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इस साल चारधाम यात्रा ( Char Dham Yatra 2020 ) का सपना संजोए तीर्थयात्रियों (Teerth Yatra) के लिए कोरोना काल में अच्छी खबर आई है. उत्तराखंड सरकार ने बाहरी राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए भी सशर्त चारधाम यात्रा ( Char Dham Yatra 2020 ) खोलने की अनुमति दे दी है. बता दें कि अभी तक सिर्फ उत्तराखंड के श्रद्धालुओं को ही चारधाम यात्रा ( Char Dham Yatra 2020 ) की अनुमति दी गई थी. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस यात्रा के दौरान कोविड 19 को लेकर अन्य सामान्य आदेश भी लागू रहेंगे.
यह घोषणा, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (char dham devasthanam management board) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रविनाथ रमन ने की है. उन्होंने बताया कि दूसरे राज्यों के लोग अगर चारधाम यात्रा करना चाह रहे हैं तो इस आदेश के बाद अब वो ऐसा कर सकेंगे लेकिन उनके पास उत्तराखंड आने के 72 घंटे पहले तक की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट होनी चाहिए।
सरकार के इस आदेश के बाद वे श्रद्धालु भी चारधाम यात्रा ( Char Dham Yatra 2020 ) कर सकते हैं, जो उत्तराखंड पहुंचकर क्वारंटीन के लिए लागू नियम की अवधि को पूरा कर चुके होंगे. चारधाम यात्रा ( Char Dham Yatra 2020 ) पर आने वाले श्रद्धालु देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे. रजिस्ट्रेशन के वक्त उन्हें अपनी आईडी, कोविड 19 निगेटिव रिपोर्ट भी वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी.
इसके अलावा, तीर्थयात्रियों को वेबसाइट पर अपलोड किए गए दस्तावेजों की मूल प्रति भी अपने पास रखना अनिवार्य होगा. जो लोग क्वारंटीन अवधि को पूरा कर चुके हैं, वे वेबसाइट पर फोटो आईडी अपलोड कर अपना पास प्राप्त करेंगे और मंदिरों में जा सकेंगे. सरकार ने यह कदम तीर्थांटन व पर्यटन कारोबार को मजबूती देने के उद्देश्य से उठाया है.
कोविड को हरा चुके बाहरी राज्यों के लोगों को भी राहत – Covid 19 Fighters can also Travel in Uttarakhand
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि बाहरी राज्यों से कोई कोविड विजेता अगर उत्तराखंड में घूमने के लिए आना चाहता है तो उनके लिए किसी तरह की रोक नहीं लेगी. उन्हें प्रदेश में यात्रा की अनुमति होगी. इससे उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और कोरोना को हरा चुके लोग भी पहाड़ की यात्रा कर सकेंगे. सरकार ने बाहरी राज्यों से कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को प्रदेश में आने की अनुमति देने का फैसला लिया है.<
अहम बात ये है कि कोरोना से जंग जीतने वालों की कोई जांच नहीं की जाएगी और न ही क्वारंटीन किया जाएगा. सरकार ने अन्य पर्यटकों के लिए 72 घंटे पहले आईसीएमआर से मान्यता प्राप्त लैब से जांच करने वाले पर्यटकों को प्रदेश में आने की अनुमति दी है. वहीं, अगर कोई पर्यटक बिना जांच के यात्रा करने आता है तो उसे सात दिन के लिए होटल की बुकिंग करानी पड़ेगी और पहले सात दिन तक होटल में रहना होगा इसके बाद ही उत्तराखंड में घूम सकेगा.
पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पर्याटन आर्थिक गतिविधि का सबसे बड़ा जरिया है लेकिन इस बार कोरोना की वजह से सबसे बड़ा पर्यटन से आमदनी का जरिए चारधाम को सही ढंग से शुरू नहीं किया जा सका. अब अनलॉक वन और अनलॉक टू में, केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें भी कई तरह की छूट दे रही हैं तो उत्तराखंड में भी सरकार धीरे धीरे पर्यटन को लेकर पाबंदियों में ढील दे रही है.
इस बार चार धाम यात्रा सही ढंग से न होने से न सिर्फ़ उत्तराखंड सरकार को बल्कि चार धाम यात्रा मार्गों पर होटल कारोबारी, ढाबों, रेस्टोरेंट बिजनेस करने वाले, टैक्सी-मैक्सी बस ऑपरेटर्स को, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी जैसे कामों से जुड़े हज़ारों लोगों का व्यवसाय चौपट हो गया है.
