Dare to Travel
Father Daughter Journey : दो महीने बाद निनी के बोर्ड्स हैं। मुझे नहीं मालूम कि उसके कितने मार्क्स आएंगे। वैसे मैं दसवीं में एक बार फेल हुआ था। 27 परसेंट नतीजों का जमाना था। आज 90 प्लस का है। काफी लोगों ने कहा कि इस समय घुमाकर आपने तैयारियों पर असर डाला। इस समय एक एक घण्टा कीमती है। चार दिन तो बड़ी बात है। मेरा नजरिया कुछ और है।
मैं चाहता हूँ कि जब वह केमेस्ट्री का पेपर दे तो उसके ध्यान में पढ़ाई हुई बातों के सिवा कुछ और भी हो। कैसे केमिकल रिएक्शन से बोरा की गुफाएं बनती हैं। पानी, कैल्शियम और दूसरे रसायनों से कैसे लाखों साल पुरानी यह गुफा एक रहस्य की तरह हमारे सामने हैं। जब मैथ के पेपर में किसी सवाल पर उलझ जाए तो नर्वस न हो। उसे याद आये कि कैसे साइक्लोन की वजह से उसकी फ्लाइट कैंसिल हुई। उस समय क्या पापा जरा भी घबराए, या प्लान बी पर काम शुरू किया। क्या वह परेशानी वाकई इतनी बड़ी थी जिसमें दूसरे यात्री इतने हैरान परेशान थे। जब वह सिविक्स का पेपर दे तो उसे up की राजनीति के अलावा आंध्र के चंद्रबाबू नायडू का भी ख्याल हो।
कैसे अच्छा एडमिनिस्ट्रेशन विशाखापत्तनम जैसे खूबसूरत, साफ सुथरे और बढ़िया ट्रैफिक वाले शहर बनाता है। जब वह सोशल साइंस का पर्चा लिखे तो उसके ध्यान में अराकू के आदिवासी और कॉफी के बागानों की जानकारी भी खयाल में आये। उसे याद रहेगा सरोजनी का आतिथ्य। सुबह चार बजे उठकर 7 बजे तक सबको नाश्ता कराना। खुद समय निकालकर शहर घुमाना। श्रीहर्ष का खासतौर पर हमारे लिए मुम्बई से आकर डिनर कराना।
मुझे लगता है कि घूमने और साहित्य पढ़ने से हमारी सोच व्यापक होती है। वह जीवन मे कामयाबी के किस स्तर पर ले जाएगी, यह अलग सवाल है। यह जानकारियां एक व्यक्ति को एक बेहतर मनुष्य जरूर बनाएंगी, इसका मुझे पूरा विश्वास है। मुझे लगता है इस घूमने फिरने से बोर्ड के इम्तहान पर जरूर कुछ फर्क पड़े पर बेहतर इंसान बनने का इम्तहान निनी जरूर अच्छे नम्बरों से पास करेगी।
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