Learn, some untold story about Rishikesh's Beatles Ashram
Beatles Ashram – ये किस्सा है बीसवीं सदी के सबसे बड़े राॅक बैंड द बीटल्स के भारत भ्रमण का ,जब ब्रिटेन पॉप बैंड द बीटल्स पूरी दुनिया में करोड़ दिलो पर अपनी जादुई धुन से राज कर रहा था. 60 के दशक में चार युवाओं के इस बैंड ने वो करिश्मा रचा कि लीवरपूल के इस बैंड ने ब्रिटेन पॉप म्यूजिक व राॅक एन राॅल को संगीत जगत की धरोहर व लीक बना दिया. करोड़ो कान सुनने लगे ,लाखों लोग गुनगुनाने लगे और दिल व दिमाग द बीटल्स बैंड के जुनून में सराबोर हो उठे. बीटल्स ने चार लोगों के साथ मिलकर अपने राॅक बैंड से देश दुनिया में धूम मचा रखी थी, दीवानगी का आलम अव्वल दर्जे का था. गीत व धुनों का वो रस घोला बीटल्स बैंड ने कि आज तक कानो में गूंजते हैं इनके गीत.
जिस 60 के दशक में दुनिया बीटल्स के राॅक म्यूजिक की दीवानी थी ठीक उसी समय इन राॅक स्टारो की दीवानगी और उत्सुकता योग व अध्यात्म की ओर जागी. बस फिर क्या था बोरिया बिस्तर बांधा व चले आये महर्षि महेश योगी के आश्रम ( Beatles Ashram ) ऋषिकेश चले आए.
ऋषिकेश में 18 एकड़ में राजा जी नेशनल पार्क में महर्षि महेश योगी का एक आश्रम था जिसे चौरासी आश्रम कहते थे. वहां योगसाधना के लिये गोल गुंबदाकार दो मंजिला चौरासी कुटिया बनी थी जिनमें बैठकर योग ध्यान होता था. महर्षि महेश योगी उस समय दुनिया में भारतीय योगकला व अध्यात्मिक दर्शन के नये आइकन के रूप में प्रसिद्ध थे.
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अध्यात्म व दर्शन के मामले में भारत कि ओर दुनियां खिंची चली आती है , बस इसी आकर्षण के चलते संगीत के सितारे भारत की धरती पर साल 1968 में दिल्ली आए. यहां से फिर वह ऋषिकेश के महर्षि महेश योगी के आश्रम पहुंचे. यहां राॅक के इन महारथियों ने चालीस के करीब गाने रचे अपने बैंड बीटल्स के लिये ,एक से एक जबरदस्त जो बाद में खूब बजे. यहां पर यह लोग ध्यान करते शाकाहारी खाना खाते और गीत गाते.
कुछ सालों बाद महेश योगी ने भी यह आश्रम अपने शिष्यों के साथ छोड़ दिया और बियाबान में अकेला रह गया मगर बीटल्स के कारण आज भी यहां लोग आते रहते हैं. उस समय यह आश्रम बहुत अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस था, बेलबूटे ,घास फूस ,हरे तोते , बहुत सारे परिंदे ,सुंदर सुसज्जित कुटियां सब मनमोहक थे. बाद में यह अस्सी के दशक से खंडहर बन गया ,यहां भूतहा आश्रम पर जंगली बेल व झाड़ियां चढ़ने लगी.
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वहीं Beatles Ashram के नाम से विख्यात महर्षि महेश योगी के ’84 कुटिया आश्रम’ को 8 दिसंबर 2015 को आम जनता के लिए खोल दिया गया था. आश्रम अब ईको फ्रेंडली टूरिस्ट लोकेशन में तब्दील हो चुका है. यहां पर मेडिटेशन क्लास और योग क्लास चलाती है.
बीटल्स आश्रम, जिसे चौरासी कुटिया के रूप में भी जाना जाता है, उत्तराखंड राज्य के उत्तर भारतीय शहर ऋषिकेश के करीब एक आश्रम है. यह हिमालय की तलहटी में ऋषिकेश के मुनि की रेती क्षेत्र के सामने गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है.
दुनिया के मशहूर पॉप बैंड ग्रुप ‘बीटल्स’ आज से 50 साल पहले भारत आया था, वो भी आध्यात्मिक जागृति की खोज में, ताकि वह अपने संगीत में तब्दीली ला सके. ग्रुप के मेंबर ऋषिकेश के जिस आश्रम में रुके थे, वह महर्षि महेश योगी का था. वो उनके गुरू भी थे. अब हिमालय की गोद में बसा ऋषिकेश का यह आश्रम बीटल्स के जाने के बाद यहां की दीवारों पर आज भी बीटल्स के फैन्स के मैसेजेज लिखे हुए हैं. स्प्रे पेंट से ढेरों कलाकृतियां बनी हैं. आश्रम को बाकायदा ‘बीटल्स आश्रम’ का नाम दिया गया है, लेकिन इसकी हालत देख कोई नहीं कह सकता है कि यहां दुनिया के सबसे मशहूर पॉप ग्रुप ने कभी कुछ दिन गुजारे थे और अपनी नई धुनें भी गढ़ी थीं.
2003 से यह इलाका वन विभाग के क्षेत्र में शामिल कर लिया गया. धीरे धीरे इसे फिर से खोलने पर विचार किया गया. आखिरकार 8 दिसंबर 2015 को “बीटल्स आश्रम” के नाम से सैलानियों के लिए खोला गया. आश्रम में जाने के लिए भारतीयों को 150 और विदेशियों को 700 रुपये की टिकट लेनी होगी.
1968 में विश्व प्रसिद्ध बीटल्स बैंड के सदस्यों के यहां आने के बाद से विदेशों में इस केंद्र की ख्याति बढ़ने के बाद से तीर्थनगरी में विदेशियों की आमद बढ़ी. बीटल्स के सदस्यों के लंबे समय तक चौरासी कुटिया में रहने के बाद से इस आश्रम को बीटल्स आश्रम भी कहा जाने लगा था. 1995 से उक्त क्षेत्र राजाजी नेशनल पार्क के अधिकार क्षेत्र में है. हालांकि इसके बाद भी क्षेत्र में भ्रमण के लिए विदेशी पर्यटकों का आवागमन होता रहा है. कुछ दिनों से परिसर में पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही थी.
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