Things to know about Tibetan National Flag - Travel Junoon
Tibetan National Flag –भारतीय सेना की विकास रेजिमेंट के शहीद जवान नीमा तेंजिन के अंतिम संस्कार के मौके पर उनकी पत्नी को भारतीय सेना ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ तिब्बती ध्वज भी सौंपा. भारतीय सेना द्वारा आधिकारिक तौर पर ऐसा करने से, हर किसी का ध्यान तिब्बती ध्वज पर चला गया. तेंजिन के अंतिम संस्कार से जुड़े काफिले में भी तिरंगे के साथ साथ तिब्बती ध्वज लहराते दिखाई दिए. इससे पहले, कम ही भारतीय इस ध्वज से परिचित रहे होंगे. हां, बौद्ध ध्वज से उनका विशेष प्रेम जगजाहिर है. आप इसे ट्रैवलर्स की बुलेट या जिप्सी पर टंगा अवश्य देखते होंगे. बौद्ध ध्वज की विशेषता और महत्व पर हमने पहले एक आर्टिकल लिखा हुआ है आप उसके लिंक पर जाकर उस आर्टिकल को पढ़ सकते हैं लेकिन आज हम आपको बौद्ध ध्वज के बारे में बताने जा रहे हैं. तिब्बती ध्वज, आज भी भारत और दुनिया भर में निर्वासन में जीवन बिता रहे लाखों तिब्बती लोगों की पहचान से जुड़ा है. चीन के दमन और तिब्बती लोगों पर किए गए अत्याचार के बाद इसी ध्वज के तले पूरा तिब्बती समाज एकजुट हुआ. आइए आज जानते हैं इस तिब्बती ध्वज की पहचान को, आखिर ये ध्वज कहता है क्या, इसे जानते हैं.
सातवीं शताब्दी के राजा, सोंगत्सेन गम्पो के शासनकाल के दौरान, तिब्बत मध्य एशिया में सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था. उस समय तिब्बत में 2,860,000 पुरुषों की सेना थी. इस सेना के हर रेजीमेंट का अपना एक ध्वज होता था. रेजीमेंट के ध्वज में एक-दूसरे की ओर मुंह किए हुए दो हिम सिंह अंकित थे. दोनों शेर सीधे खड़े थे और गर्दन उपर की ओर उठाकर आसमान की तरफ देख रहे थे. इसी प्रकार यू-रफ रेजीमेंट के ध्वज पर लाल रंग की पृष्ठभूमि में सफेद लौ निकलता दिखता था. यह परंपरा तब समाप्त हो गई जब तेरहवें दलाई लामा ने एक नए ध्वज का प्रारुप तैयार किया और यह घोषणा की कि सभी रेजीमेंट इसे अपनाएं. वही ध्वज आज तिब्बत का राष्ट्रीय झंडा है.
तिब्बती राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीकों की व्याख्या तिब्बत के ध्वज के बीच में एक बर्फ से ढंका विशाल पर्वत बना हुआ है जो महान तिब्बत देश का प्रतीक है क्योंकि तिब्बत को बर्फीले पहाड़ों से घिरे देश के रूप में जाना जाता है.
Buddhism Prayer Flags : सिर्फ बाइक पर ही लगाते हैं या इनका महत्व भी पता है?
ध्वज पर बने गहरे नीले आकाश में फैली हुई छह लाल पट्टियां तिब्बती लोगों के मूल पूर्वजों का प्रतीक हैं. छह तिब्बती जनजातियां से, मु, डांग, तांग, द्रु और रा के नाम से जानी जाती हैं. इन जातियों से ही बारह वंशों का उदय हुआ. छह लाल पट्टियाँ जनजातियों के लिए और छह गहरे नीले रंग की पट्टियां, आकाश के लिए, काले व लाल अभिभावक देवताओं की शिक्षाओं और पंथ निरपेक्ष जीवन का अविरल प्रदर्शन का प्रतिनिध्त्वि करता है, जिसके साथ तिब्बत अनादि काल से जुड़ा हुआ है.
ध्वज में बने बर्फीले पहाड़ों पर तेज चमकती हुई सूरज की किरणें सभी दिशाओं में पड़ती दिखती हैं. यह इस बात को बताता है कि तिब्बत की भूमि पर रहने वाले सभी लोगों को समान रूप से स्वतंत्रता, आध्यात्मिक और भौतिक खुशी और संपन्नता का लाभ मिलेगा.
पहाड़ों के ढलान पर दो सिंह गर्व के साथ तनकर खड़े हैं, उनके पीछे निर्भयता का तेज प्रकट हो रहा है जिसका मतलब यह है कि तिब्बत ने एक एकीकृत आध्यात्मिक और पंथ निरपेक्ष जीवन कायम रखने का गुण हासिल किया है. पर्वत के ऊपर चमकता सुंदर और कोनेदार तीन रंगों वाला रत्न तिब्बती लोगों द्वारा तीन सर्वोच्च जवाहरात, आश्रय के विषयः बौद्ध धर्म और संघ के प्रति व्यक्त किए जाने वाले सम्मान को व्यक्त करता है.
दोनों सिंहों के बीच स्थित दो रंगों वाला घूमता हुआ रत्न सही नैतिक आचरण रखने के लिए लोगों के द्वारा आत्मअनुशासन का संरक्षण करने और दिल में बनाए रखने के प्रयास को व्यक्त करता है, जो प्रमुख रूप से दस उन्नत सदगुणों और 14 लोगों क द्वारा प्रकट होता है.
ध्वज में सुंदर पीला किनारा भगवान बुध की शिक्षाओं का प्रतीक है, जो, शुद्ध सोने की भांति है और काल व स्थान से परे हैं और फल-पफूल तथा फैल रही हैं.
Iran Travel Blog : ईरान, जिसे पहले फारस (Persia) के नाम से जाना जाता था,… Read More
Pahalgam Travel Guide : भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम (Pahalgam) उन चंद जगहों में… Read More
Haifa Travel blog: इजरायल और ईरान युद्ध में जिस एक शहर की चर्चा सबसे ज्यादा… Read More
Jagannath Puri Temple, ओडिशा का एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल आस्था बल्कि… Read More
उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ तक पहुँचने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु Helicopter Services… Read More
Air travel को भले ही आज सबसे सुरक्षित transport modes में गिना जाता है, लेकिन… Read More