Teerth Yatra

क्या सचमुच छोटा GOA बनता जा रहा है RISHIKESH, या मुझे ही लग रहा है!

ऋषिकेश से हमेशा से ही मेरा एक जुड़ाव रहा है. पहाड़ का ये पहला शहर था जहां मैं कॉलेज में रहते हुए स्टडी टूर पर गया था. मां गंगा, आरतियां और पर्वतों की चोटी सब कुछ तो है इस जगह पर. पोस्ट ग्रेजुएशन में डिप्लोमा करते हुए मैं भारतीय विद्या भवन के स्टडी टूर पर पहली बार इस शहर में आया था. हालांकि वो एक स्टडी टूर था और 7 दिन के टूर में से 6 दिन हम या तो कैंपस, जो गढ़वाल मंडल विकास निगम का भारत भूमि गेस्ट हाउस था, में थे या फिर स्टडी टूर के प्रोजेक्ट के सिलसिले में बाहर, जैसे बीटल्स आश्रम, राम झूला, गंगा घाट. 

इन 6 दिनों के सफर में मैंने ऋषिकेश के नैसर्गिक सौंदर्य को करीब से जाना और समझा था. ये मेरी पर्वतों के इस शहर से पहली मुलाकात थी और जो मेरा घुमक्कड़ी का पहला प्यार भी बन गया था. इस स्टडी टूर के लास्ट डे मैं बच्चों के साथ एक ट्रैकिंग रूट पर गया था. इस आखिरी दिन ने तो और भी चार चांद लगा दिए थे ट्रिप में.


इसके बाद 2 बार मैं स्टडी टूर में गेस्ट फैकल्टी के तौर पर गया और कई बार दोस्तों और परिवार के साथ. हाल में मैं मई 2019 को दूसरे वीकेंड पर अपने दोस्त विपिन के साथ ऋषिकेश गया था. इस सफर में हालांकि हमें ट्रैवल जुनून के साथ रिसॉर्ट्स के टाई अप्स को लेकर मीटिंग करनी थी लेकिन मैंने इस एक दिन के सफर में भी ऋषिकेश को एक नए रूप में देखा. 

मई की दुपहरी में जब हम लक्ष्मण झूला की तरफ बढ़े जा रहे थे हमें गांव कस्बों से इस आध्यात्मिक नगरी में आए लोग तो दिखाई ही दे रहे थे, साथ में ऐसे विदेशी सैलानी भी दिखाई दे रहे थे, जो भारत की लंबी यात्राओं पर आए हुए थे. विदेशी सैलानियों का कपड़े पहनने का अंदाज हो या खुलापन, मुझे ये देखकर गोवा की याद आ गई. जहां मैं अक्टूबर 2018 में गया था. 

TRAVEL BOOKING के लिए संपर्क करें- GOTRAVELJUNOON@GMAIL.COM

कमर्शलाइजेशन इस शहर को लगातार अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है. और सस्ते ट्रिप को चाहने वाले टूरिस्ट भी शहर की तरफ इसी रफ्तार से खिंचते चले आ रहे हैं. मैंने ऐसे कई प्रेमी जोड़ों को देखा जो मौज मस्ती के लिए यहां आए थे. वह गंगा के घाट पर वह सब कर रहे थे, जो इस शहर से उसके आध्यात्मिक स्वरूप को पीछे सा करता नजर आ रहा था. इंडियन टूरिस्ट भी विदेशी सैलानियों की तरह कपड़ों और उनमुक्तता को पकड़ते दिखाई दे रहे थे.

मैंने लक्ष्मण झूला के रास्ते में, गंगा के घाटों पर और होटेल्स में एक अलग रूप देखा जो कहीं से भी ऋषिकेश को लेकर जो मेरी धारणा थी, उसपर फिट नहीं बैठ रहा था. हो सकता है मैं गलत होऊं, लेकिन मेरे विचार से ऋषिकेश से आध्यामिकता का ये स्वरूप न सिर्फ कमर्शलाइजेशन छीन रहा है बल्कि उससे ज्यादा ये छद्म आधुनिकता के नाम पर बदलते टूरिस्ट्स. अगर आपको मैं गलत लग रहा हूं तो प्लीज बताएं और अगर सही तो भी बताएं.

आप कॉमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें. या हमें लिख भेजें- gotraveljunoon@gmail.com पर

Recent Posts

ईरान में भारतीय पर्यटकों के लिए घूमने की बेस्ट जगहें और Travel Guide

Iran Travel Blog : ईरान, जिसे पहले फारस (Persia) के नाम से जाना जाता था,… Read More

3 days ago

Pahalgam Travel Guide : पहलगाम क्यों है भारत का Hidden Heaven? जानिए सफर से लेकर संस्कृति तक सब कुछ

Pahalgam Travel Guide : भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम (Pahalgam) उन चंद जगहों में… Read More

5 days ago

Haifa Travel blog: इजराइल के हाइफा से क्या है भारत का रिश्ता, गहराई से जानिए!

Haifa Travel blog: इजरायल और ईरान युद्ध में जिस एक शहर की चर्चा सबसे ज्यादा… Read More

6 days ago

Unmarried Couples का Entry Ban: आखिर क्या हुआ था Jagannath Temple में राधा रानी के साथ?

Jagannath Puri Temple, ओडिशा का एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल आस्था बल्कि… Read More

6 days ago

केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश क्यों होते हैं? जानें पीछे के 5 बड़े कारण

उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ तक पहुँचने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु Helicopter Services… Read More

1 week ago

Top 7 Plane Crashes: जब एक पल में खत्म हो गई सैकड़ों जिंदगियां!

Air travel को भले ही आज सबसे सुरक्षित transport modes में गिना जाता है, लेकिन… Read More

1 week ago