Swami Samarth: Akkalkot के दिव्य संत जिनके चमत्कार आज भी होते हैं अनुभव
Swami Samarth : भारत की संत परंपरा में कुछ महापुरुष ऐसे हुए हैं जिनका जीवन ही एक चमत्कार था. उनमें से एक हैं अक्कलकोट के महाराज Swami Samarth, जो अपने अनंत कृपा, असाधारण सिद्धियों और भक्तों के कल्याण के लिए फेमस हैं. कहते हैं, “जो भी सच्चे मन से ‘स्वामी समर्थ’ का नाम लेता है, उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं इस आर्टकिल में स्वामी समर्थ के बारे में विस्तार से…
स्वामी समर्थ 19वीं शताब्दी के एक महान संत और सिद्ध पुरुष थे. वे मुख्य रूप से महाराष्ट्र के अक्कलकोट में रहते थे, जहां उन्होंने अनगिनत भक्तों का मार्गदर्शन और कल्याण किया. उनका जीवन साधना, करुणा और चमत्कारों से भरा था.
स्वामी समर्थ को भगवान दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है. दत्तात्रेय त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – के संयुक्त रूप हैं, और इन्हें योग, ज्ञान और भक्ति के अधिष्ठाता देवता कहा जाता है.
स्वामी समर्थ का जन्म रहस्यमय माना जाता है. कहा जाता है कि वे किसी सामान्य माता-पिता के गर्भ से नहीं, बल्कि दिव्य प्रकट रूप में संसार में आए थे. भक्त मानते हैं कि वे पहले हिमालय में तपस्या करते थे और फिर अक्कलकोट पधारे. कुछ मान्यताओं के अनुसार, वे पिछले जन्म में श्री नारसिंह सरस्वती थे.
अक्कलकोट (महाराष्ट्र) स्वामी समर्थ की मुख्य कर्मभूमि मानी जाती है. यहां वे लगभग 22 वर्षों तक रहे और भक्तों को उपदेश व आशीर्वाद देते रहे हैं. अक्कलकोट आज भी स्वामी समर्थ की लीलाओं का जीवंत साक्षी है.
अक्कलकोट, महाराष्ट्र – मुख्य मंदिर (समाधि स्थल)
कराटी, महाराष्ट्र
पुणे, महाराष्ट्र
सोलापुर, महाराष्ट्र
नागपुर, महाराष्ट्र
इंदौर, मध्य प्रदेश
भारत के बाहर भी अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में भक्तों ने मंदिर स्थापित किए हैं.
मंदिर में प्रवेश से पहले स्नान और शुद्ध वस्त्र धारण करना
चप्पल या जूते बाहर उतारना
“जय जय रघुवीर समर्थ” का जाप करना
प्रसाद और फूल अर्पित करना
समाधि स्थल पर शांति बनाए रखना और मन को एकाग्र रखना
स्वामी समर्थ की पवित्र चरण पादुका अक्कलकोट के मुख्य मंदिर में विराजमान हैं. इन पादुकाओं के दर्शन को अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है.
स्वामी समर्थ ने 1888 ईस्वी में, लगभग 72 वर्ष की आयु में, अक्कलकोट में समाधि ली. उनकी समाधि आज भी भक्तों के लिए आशीर्वाद का केंद्र है।
भारत और विदेशों में लाखों-करोड़ों लोग स्वामी समर्थ को गुरु और दत्तात्रेय अवतार मानकर पूजा करते हैं. विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में इनके अनुयायी अधिक हैं.
असाध्य रोगों का उपचार – सिर्फ नाम स्मरण से रोगी स्वस्थ हो जाना
भविष्यवाणी – भक्तों के जीवन की घटनाओं का सटीक ज्ञान
संकट मोचन – कठिन परिस्थितियों से भक्तों को निकालना
अन्न-सृजन – भक्तों के लिए चमत्कार से भोजन की व्यवस्था करना
दूरदर्शन शक्ति – भक्त कहीं भी हों, उनके कष्ट का अनुभव कर मदद करना
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