Parking Charge at tourist places - दोस्तों, आशा करता हूं आप सभी लोग प्रसन्नचित होंगे. इस बार मैं आपको अपने सफर का ऐसा अनुभव बताउंगा जिससे शायद आप भी कभी गुज़रे हों.
Parking Charge at tourist places – दोस्तों, आशा करता हूं आप सभी लोग प्रसन्नचित होंगे. इस बार मैं आपको अपने सफर का ऐसा अनुभव बताउंगा जिससे शायद आप भी कभी गुज़रे हों. दरअसल, जुलाई 2021 में दूसरे हफ्ते के दौरान मैंने गडूल ग्राम पंचायत ( Gadool Gram Panchayt ) की यात्रा की. यह यात्रा परिवार के साथ थी. घर के पास से ही एक टैक्सी बुक की थी. सो, इस मामले में कोई चिंता नहीं थी. रिसॉर्ट और कैंप में भी कोई समस्या नहीं हुई लेकिन वह कहते हैं न, छोटी छोटी बातों में भी नफा नुकसान देख लेना चाहिए, मेरा साथ भी मामला ऐसा ही है.
ऋषिकेश में मोहनचट्टी के कैंप ( Camping in Mohanchatti, Rishikesh ) में एक रात बिताने के बाद अगले दिन हमने फैसला किया था कि जब यहां तक आ ही चुके हैं तो नीलकंठ ( Mohanchatti to Neelkanth Mandir ) क्यों न जाएं? यहां से हम नीलकंठ ( Neelkanth Mandir, Rishikesh ) की ओर बढ़ गए. जब गाड़ी से हम नीलकंठ ( Neelkanth Mandir, Rishikesh ) जा रहे थे, तब रास्ते में रिमझिम फ़ुहारों को देखकर बच्चे भी खुश होने लगे. हम तो आनंदित थे ही. अब नीलकंठ ( Neelkanth Mandir, Rishikesh ) करीब ही था. हालांकि, मुझे प्रशासन पर गुस्सा तब आ गया जब मंदिर ( Neelkanth Mandir, Rishikesh ) से बहुत पहले ही, एक पार्किंग की जगह पर गाड़ियों को रोका जा रहा था. गाड़ियों को इससे आगे जाने की मनाही थी.
दो बच्चों के साथ किसी को भी यहां से पैदल मंदिर ( Neelkanth Mandir, Rishikesh ) तक जाने में मुश्किल होती. मुझे इसमें इतनी ज़्यादा परेशानी नहीं थी जितनी की ये देखकर कि कई गाड़ियों को इस पार्किंग स्थल से भी आगे जाने दिया जा रहा था. पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के लिए 100 रुपये का चार्ज ( Parking Charge at tourist places ) था. ये सब परेशानी एक साथ देखकर मैं थोड़ा रुका. खुद को संभाला और पार्किंग वाले से कहा कि आकर पैसे देता हूं.
मंदिर से दर्शन करके जब वापस आया, तब मैंने पार्किंग ( Parking Charge at tourist places ) वाले से पर्ची ली. पर्ची के बारे में उनसे पूछा. कहा, कि मैं जानना चाहता हूं ये कौन सा संगठन है जिसे पार्किंग ( Parking Charge at tourist places ) का ठेका मिला है. मेरी बात सुनकर वह थोड़ा घबरा गया. फिर मैंने उसका भी नाम पूछा. मेरे ये दो सवाल के उन शख्स ने कोई उत्तर नहीं दिए और कहा कि नहीं नहीं, आप जाइए…
बस, मेरे इन दो सवालों ने ही मुझे पार्किंग के शुल्क से बचा लिया. अब ये तो मुझे नहीं पता कि वह सचमुच जायज़ था या नहीं.
अब यहां से हम गडूल ग्राम पंचायत गए. वहां दो रातें बिताईं. वहां के सफर का वृत्तांत आपसे मैं साझा कर चुका हूं. आप वेबसाइट के सर्च बॉक्स में Gadool लिखकर उसे सर्च कर सकते हैं. गडूल ग्राम पंचायत के शानदार सफ़र के बाद अब वक्त था घर लौटने का. सो, यहां हमने सोचा कि हरिद्वार में हर की पैड़ी ( Har ki Paidi, Haridwar ) पर स्नान करते हुए चलेंगे.
हर की पैड़ी पर जाने के लिए, हमारे राइडर साहब हमें पार्किंग में ले गए. इस पार्किंग में जगह जगह पशु घूम रहे थे और गंदगी भी खूब थी. यहां से हमने एक रिक्शा किया और हर की पैड़ी ( Har ki Paidi, Haridwar ) पर जाकर जल स्पर्श कर उसे डिब्बे में भरा भी. मां बहुत दिन से गंगाजल लाने के लिए कह रही थी.
यहां से जब हम बाहर की ओर निकले तो पता चला इस जगह के लिए शुल्क ( Parking Charge at tourist places ) देना होगा. 80 रुपये का शुल्क था जो हमें गंदगी के बीच गाड़ी खड़ी करने और बचते बचाते खुद को साफ रखने के लिए देने थे. हा हा हा.. कमाल है. सरकार सचमुच गजब है. हजारों गाड़ियां यहां हर रोज़ यह शुल्क ( Parking Charge at tourist places ) देती होंगी लेकिन व्यवस्था जिसके जिम्मे है उसने लगता है, व्यवस्था को दुरुस्त न करने की कसम खा रखी है.
ऐसा ही लगा मुझे यहां पार्किंग का शुल्क ( Parking Charge at tourist places ) देते हुए. खैर, जो है सो है. अब अगर इतना तनाव लेंगे तो शायद हम घूम भी न सकें. बहरहाल, आप क्या सोचते हैं, मेरे इस अनुभव पर, ज़रूर बताएं. मिलता हूं आपसे अगले ब्लॉग में, अपना ध्यान रखिएगा. शुक्रिया दोस्तों 🙂
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