Bhima Betka : भीम बेटका में कुल 80 गुफाएं हैं, जिनमें से 20 गुफाएं ही वर्तमान में देखी जा सकती हैं.....
Bhima Betka : 10 हजार साल पुरानी संस्कृति में किस प्रकार से लोग रहा करते थे. किस प्रकार वह शिकार करते थे. उसका जीता जाता उदाहरण चंबल क्षेत्र के पहाड़गढ़ में आज भी देखने को मिल रहा है. पुरातन काल में मानव सभ्यता के चिन्ह आज भी गवाह है कि उस समय की संस्कृति कैसी रही होगी.
यह जानकर कुछ लोगों को आश्चर्य होगा कि भीमबेटका के समकालीन शैल चित्र चंबल संभाग के मुरैना जिले की पहाड़गढ़ तहसील में आज भी मौजूद है. अपने वजूद को लेकर उस समय के लोग किस प्रकार से रहते थे और अपना जीवन यापन करने के लिए किस प्रकार से शिकार किया करते थे. उनकी इस जीवन शैली से जीवन जीने का एक आधार दिखता है. उनकी कला एवं संस्कृति आज भी प्रासंगिक है.
मुरैना से 70 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ के घने जंगलों में छाज नामक स्थान पर यह चित्र पत्थर पर लाल रंग से उकेरे गए हैं. हजारों साल निकलने के बाद भी यह चित्र आज भी अच्छी स्थिति में है. आज सरकार द्वारा इनको संरक्षण की आवश्यकता है. अगर संरक्षण मिल जाता है, तो आगे आने वाले समय में जो पीढ़ियां आंएगी वह इन्हें देख सकेगी एवं इन विषयों पर शोध भी कर सकेगी. शोध के द्वारा लोगों को पता चल सकेगा कि 10 हजार साल पुरानी संस्कृति में किस प्रकार से लोग रहा करते थे.
भीम बेटका में कुल 80 गुफाएं हैं, जिनमें से 20 गुफाएं ही वर्तमान में देखी जा सकती हैं.इसे लिखि संस्कृति कहते हैं. इसमें बताया गया हैै कि 10 हजार साल पहले लोग नदीं के कनारे कैसे रहते थे तथा क्या खाते थे.
भीम बेटका घने जंगल में है. वहां गाड़ी नहीं जा सकती है. जंगली जानवरों का डर है. पहले डाकू रहते थे, जिसकी वजह से लोग वहां बहुत कम जाते हैं. पुरातत्व विभाग द्वारा भी वहां कोई नहीं रहता है. नदी का किनारा है. वहां आसन्न और सांख नदी दोनों का मिश्रण पड़ जाता है.
भीम बेटका घने जंगह में है. इसिलए लोग नहीं जाते हैं. जंगली जानवरों का डर है. विभाग द्वारा भी अभी वहां कोई व्यक्ति नहीं रखा गया है. कई लोग भित्त चित्रों को खराब भी कर आते हैं. इसीलिए हमने पहले मुख्यमंत्री से एप्रोच रोड की घोषणा करवाई थी. जिसमें स्थानीय विधायकों ने साथ दिया था. इसमें वन विभाग से परमीशन लेने की बात कही गई थी. वन विभाग से जगह लेने का प्रस्ताव भेजा गया है लेकिन अभी इस पर कोई निर्णय नहीं हु्आ है.
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