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Chopta Tungnath Trek – दिल्ली से दूर 4 दिन कीजिए एडवेंचर घुमक्कड़ी, निकल चलिए चोपता-तुंगनाथ-चंद्रशिला

Chopta Tungnath Trek – चोपता, तुंगनाथ, चंद्रशिला ट्रैक (chopta trek, Tungnath trek, chandrashila trek) के सफर पर कौन नहीं जाना चाहेगा? ट्रैवल जुनून आपको इस सफर पर लेकर जाएगा वो भी आपके मुताबिक. जब आप चाहें. प्राइस भी ऐसा कि आपको यकीन नहीं होगा. होटल स्टे से लेकर ट्रेक तक का पूरा सफर हम आपको करवाएंगे.

अगर दिल्ली ये मेट्रो शहरों में रहने वाला कोई शख्स अपने दोस्तों और परिवार के साथ किसी हिल स्टेशन पर जाने की प्लानिंग करता है तो सबसे पहले उसे उस जगह के बारे में जरूर जान लेना चाहिए. देश के ज्यादातर हिल स्टेशन पर्यटकों की भीड़ से भरे होते हैं और अगर आप शांत जगह जाना चाहते हैं तब आपको ठहरकर अपनी प्लानिंग करनी होगी. चोपता एक ऐसा ही हिल स्टेशन है जहां पर आप भीड़-भाड़ से दूर पहाड़ों की गोद में ( Chopta Tungnath Trek ) अकेले खुद को महसूस कर सकेंगे.

चोपता उत्तराखंड ( Chopta Tungnath Trek ) राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में बसा हुआ छोटा सा हिल स्टेशन है. चोपता केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी का हिस्सा है. चोपता ( Chopta Tungnath Trek ) अभी ओवरक्राउडेड नहीं हुआ है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती-हरियाली और घने जंगल आपको आनंदित कर देंगे. यहां की हवा में एक अलग सी ही नमी है. यहां आपको एक अलग ही दुनिया दिखाई देगी. चोपता ( Chopta Tungnath Trek ) उत्तराखंड के बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक है. हिमालय पर्वत श्रृंखला की गोद में बसे इस छोटे से हिल स्टेशन को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहा जाता है.

चोपता ( Chopta Tungnath Trek ) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित उखीमठ से 37 किलोमीटर दूर स्थित है. यहा समुद्र तट से 9515 फीट की ऊंचाई पर है. यह पहाड़ी स्थान एक ऐसी खुशनुमा जगह है, जहां पहुंचकर आप मन को शांत कर सकते हैं और कुछ दिन सुकून से रह सकते हैं. चोपता न तो गांव और न ही कस्बे के खांचे में फिट बैठता है. यह दरअसल केदारनाथ और बदरीनाथ के रास्ते का पड़ाव है जहां गाड़ियां और मुसाफिर कुछ देर आराम करने के लिए रुकते हैं. यहां आपको कोई मकान दिखाई नहीं देगा. हां, सड़क किनारे कुछ ढाबे और चाय की दुकानें आपको जरूर मिलेंगी. पास ही, एक पहाड़ी पर टिन की छत वाले कमरे भी मौजूद हैं.

फोटो- घुमक्कड़ी एडवेंचर

चोपता ( Chopta Tungnath Trek ) में बिजली की व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी है. यहां के गेस्ट हाउस में रोशनी के लिए सोलर पैनल की मदद ली जाती है. अगर सूरज सही रूप में नजर आया तो एक इमर्जेंसी लाइट 4-5 घंटे चल ही जाती है. रात में पढ़ने लिखने के लिए अभी भी मोमबत्ती ही सहारा है. चोपता की यात्रा के बाद ही तुंगनाथ और उससे भी आगे चंद्रशिला की यात्रा शुरू होती है. हालांकि, यहां से केदारनाथ, तुंगनाथ, कल्पेश्वर, रुद्रनाथ और मध्य महेश्वर यानी पंचकेदार की यात्रा करने वाले तीर्थयात्री कम ही होते हैं. उत्तराखंड में आने वाले अधिकतर तीर्थ यात्रियों के लिए 4 धाम यात्रा ही प्राथमिकता होती है. यमुनोत्री-गंगोत्री के दर्शन के बाद यात्री केदारनाथ से सीधे बदरीनाथ निकल जाते हैं. चोपता गढ़वाल के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है. यहां बुरांश, बांज के पेड़ों के बीच आप कई दुर्लभ पंछियों की आवाजें साफ सुन सकते हैं.

