसके निर्माण में एक टन से ज्यादा फाइबर ग्लास का इस्तेमाल किया जाएगा. फाइबर ग्लास के ऊपर मैट का काम होगा. प्रतिमा का स्ट्रक्चर लोहे और स्टील से तैयार किया जाएगा. प्रतिमा सुनहरे रंग की होगी.
गौरतलब है कि मिंटू पाल ने 2015 में दुनिया की सबसे ऊंची दुर्गा प्रतिमा (88) फुट का निर्माण करके सबको हैरान कर दिया था. देशप्रिय पार्क सार्वजनीन पूजा कमेटी के लिए तैयार की गई इस दुर्गा प्रतिमा को देखने के लिए इस कदर जनसैलाब उमड़ पड़ा था कि प्रशासन को बाध्य होकर दर्शन ही बंद कर देने पड़े थे.
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बुद्ध इंटरनेशनल वेलफेयर मिशन के संस्थापक व सचिव आर्य पाल भिक्षु ने बताया कि सारनाथ में बुद्ध की खड़ी मुद्रा और बोधगया में ध्यान मुद्रा में प्रतिमाएं हैं. दोनों की ऊंचाई 80 फुट है. हमारी शयन मुद्रा वाली प्रतिमा की लंबाई 80 फुट है लेकिन इसके नीचे जो बेदी बनेगी, वह 20 फुट की होगी. हम चाहते तो प्रतिमा की लंबाई और बढ़ा सकते थे लेकिन भगवान बुद्ध 80 साल तक इस संसार में रहे थे इसलिए मूल प्रतिमा की लंबाई 80 फुट ही रखी जा रही है. बुद्ध की यह ध्यान मुद्रा कुशीनगर में उनके महापरिनिर्वाण से पहले की है, जहां उन्होंने अमृत उपदेश दिया था.
आर्य पाल ने आगे कहा कि बोधगया न्यू ब्लॉक ऑफिस के पीछे डेढ़ बीघा जमीन पर स्थित हमारे मंदिर की छत पर इस अद्भुत प्रतिमा को प्रतिष्ठापित किया जाएगा. प्रतिष्ठापन समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और धर्मगुरु दलाई लामा को आमंत्रित करने की हमारी योजना है.
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