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Lansdowne Travel Blog : उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित लैंसडाउन (Lansdowne) एक बेहद ही खूबसूरत सा हिल स्टेशन है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 1706 मीटर है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता दिल छू लेने वाली है। यहां का मौसम पूरे साल खुशनुमा बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग सी दुनिया का एहसास कराती है। दरअसल, इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बनाया था।
इस खूबसूरत हिल स्टेशन को अंग्रेजों ने साल 1887 में बसाया था। उस वक्त के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम पड़ा। वैसे तो इस जगह का वास्तविक नाम कालूडांडा है। ये पूरा क्षेत्र सेना के अधीन ही आता है और ये गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहां पर गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम को भी देख सकते हैं। यहां पर गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक बहुत ही आसानी से आपको मिल जाएगी।
सड़क के रास्ते से लैंसडाउन आसानी से पहुंचा जा सकता है। ये कई शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है। प्राइवेट और सरकारी बसें भी कोटद्वार तक जाती हैं, जहां से लैंसडाउन करीब 40 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा आप ट्रेन से यहां जाना चाहते हैं तो दिल्ली से गढ़वाल एक्सप्रेस से कोटद्वार स्टेशन तक जा सकते हैं। जहां से आपको आसानी से टैक्सी या लोकल सर्विस मिल जाएगी। लैंसडाउन के पास सबसे बड़ा हवाई अड्डा देहरादून का पड़ता है। लेकिन ये लैंसडाउन से करीब 152 किलोमीटर की दूरी पर है।
लैंसडाउन जाने के लिए वैसे तो साल में हर वक्त ही अच्छा है। क्योंकि इस जगह पर पूरे साल ही मौसम सुहावना बना रहता है। लेकिन फिर भी अगर आप मार्च से लेकर नवंबर महीने के बीच में यहां पर जाते हैं तो आपको ज्यादा मधुर वातावरण और अच्छे मौसम का आनंद आएगा। जो इस स्थान को देखने का बढ़िया वक्त है।
भुल्ला ताल गढ़वाल रेजिमेंट के वीर शहीदो को समर्पित एक छोटी सी और खूबसूरत झील है। जिसकी लम्बाई 140 मीटर और चौड़ाई 40.5 मीटर है। लेकिन इस छोटी सी झील में आप बोटिंग का आनंद उठा सकते है। इस झील के चारों तरफ कई खुबसूरत हट्स बनी हुई है। जहां पर बैठकर आप प्रकृति के दृश्यों का मजा ले सकते हैं। जब आप यहां पर बैठकर प्रकृति के दृश्यों का आनंद ले रहे हो, तो आपके बच्चे आपको परेशान न करें इसके लिए हट्स के पास ही बच्चो के खेल कूद और मनोरंजन के लिए झूले और बाकी चीजें भी रखी गई है। इस झील और उसके चारों तरफ के हिस्से की एक तार बांउड्री है। बांउड्री के बाहर कई खुबसूरत रिजॉर्ट और एक रेस्टोरेंट है। इस झील में प्रवेश के लिए और बोटिंग के लिए अलग अलग शुल्क देना होता है।
आम नागरिक प्रवेश शुल्क– 20 रूपये
सैन्य अधिकारी और परिजन प्रवेश शुल्क– 10 रूपये
आम नागरिक बोटिंग शुल्क — 80 रूपये
सैन्य अधिकारी और परिजन बोटिंग शुल्क – 30 रूपये
भुल्ला ताल से टिप एन टॉप की दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर है। भुल्ला ताल जाने वाले रास्ते से ही एक रास्ता ऊपर की तरफ जाता है जो टिप एन टॉप पर पहुंचता है। टिप एन टॉप इस सैन्य क्षेत्र के पहाड़ की चोटी है। जहां से हिमालय पर्वत की बर्फ से ढकी ही चोटियां साफ दिखाई पड़ती है और नीचे की ओर हजारों फीट गहराई है। यहां पर छोटे-छोटे कॉटेज और कई रेस्टोरेंट भी है। इन कॉटेज में आप रात को रुक भी सकते हैं।
ये संग्रहालय छावनी मुख्यालय और परेड ग्रांउड के पास बना हुआ है। इस संग्रहालय में गढ़वाल रेजिमेंट के अब तक के इतिहास और हथियारों को संभाल कर के रखा गया है।
100 साल पुराना ये छोटा सा चर्च खूबसूरत और देखने लायक है। साल 1895 में रॉयल इंजीनियर्स के एहेचबी ह्यूम द्वारा बनाई गई सेंट मैरी चर्च, लैंसडाउन की सुन्दर चर्चों में से एक है। साल 1947 में खंडित हुई इस चर्च को गढ़वाल रेजिमेंटल राइफल्स सेंटर ने दोबारा से बनवाया था।
ये लैंसडाउन का काफी प्रसिद्ध आश्रम है। लैंसडाउन के हरे भरे जंगलों के बीच में बने इस आश्रम के पास मालिनी नदी भी बहती है। ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर महाऋषि विश्वामित्र ने तपस्या की थी।
हिन्दू भगवान शिव को समर्पित तारकेश्वर महादेव मंदिर यहां के पवित्र धार्मिक स्थानों में से एक है। समुंद्री तट से 2092 मीटर की ऊंचाई पर बने, इस मंदिर में हर साल लाखों लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। ये मंदिर पहाड़ की चोटी पर बना है।
इसके अलावा जिन लोगों को ऐड्वेंचर का शौंक है तो वो यहां पर ट्रैकिंग और जंगल सफारी का अनुभव कर सकते हैं। लोग चाहे तो इस जगह पर ट्रैकिंग और जंगल सफारी का भी मजा ले सकते हैं। इस जगह का सबसे बढ़िया ट्रैकिंग रुट लवर्स लेन है। ये ट्रैकिंग के कई विकल्प भी प्रदान करता है। वहीं अलग अलग प्रजातियों के जानवरों से भरे इस क्षेत्र के हरे भरे जंगलों में सैलानी चाहे तो एक छोटी सी पैदल यात्रा कर सकते हैं। वहीं कई टूर ऑपरेटर वाजिब दाम में जंगल सफारी और ट्रैकिंग का आयोजन भी करवाते हैं।
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