marriage age-whats should be the right marriage age for a boy and a girl learn
marriage age – लड़का और लड़की में शादी की सही उम्र क्या होनी चाहिए. भारत में तमाम जागरूकता के बावजूद, ऐसे कई मामले हैं जहां बाल विवाह या लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में की जाती है. हालांकि ये सभी कार्य गुप्त रूप से किए जाते हैं. संसद में बजट 2020-21 पेश करते हुए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव रखा जो लड़कियों की शादी की उम्र पर विचार करेगी और छह महीने में रिपोर्ट देगी. लड़का और लड़की में शादी की सही उम्र क्या होनी चाहिए.
सारांश सहाय फरीदाबाद हरियाणा के रहने वाले हैं वह कहते है कि लड़के की 21–23, और लड़की की 18– 23 वर्ष की आयु अति उत्तम है अब लोग कहेंगे कि मेरा दिमाग खराब है. बच्चों को अपना करियर पहले संवारना चाहिए, पढ़ाई पूरी कर लेनी चाहिए. यकीन मानिये, उन्हें पढ़ाई पर ध्यान देना ही चाहिए, मैं भी इससे सहमह हूं.
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लेकिन, पढ़ाई विवाह के बाद भी जारी रह सकती है. सोच थोड़ी खुली रखने की जरूरत है. मेरा स्वयं का विवाह 28 वर्ष की उम्र मे हुआ है. अपने अनुभव से कहता हूं, की 21– 23 वर्ष की आयु में विवाह कर लेना चाहिए. देखिए, आज कल के बच्चे बहुत कुछ कम ही उम्र में इंटरनेट के माध्यम से जान लेते हैं. सच मानिये, उन्हें वह सब भी पता हो सकता है जो शायद हमे 1–2 दिन पहले ही पता चला है.
निम्न चीजों के कारण मैं कम उम्र मे विवाह की बात कर रहा हूं
सम्भोग को लेकर जिज्ञासा शीघ्र शान्त हो जाती हैं. अब गर्भ निरोध काफी आसान हो गया है. तो कम उम्र मे सन्तान की अत्यधिक जिम्मेदारी से बचा जा सकता है. जल्द विवाह होने से वह अपने जीवनसाथी को अच्छे से जान सकेंगे, क्योंकि उनपर संतान उत्पत्ति का बोझ नहीं होगा. अपने जीवनसाथी के साथ वह भरपूर आनंद ले सकेंगे, ज्यादा वक़्त एक साथ बिता सकेंगे. जल्द विवाह के कारण वह सम्भोग के सुख का अनुभव करने के लिए लालायित नहीं होंगे.
वह दूसरे लिंग के मनुष्य के प्रति अनायास ही आकर्षित नहीं होंगे. समाज के लिए यह हितकर रहेगा. जब भी वह संतान की उत्पत्ति के लिए प्रयास करेंगे, तब उन्हें कोई खास परेशानी नहीं होगी. साथ ही, सन्तान के जन्म के पश्चात जो आपसी समझ वह दिखा सकेंगे वह शानदार होगी. अन्य महिलाओं के साथ आत्मविश्वास से बातचीत कर पाते हैं लड़के और अन्य पुरुषों के साथ महिलाएं.
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28 की उम्र मे शादी करके मैंने निम्न परेशानियों का सामना किया
अनजान महिलाओं के आसपास होने पर मैं असहज हो जाता था विवाह पहले में आकर्षित होने से तात्पर्य नहीं है, अपितु आत्मविश्वास की बात कर रहा हूं 28 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते, हार्मोनल बदलाव के चलते यौन तनाव भी झेलना पड़ता था जिसके चलते मन अस्थिर हो जाता था विवाह के बाह संतान के लिए ज्यादा रुकना ठीक नहीं था. फलस्वरूप विवाह के 8– 9 महिने बाद ही बच्चा प्लान करना पड़ा. 30 वर्ष की आयु मे पुत्री का सुख प्राप्त हुआ.
मेरी संगिनी मुझसे 5.5 साल छोटी हैं. उनके लिए कोई दिक्कत की बात नहीं थी, किन्तु मेरी सिर्फ 30 साल की आयु रह गई थी सेवा निवृत्ति के लिए. हमें 2 सन्तान और चाहिए. 1 लड़की और 1 लड़का. यदि दूसरी सन्तान लड़की हुई, तो लड़का गोद लेंगे, अन्यथा लड़की. बच्चों के बीच मे अन्तर भी चाहिए. बच्चों की पढ़ाई के लिए वेतन की आवश्यकता होगी जो सेवा निवृत्त होने तक ही होगी, उसके बाद नहीं. यदि बच्चों की चाह है, तो उन्हें सुगम भविष्य देना भी हमारी ही जिम्मेदारी हैं.
हम पति पत्नी को भरपूर वक़्त साथ में नहीं मिल पाया. अब एक बच्ची है. हम दोनों में से कोई एक हर वक़्त उसके साथ होता ही है. इस कारण हम दोनों को साथ मे वक्त भी कम मिल रहा है. सिर्फ रात मे मुश्किल से 1–2 घंटे का वक्त मिल पाता है, वो भी कभी कभी. जो थोड़ा बहुत वक़्त मिलता है, बातें करने मे ही निकल जाता है. विवाह को 2.5 साल हो गए हैं, किन्तु इस कारण हम घूम फिर नहीं सकते. पहले बिटिया बहुत छोटी थी, अब कोरोना के कारण बाहर घुमना सहज नहीं है.
आपसी सामंजस बहुत अच्छी तरह नहीं बन पाया है हमारे बीच. हंसी मज़ाक अपनी जगह है, पर कभी कभी महसूस होता है कि और वक़्त साथ मे अकेले मे बिताना चाहिए था. बच्चों के माता-पिता जितनी देर से बच्चे की प्लानिंग करते हैं, बच्चे उतने ही कमजोर होते हैं. यह स्वयं विज्ञान कहता है.
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