Travel News

उत्तराखंड में टिहरी में स्थित पीड़ी पर्वत में मिला 50 करोड़ साल पुराना ‘स्ट्रोमैटोलाइट, जानें ये क्या होता है

stromatolites- प्रतापनगर के पीड़ी पर्वत में स्ट्रोमैटोलाइट फॉसिल्स (धारीदार अवसादी शैल) का खजाना मिला है. तकरीबन 50 करोड़ साल पुराने माने जा रहे इस स्ट्रोमैटोलाइट को परीक्षण के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय भेजा गया था. विवि के भू-विज्ञानी प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया इस पर अध्ययन कर रहे हैं. पीड़ी पर्वत में कई अन्य स्ट्रोमैटोलाइट जीवाश्म भी मौजूद हैं.

टिहरी वन प्रभाग के प्रतापनगर ब्लॉक में समुद्रतल से 8367 फीट की ऊंचाई पर स्थित पीड़ी पर्वत में मिले स्ट्रोमैटोलाइट फॉसिल्स मूल रूप से सायनोबैक्टीरिया की परत के ऊपर परत उगने से उत्पन्न होते हैं. सायनोबैक्टीरिया एक एककोशिकीय सूक्ष्मजीव होता है. इसी साल सितंबर में वन विभाग की टीम ने यहां का दौरा किया था. इस दौरान पीड़ी पर्वत पर स्ट्रोमैटोलाइट की तरह कुछ नजर आया.

KarwaChauth Vrat – क्या होता है 16 श्रृंगार? करवाचौथ से क्या है इसका संबंध

प्रभागीय वनाधिकारी कोको रोसे ने उन दिनों टिहरी दौरे पर आए कुमाऊं विश्वविद्यालय में कार्यरत विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के भू-विज्ञानी प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया से इस संबंध में चर्चा कर स्ट्रोमैटोलाइट की जांच का आग्रह किया. प्रो. कोटलिया ने बताया कि इस स्ट्रोमैटोलाइट की उम्र लगभग 50 करोड़ साल हो सकती है. इस तरह के जीवाश्म करोड़ों साल पहले सरीसृप वर्ग के जीव रहे होंगे. इसलिए इसमें मौजूद तत्वों की जांच की जा रही है. इसके बाद जीवाश्म संरक्षण के लिए टिहरी वन प्रभाग को सौंप दिया जाएगा.

अजमेर की आनासागर झील दिखने में है बेहद खूबसूरत, अजमेर टूर की यहीं से करें शुरुआत

What is stromatolite fossil

भू-विज्ञानी प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया ने बताया कि अरबों साल पहले धरती पर कुछ सरीसृप या अन्य जीव मौजूद थे, मरने के बाद भी जिनके जीवाश्म सुरक्षित हैं. यह जरूर हुआ कि समय के साथ इन जीवाश्मों पर मिट्टी की परत जमती चली गई. लंबे अंतराल में प्राकृतिक बदलावों को ङोलते हुए ये जीवाश्म चट्टान में बदल गए.

चांद की करना चाहते हैं सैर, तो एक बार जरूर जाएं कश्मीर के मूनलैंड

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, देहरादून के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. राजेश वर्मा बताते हैं कि स्ट्रोमैटोलाइट असल में 90 से सौ करोड़ साल पुरानी काई (शैवाल) है. यह इस बात का संकेत है कि उस दौर में इन इलाकों में वातावरण न अधिक गर्म रहा होगा, न अधिक ठंडा ही। कम पानी, खासकर चूना पत्थर वाले इलाकों में इस तरह की काई का पाया जाना सामान्य बात है.

Stromatolite fossils found here

उत्तराखंड के अल्मोड़ा व नैनीताल जिलों के बाद अब टिहरी जिले में स्ट्रोमैटोलाइट जीवाश्म मिले हैं. प्रो. कोटलिया ने बताया कि प्रदेश के अन्य किसी जिले में उन्हें ऐसे जीवाश्म नहीं मिले. इन तीन जिलों में जीवाश्मों पर व्यापक शोध से नई जानकारी सामने आ सकती है. इससे इतिहास के कई नए अध्याय भी खुलेंगे, जो नए शोध में काम आएंगे.

 

Recent Posts

Ragi Cheela : 10 मिनट में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर रागी चीला तैयार करें

Ragi Cheela : नाश्ते में चीला लोगों की पहली पसंद होता है. ज़्यादातर घरों में… Read More

1 day ago

Chhath Puja 2025 : नहाय खाय और सूर्य देव की भक्ति: छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक

साल 2025 में चार दिन चलने वाले छठ पर्व का पहला दिन, जिसे नहाय खाय… Read More

1 day ago

Sabarimala Temple – भगवान अयप्पा का पवित्र धाम और इसकी रहस्यमयी परंपराएं

सबरीमाला मंदिर भारत के केरल राज्य के पठानमथिट्टा जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र हिन्दू… Read More

2 days ago

How I Explored Telangana Without Breaking the Bank

Travelling on a budget often feels like a puzzle. You want to cover as much… Read More

2 days ago

नवरात्रि 2024 कब है? जानें तिथि, पूजा समय, अनुष्ठान, महत्व और बहुत कुछ

नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि या शरद नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह… Read More

4 days ago

जब यात्रा की बात आती है, तो एक यादगार होटल में ठहरना बहुत मायने रखता… Read More

4 days ago