देश के ये 12 मंदिर साबित करते हैं कि यौन संबंध को लेकर हमारे पूर्वज कितने सहज थे
Sex Temple: सेक्स, करते सब हैं पर भारतीय बात करने में ऐसे हिचकिचाते हैं, मानो ये कोई प्राकृतिक प्रक्रिया न होकर कोई बीमारी हो. जिसके बारे में बात करने से ये छूत रोग की तरह बात करने वाले को लग जाएगा और वो बीमार हो जाएगा. हिन्दू धर्म में सेक्स यानी ‘काम’ के भी देवता हैं. फिर भी सेक्स के साथ ‘छी’ वाली भावना लगी हुई है. सेक्स पर खुलकर बात करना पाश्चात्य संस्कृति का असर कह दिया जाता है, जबकि ‘कामसूत्र’ भारत की ही देन है. आप सेक्स पर बात करें या न करें, लेकिन हमारे पूर्वज सेक्स के मामले में काफ़ी खुले विचारों वाले थे. सबूत है खजुराहो के मंदिर. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ़ खजुराहो ही नहीं, भारत में खजुराहो जैसे और भी मंदिर हैं, जिनकी दीवारों पर हमारे पूर्वजों के खुले विचारों की तस्दीक मिलती है.
Sun Temple, Konark, Odisha
एक विराट रथ के आकार में बनाया गया है कोणार्क का सूर्य मंदिर. मान्यता है कि इसका निर्माण कृष्ण के पुत्र सांबा ने करवाया था. कोणार्क मंदिर में बनाई गई कामुक मू्र्तियों की बारीकियां आश्चर्यचकित करने वाली हैं.
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Jagdish Temple, Udaipur, Rajasthan
इस मंदिर को जगन्नाथ राय और जगदीश जी भी कहा जाता है. उदयपुर स्थित इस मंदिर को 1651 मे बनवाया गया था. विष्णु देव को समर्पित ये मंदिर काले पत्थर और अन्य धातुओं से बनाया गया है. मंदिर की बाहरी दिवारों पर कामुक मूर्तियां बनाई गई हैं.
Raja Rani Temple, Bhubaneshwar, Odisha
11वीं शताब्दी का ये हिन्दू मंदिर इंद्रेश्वर के नाम से जाना चाहता था. स्थानीय निवासी इसे ‘प्रेम का मंदिर’ कहते हैं. ये ‘पंचरथ’ शैली में बनाया गया है. इतिहासकारों के अनुसार, मध्य भारत के कई मंदिरों का वास्तुशिल्प इस मंदिर से प्रेरित है. देवी-देवताओं, रोज़मर्रा के काम-काज के अलावा इस मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियां भी बनाई गई हैं.
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Khajuraho Temples, Khajuraho, Madhya Pradesh
खजुराहो का मंदिर चंदेल वंश के राजाओं ने बनवाया था. यहां 85 मंदिर थे, जिनमें से सिर्फ़ 20 ही बचे हैं. खजुराहो के मंदिरों की बाहरी दीवारों की कामुक मूर्तियां विश्वप्रसिद्ध हैं और यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल हैं. कुछ शोधार्थी इन मूर्तियों को तांत्रिक सेक्स की मूर्तियां मानते हैं, तो कुछ कामसूत्र किताब के दृश्य के अंश मानते हैं.
Lingaraj Temple, Bhubaneswar, Odisha
भगवान हरिहर को समर्पित है भुवनेश्वर का सबसे बड़ा मंदिर, लिंगराज. लिंगराज का शाब्दिक अर्थ है, ‘लिंग के राजा’. इसे ललाटेडुकेश्वरी ने 617-657 ईं के बीच बनवाया था. इस मंदिर में कामसूत्र किताब के कई दृश्य भी हैं.
Markandeshwar Temple, Gadchiroli, Maharashtra
कहा जाता है कि दानवों ने इस मंदिर का निर्माण सिर्फ़ एक रात में किया था. यही कारण है कि इस मंदिर के बाहर कामुक मूर्तियां बनी हैं. महाशिवरात्रि के दिन यहां भव्य मेला लगता है.
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Virupaksha Temple, Hampi, Karnataka
बेंगलुरू से 350 किलोमीटर की दूरी पर है हम्पी और यहीं हैं वीरुपक्ष मंदिर. ये मंदिर, वीरुपक्ष (शिव के ही एक रूप) को समर्पति है. इस मंदिर को विजयनगर साम्राज्य के देव राजा 2 के एक सरदार, लक्कन डंडेशा ने बनवाया था. इस मंदिर में आज भी पूजा होती है.
Bhoramdev Temple, Kabirdham, Chhattisgarh
इस स्थान पर कुल 4 मंदिर हैं. इतिहासकारों के अनुसार 1100 ई. में इसका निर्माण करवाया गया था. इस मंदिर के बाहर और अंदर मिथून और कामसूत्र किताब के दृश्य बनवाए गए हैं. कहा जाता है कि जिस राजा ने इसे बनवाया था, वो तंत्र साधना भी करता था.
Ranakpur Jain Temple, Pali, Rajasthan
तीर्थांकर आदिनाथ को समर्पित, ये जैन मंदिर राजस्थान के पाली ज़िले का मुख्य आकर्षण है. इसे धर्म शाह ने बनवाया था. संगमरमर से बने इस मंदिर में 1400 स्तंभ हैं. यहां कई कामोत्तेजक मूर्तियां हैं.
Sun Temple, Modhera, Gujarat
सोलंकी वंश के भीमदेव 1 ने ये मंदिर बनवाया था. मंदिर के बाहरी दीवारों पर सूर्य उकेरे गए हैं, वो भी कुछ यूं कि Equinox(विषुव) के समय सूर्य की सबसे पहली किरण इन सूर्यों पर पड़ती है. इस दिलचस्प बनावट के अलावा यहां भी संभोग करते हुए पुरुष-स्त्री की आकृतियां बनाई गई हैं.
Nanda Devi Temple, Almora, Uttarakhand
देवभूमि उत्तराखंड के अल्मोड़ा में लगभग हज़ार साल पुराना देवी नंदा का मंदिर है. इस मंदिर में भी कुछ कामुक मूर्तियां उकेरी गई हैं. 12 साल में एक बार यहां नंदा देवी राजजात (एक यात्रा) निकाली जाती है.
Tripurantakeshwar Temple, Shivamogga, Karnataka
1070 ई. के आस-पास बनवाया गया ये मंदिर अब जर्जर स्थिति में है. इस मंदिर की खिड़कियों पर बेहद ख़ूबसूरत कारीगरी की गई है. शिव, ब्रह्मा, विष्णु की मूर्तियों के अलावा यहां भी कामसूत्र किताब के कुछ दृश्य और पाठ उकेरे गए हैं.