उत्तराखंड के चार धाम या फिर छोटे 4 धाम का हिंदू धर्म में काफी महत्व है।ये उत्तराखंड की 4 सबसे पवित्र जगहों से बना है, इनमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल है। ये चारों जगह एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में सामने कब आई ये कोई नहीं जानता है। इन सभी जगहों की अपनी एक हिस्ट्री है, जो इन्हें पवित्र 4 धाम में बदलती है। 1950 तक उत्तराखंड के चार सबसे पवित्र स्थलों पर जाने का मतलब था पैदल यात्रा करना। साधुओं के अलावा जो लोग यात्रा करने में सक्षम हो पाते थे वहीं छोटे चार धाम के सबसे संभावित और नियमित तीर्थयात्री थे। साल 1962 के भारत और चीन युद्ध के बाद, भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए। अब पवित्र तीर्थ के पास के पॉइंट्स तक तक सड़कें जा रही है। इससे बाकी लोगों को भी चार धाम की यात्रा करने का मौका मिला।(Char Dham के बारे में विस्तार से पढ़ें, इस लिंक पर क्लिक करें)
केदारनाथ उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। ये समुद्रतल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर गढ़वाल हिमालय में स्थित है। केदारनाथ मन्दिर को हिन्दुओं के पवित्रतम गंतव्यों यानी कि चार धामों में से एक माना जाता है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ऊंचा यहीं पर स्थित है। आपको बता दें कि इस मन्दिर के पास से ही शानदार मन्दाकिनी नदी भी बहती है। गर्मियों के दौरान इस तीर्थस्थल पर पर्यटकों की भारी भीड़ भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिये आती हैं। ये मन्दिर लगभग 1000 साल पुराना है। मंदिर के गर्भगृह की ओर ले जाती सीढ़ियों पर श्रृद्धालुओं को पाली भाषा के शिलालेख देखने को मिल जाते है।(Kedarnath Dham के बारे में विस्तार से पढ़ें, यहां क्लिक करें)
बद्रीनाथ मंदिर जिसे बद्रीनारायण मंदिर भी कहते हैं। ये अलकनंदा नदी के किनारे में बसा है। ये मंदिर भगवान विष्षु के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है। ये मंदिर हिंदूओं के 4 धामों में से एक है। ऋषिकेश से ये 294 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये पंच बद्री में से एक बद्री भी है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में पंच बद्री, पंच केदार और पंच प्रयाग पौराणिक दृष्टि और हिंदू धर्म की दृष्टि से काफी अहम है।इस धाम के बारे में कहा जाता है कि जो जाए बद्री वो ना आए ओद्री यानी की जो भी इंसान बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है। उसे दोबारा माता के गर्भ में नहीं आना पड़ता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इंसान को अपने पूरे जीवन में कम से कम एक बार तो बद्रीनाथ के दर्शन जरूर करने चाहिए।(Badrinath Dham के बारे में विस्तार से पढ़ें, यहां क्लिक करें)
उत्तर भारत में 4 धाम काफी मशहूर है जो कि उत्तराखंड के अंदर है, जिनमें बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री शामिल है। ये छोटे धाम के नाम से भी जाने जाते हैं और इनका हिंदू धर्म में अलग ही महत्व है। यमुनोत्री कालिद पर्वत पर समुद्र तल से 4421 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यमुनोत्री के बारे मे पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि सूर्य की पत्नी छाया से यमुना और यमराज पैदा हुए यमुना नदी के रूप मे पृथ्वी मे बहने लगीं और यम को मृत्यु लोक मिला। ऐसा कहते हैं कि जो भी कोई मां यमुना के जल मे स्नान करता है वो आकाल म्रत्यु से मुक्त हो जाता है साथ ही मोक्ष को भी प्राप्त कर लेता है। (Yamunotri Dham के बारे में विस्तार से पढ़ें, यहां क्लिक करें)
उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले में स्थित गंगोत्री (Gangotri) एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है।यह समुद्र तल से 3750 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय पर्वतमाला में स्थित है। ये भागीरथी नदी के तट पर बसा हुआ है। चार धाम और दो धाम दोनों तीर्थयात्राओं के लिए गंगोत्री एक पवित्र स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी गंगा ने राजा भगीरथ और उनके पूर्वजों के पापों को धोने के लिए गंगा का रूप धारण किया था। भगवान शिव ने पृथ्वी को बहने से बचाने के लिए इसे अपनी जटाओं मे रोक लिया था। गंगा नदी या गंगा का स्रोत ‘गौमुख‘ गंगोत्री से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गंगा नदी अपने उद्गम स्थल पर ‘भागीरथी‘ के नाम से जानी जाती है। (Gangotri Dham के बारे में विस्तार से पढ़ें, यहां क्लिक करें)
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