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क्या ChatGPT हमें मानसिक रूप से आलसी बना रहा है? AI युग में दिमाग को तेज रखने के तरीके

क्लॉड शैनन, जिन्हें AI का जनक भी कहा जाता है, ने एक बार लिखा था “एक समय ऐसा आएगा जब हम रोबोट्स के लिए वही होंगे जो इंसान कुत्तों के लिए हैं और मैं मशीनों का समर्थन करता हूं। आज, जब हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सबसे तेज़, सक्षम और क्रिएटिव दौर में प्रवेश कर रहे हैं, यह सवाल पहले से ज़्यादा प्रासंगिक लगता है।

AI की ताकत: रचनात्मकता और विश्लेषण मशीनों को सौंप रहे हैं हम || The Power of AI: We Are Entrusting Machines with Creativity and Analysis

ChatGPT जैसे मॉडल जटिल निबंध, कविताएं और चित्र बना लेते हैं। Google Veo सिनेमाई स्तर का वीडियो generate करता है। Deep Research एजेंट कुछ सेकंड में रिसर्च रिपोर्ट तैयार कर देते हैं। मानवीय सोचने, कल्पना करने और विश्लेषण करने की क्षमता को अब मशीनें चुनौती देने लगी हैं।

MIT स्टडी: AI इस्तेमाल करने से दिमाग कम सक्रिय हुआ ||MIT Study: Using AI Makes the Brain Less Active

MIT Media Lab की स्टडी “Your Brain on ChatGPT” ने चिंताजनक संकेत दिए। 54 प्रतिभागियों पर 4 महीनों तक चलने वाले इस अध्ययन में पाया गया ChatGPT उपयोगकर्ताओं में 55% कम दिमागी गतिविधि देखी गई। बाद में बिना AI के लिखने पर भी कम मानसिक सक्रियता बनी रही,केवल 20% लोग अपना लिखा याद रख पाए। 16% ने स्वीकार भी नहीं किया कि यह उन्होंने लिखा था निष्कर्ष स्पष्ट था जो सोचने का काम हम मशीनों पर छोड़ देते हैं, उसका असर हमारे मस्तिष्क की क्षमता पर पड़ता है।

तकनीक हमेशा हमें बदलती आई है || Technology has always been changing us.

जसब्रीत बिंद्रा (Co-founder, AI & Beyond) याद दिलाते हैं — यह पहली बार नहीं है।

कभी हम फोन नंबर याद रखते थे — अब स्मार्टफोन याद रखते हैं।

रास्ते याद रहते थे — अब Google Maps रास्ता बताते हैं।

पहले जन्मदिन याद रखते थे — अब Facebook याद दिलाता है।

यह आदत अब ChatGPT और AI तक पहुंच चुकी है।

बच्चों पर असर सबसे बड़ा: सीखना बन रहा है कॉपी-पेस्ट

भारत दुनिया में ChatGPT उपयोग में नंबर 1 है और इसका अधिकांश उपयोग बच्चे और युवा कर रहे हैं।
अगर एक 16 वर्षीय छात्र अपना इतिहास निबंध AI से लिखवा लेता है —
तो उसने सीखा क्या?

MIT स्टडी के अनुसार — शायद कुछ भी नहीं।

मुख्य सवाल: समाधान क्या है|| Main question: What is the solution?

इस बहस का सार यह नहीं कि AI हमें कमजोर बना रहा है या नहीं —
बल्कि हम इसे उपयोग कैसे करें?

यहां कुछ आवश्यक सुझाव:

1. सही सवाल पूछने की कला सीखें

Information अब abundant है —
भविष्य उन लोगों का होगा जो curiosity, questioning और critical thinking में सक्षम होंगे।

2. शिक्षा का स्वरूप बदलें

क्लासरूम: बिना AI दिमागी अभ्यास—जर्नलिंग, बहस, mental maths

होमवर्क: AI-assisted learning, summaries

3. AI उपयोग के नियम बनें

जैसे फोन प्रतिबंधित होते हैं उसी तरह —
AI के उपयोग समय, स्थान और आवश्यकता के अनुसार सीमित हो।

4. शिक्षक और AI—प्रतिद्वंद्वी नहीं, सहयोगी हों

AI एक co-teacher की तरह इस्तेमाल हो, crutch की तरह नहीं।

5. AI Literacy सबसे जरूरी कौशल

नया मूल मंत्र होना चाहिए:

सोचो → पूछो → उपयोग करो → सत्यापित करो → अपनी आवाज़ जोड़ो

इतिहास बताता है—हम अनुकूल होते हैं

प्रिंटिंग प्रेस ने याददाश्त खत्म नहीं की,
कैलकुलेटर ने गणित खत्म नहीं किया,
स्मार्टफोन ने बातचीत खत्म नहीं की।

हां, हम बदले, लेकिन विकसित हुए।

AI दुश्मन नहीं, दर्पण है — जो हमें बेहतर बनाने की चुनौती देता है

Gary Kasparov को हराने के बाद मशीन शतरंज में अजेय हो गई,लेकिन आज मानव शतरंज अधिक लोकप्रिय है। क्योंकि अब असली मूल्य है, मानवीय सोच, मौलिकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का। यदि हम AI के साथ सोचना सीखें, ना कि AI को अपने लिए सोचने देतो हम कमज़ोर नहीं — बल्कि पहले से ज्यादा शक्तिशाली बनकर उभरेंगे।

Komal Mishra

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