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उदयपुर में सूर्यास्त देखना है तो सज्जनगढ़ पैलेस ज़रूर जाएं, लम्हा यादगार हो जाएगा

Sajjangarh Palace- मानसून पैलेस को आमतौर पर सज्जनगढ़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है. उदयपुर से 5 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी की चोटी पर स्तिथ इस महल को बनवाने का काम महाराणा सज्जन सिंह ने शुरू करवाया था. उनके आकस्मिक निधन के बाद महाराणा फ़तेह सिंह ने पूरा किया. उदयपुर में सूर्यास्त देखने के लिए पिछोला झील के बाद इसी महल को सर्वोत्तम माना जाता है. क्योंकि यहां से पूरा उदयपुर शहर, फतेहसागर झील और आसपास के गांव और अरावली की पहाड़िया दिखती है.

सज्जनगढ़ पैलेस,या मानसून पैलेस सफेद संगमरमर और राजस्थानी शैली से निर्मित अविश्वसनीय सरंचना है. मानसून पैलेस उच्च बुर्ज, कई स्तंभों, विशाल गुंबदों और झरोखों की विशेषतायो को समेटे हुए है. जिसमें एक भव्य राज-दरबार और सीढ़ियों के साथ-साथ कई कमरे और कक्ष हैं. जिन्हें जटिल फूलों और विस्तृत नक्काशी से अच्छी तरह से कवर किया गया है, जो महल के अंदरुनी हिस्सों को एक अखंडनीय आकर्षण देता है.

मानसून पैलेस को बनवाने का काम महाराणा सज्जन सिंह ने अपने शासन के दसवें साल सन 1884 में शुरू किया था. मानसून पैलेस उदयपुर में बनवाने के पीछे कई किस्से हैं,कई कारण हैं जिनमें से एक है की महाराणा सज्जन सिंह एक ऐसा महल बनवाना चाहते थे जहां से उनका पैत्रक घर यानि चित्तौड़ का किला दिखाई दे, दूसरा कारण ये है की महाराणा चाहते थे की महल शहर के बाहर ऊंची जगह पर बने जहां से बादल दिखे और उदयपुर के मौसम का अंदाजा लगया जा सके साथ में यंहा के स्थानीय लोगो को कुछ समय के लिए रोजगार भी मिल सके.

ये वो दौर था जब मेवाड़ राजघराना आपसी फूट और राजनितिक चाल से घिरा हुआ था, जब सज्जन सिंह जी को 15 साल की उम्र में राजगद्दी पर बैठाया जा रहा था तो उनके चाचा सोहन सिंह ने ज्योतिषयो के साथ मिलकर उनके राज्याभिषेक में बाधा डाल दी. लेकिन कुछ अंग्रेज अधिकारी चाहते थे की सज्जन सिंह गद्दी पर बैठे, उनकी मदद से सज्जन सिंह जी मेवाड़ के 72 वे महाराणा बने.

उन्होंने अपने शाशन काल में उदयपुर के विकास को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, पिछोला झील का विस्तार किया, शहर में सड़क और जल का प्रबंध सुचारू किया उसी विकास में ये महल का निर्माण भी शामिल है. मानसून पैलेस के निर्माण की शुरुआत को कुछ दिन बीते थे की सज्जन सिंह जी का निधन हो गया कुछ महीने महल को निर्माण रूक गया लेकिन महाराणा फ़तेह सिंह जी ने उनके इस सपने को पूरा किया, शुरू से ही ये महल मेवाड़ के राजघराने में शिकार खेलने के लिए सर्वोत्तम जगह के रूप में प्रचलित रहा है.

सुन्दरता और सूर्यास्त के अलावा और भी कुछ जगह है जिन्हें आप यहां घूमने से पहले की योजना में शामिल कर सकते है जैसे कि पहाड़ी की तलहटी में मौजूद बायोलोजिकल पार्क,आसपास के गांव जहां राजस्थानी सभ्यता को करीब से देखा जा सकता है. यंहा मौजूद शिल्पियों से हस्तशिल्प के सामान की खरीददारी और सज्जनगढ़ किले में वर्षा जल म्यूजियम प्रणाली को भी देखा जा सरता है.

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समुन्द्र सतह से 932 मीटर ऊंचाई पर बने इस मानसून पैलेस उदयपुर पर गिरने वाली वर्ष की हर एक बूंद का संग्रहण करने के लिए तैयार की गई वर्षा जल संग्रहण प्रणाली प्राचीन भवन शिल्पियों की शिल्पकला का अनूठा उदहारण है. किले के प्रत्येक खुले भाग पर गिरने वाला बारिश का पानी उसी छत्त पर बने कुंड में जाकर एक पाइप से भूतल में मौजूद कुंड में एकत्रित होता है जो की साल भर किले में प्रवासियों के लिए और अन्य निर्माण कार्यो में इस्तेमाल होता है.

जोधपुर में स्थित है Jaswant Thada, जिसे मारवाड़ का ताजमहल कहा जाता है

कब जाएं मानसून पैलेस

मानसून पैलेस उदयपुर के लिए टिकेट पहाड़ी के नीचे मौजूद मुख्य द्वार से ही लिया जा सकता है जिसकी कीमत है 10 रुपए भारतीय पर्यटक  के लिए और अगर आप कार से ऊपर घुमने जाते है उसके लिए 250 रुपए प्रति कार. उदयपुर घूमने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर से मार्च तक है इसके अलावा अगर आप गर्मियों में जाते है तो यंहा का औसत तापमान 45 डिग्री से 47 डिग्री तक जा सकता है. गाइड और टैक्सी के लिए नीचे मुख्य द्वार से जानकारी ले सकते है .

मेरी राय यह है की अगर आप मानसून पैलेस जाते है तो सूर्यास्त जरूर देखे और ऑटोरिक्शा से न जाये . तस्वीरे खींचने का शौक है तो ये जगह आपके लिए वरदान है यंहा ड्रोन उड़ने की भी इजाजत है .

महल का पता

कोडियात , उदयपुर, 313011

समय – 09:30 – 7.30

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