विजयादशमी बीतते ही तुंगनाथ मंदिर बंद हो जाता है और इसके साथ ही चोपता में एक सन्नाटा सा छा जाता है. भगवान तुंगनाथ के मक्कूमठ जाने के बाद यहां के लोग अपने-अपने गांव निकल जाते हैं. पूरा इलाका 4 महीने बर्फ की चादर ओढ़े रहता है. इसके बाद रौनक का सिलसिला बैसाखी के बाद तुंगनाथ के कपाट खुलने के साथ शुरू होता है. चाय की दुकानें सच उठती हैं, पर्यटक नजर आने लगते हैं.

ट्रैवल जुनून की आइटिनरेरी
दिल्ली से चोपता ( Chopta Tungnath Trek ) का सफर शुरू होगा. हम सभी किसी एक जगह पर एकत्रित होंगे. रात 9 बजे चोपता के लिए सफर शुरू होगा.

3 मार्च को हम ऋषिकेश पहुंचेंगे, सुबह 4 बजे ऋषिकेश में हम 10 मिनट के लिए रुकेंगे. सुबह 9 बजे हम देवप्रयाग पहुंचेंगे और ब्रेकफास्ट करेंगे. हम केदारनाथ-बदरीनाथ हाइवे से सफर करेंगे और देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रपायग और कुंड से होकर गुजरेंगे. चोपता तक पहुंचने में हमें कुल 8 घंटे लगेंगे. सफर के बीच में अगस्तमुनि में हम दोपहर के 2 बजे लंच करेंगे.

4 मार्च को शाम 5 बजे चोपता पहुंचने के बाद हम दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर के लिए ट्रेकिंग शुरू करेंगे, जो तुंगनाथ है. चोपता से तुंगनाथ का ट्रेक साढ़े 3 किलोमीटर लंबा है और ये रास्ता सिमेंटेड है. मंदिर तक पहुंचने में 3 घंटे लगेंगे. रात 8 बजे मंदिर पहुंचने के बाद हम मंदिर को एक्सप्लोर करेंगे और सूर्यास्त भी देखेंगे. डिनर और रात भर का स्टे तुंगनाथ में ही कैंप में होगा.

क्या क्या इन्क्लूड हैं
कैंप में अकॉमोडेशन, ट्रेकिंग के दौरान मील, बॉनफायर, ट्रेकिंग के वक्त गाइड, ट्रांसपोर्ट वाहन जैसे टेंपो ट्रैवलर/टैक्सी, एंट्री फीस, ड्राइवर का खर्च, टोल टैक्स, पार्किंग, स्टेट टैक्स, सभी तरह के एप्लीकेबल टैक्स, ऑप्शनल एक्टिविटी पर किसी भी तरह का खर्च और टिकट, इंश्योरेंस, ट्रिप में किसी तरह की असुविधा में होने वाला खर्च जैसे प्राकृतिक आपदा या बीमारी से, सामान चोरी या खो जाने का खर्च.

क्या लेकर जाना होगा?
गर्म कपड़े, दस्ताने, ट्रेकिंग या स्पोर्ट्स शू, गर्म जुराबें, पानी की बोतल, ग्लूकोज, एनर्जी बार, कैप्स, टॉवल, छाता, सनग्लास, मेडीकेशन, पिट्ठू बैग, प्रसाधन का निजी सामान

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