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साल में सिर्फ एक दिन खुलता है यह मंदिर – जानें Lingeshwari Mata Temple का रहस्य!

छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले के आलोर गांव में स्थित Lingeshwari Mata Mandir अपनी अनोखी परंपरा और गहरी आस्था के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर पहाड़ों के बीच बना है और पूरे साल के लिए बंद रहता है. केवल भाद्रपद नवमी के बाद आने वाले पहले बुधवार को ही मंदिर का प्रवेश द्वार खोल दिया जाता है. इस वजह से इसे लोग ‘One Day Temple’ भी कहते हैं.

इस खास दिन का इंतजार पूरे साल भक्त करते हैं. मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालु छत्तीसगढ़ के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी आते हैं. यह मंदिर खासकर संतान प्राप्ति (Child Blessings) की आस्था से जुड़ा है. यहां आने वाले दंपति प्रसाद के रूप में खीरा ग्रहण करते हैं, जिसे पति-पत्नी मिलकर बांटकर खाते हैं.ऐसा करने से माना जाता है कि उनकी संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है.

Temple Tradition और भविष्यवाणी की रहस्य कथा || Temple Tradition and the Mystery Story of Prophecy

मंदिर की गुफा को बंद करते समय द्वार पर रेत बिछाई जाती है. अगले साल जब गुफा खोली जाती है, तो पुजारी उन रेत पर बने पदचिह्नों से पूरे साल के लिए भविष्यवाणी करते हैं. कमल के पदचिह्न समृद्धि का संकेत देते हैं, जबकि बाघ या बिल्ली के निशान खतरे और भय का प्रतीक माने जाते हैं. यही परंपरा पूरे क्षेत्र का वार्षिक कैलेंडर तय करती है.

मंदिर का इतिहास और पौराणिक मान्यता || History and mythological significance of the temple

कहते हैं कि बहुत समय पहले एक शिकारी खरगोश का पीछा करते हुए इसी गुफा तक पहुंचा.अचानक खरगोश गायब हो गया और वहीं पत्थर के रूप में लिंग प्रकट हुआ. बाद में माता ने स्वप्न में आदेश दिया कि साल में केवल एक दिन मेरी पूजा होगी। तभी से यह परंपरा आज तक जारी है.

 मंदिर के कपाट और दर्शन || The temple’s doors and darshan

लिंगेश्वरी माता मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि इसके कपाट साल में केवल एक दिन के लिए खोले जाते हैं. यह दिन विशेष रूप से सावन माह के पहले मंगलवार को निर्धारित किया गया है.इस दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर पहुँचते हैं, और प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. मंदिर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी की चढ़ाई करनी पड़ती है, और गुफा के भीतर प्रवेश के लिए एक बड़े पत्थर को हटाना पड़ता है.

मंदिर की विशेषताएं और पूजा विधि || Features of the temple and the method of worship

मंदिर में पूजा का एक विशिष्ट तरीका है. यहां श्रद्धालु खीरा चढ़ाते हैं, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है. माना जाता है कि खीरा चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, और जो भी श्रद्धालु यहां अपनी इच्छाएं लेकर आते हैं, वे खाली हाथ नहीं लौटते। यह परंपरा मंदिर की विशिष्टता को और भी बढ़ाती है.

मंदिर का महत्व और श्रद्धालुओं की आस्था || The significance of the temple and the faith of the devotees

लिंगेश्वरी माता मंदिर न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है. यहां विशेष रूप से संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपत्ति आते हैं, और उनकी इच्छाएं पूरी होने की मान्यता है. मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहाँ पूजा के लिए चढ़ाए गए खीरे को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, जिसे श्रद्धालु अपने घर ले जाते हैं.

मंदिर तक पहुंचने का रास्ता || The way to reach the temple

लिंगेश्वरी माता मंदिर कोंडागांव जिले के आलोर गांव में स्थित है. यह स्थान कोंडागांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर है, और यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है. श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी की चढ़ाई करनी पड़ती है, और गुफा के भीतर प्रवेश के लिए एक बड़े पत्थर को हटाना पड़ता है.

सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था || Security and administrative arrangement

मंदिर का स्थान नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होने के कारण, प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं. मंदिर के कपाट खुलने के दिन, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों की तैनाती की जाती है, ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

लिंगेश्वरी माता मंदिर छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले का एक अद्वितीय और रहस्यमयी धार्मिक स्थल है.यह मंदिर अपनी विशिष्ट पूजा विधि, मान्यताओं और परंपराओं के कारण श्रद्धालुओं के बीच विशेष स्थान रखता है. मंदिर की एक दिन के लिए खुलने वाली परंपरा इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है, और यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाते हैं.

 

Komal Mishra

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