मुरैना का वो गांधी आश्रम जहां 1972 में 250 बागियों ने किया था सरेंडर!
Gandhi Ashram Joura Morena : मध्य प्रदेश का मुरैना अपनी रहस्यमयी जगहों और ऐतिहासिक स्थलों की वजह से चर्चित है. यहां कुतवार में कुंती मंदिर है, सिहोनिया में ककनमठ मंदिर और जैन तीर्थ क्षेत्र है, मितावली की पहाड़ी पर 64 योगिनी मंदिर है. इसके अलावा भी यहां कई दिलचस्प स्थल हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी डकैतों की वजह से चर्चा में रहा मुरैना शांति की वजह से भी जाना जाता है. जिसकी जड़े जुड़ी हुई हैं जोरा तहसील में बने गांधी आश्रम से. इस गांधी आश्रम में ही 14 अप्रैल 1972 के दिन 250 से ज्यादा डकैतों ने सरेंडर किया था. डकैतों को मुख्यधारा में लाने के लिए कार्य किया था डॉक्टर एस एन सुब्बाराव ने. आइए आज आपको बताते हैं इस गांधी आश्रम के बारे में विस्तार से…
मुरैना जिले के जोरा में स्थित महात्मा गांधी सेवा आश्रम (MGSA) ने समाज में बदलाव लाने की दिशा में क्रांतिकारी योगदान दिया है. यहां की सोच यह है कि गांधी जी की शिक्षाएं केवल भाषणों और व्याख्यानों तक सीमित न रहकर जीवन की हर छोटी-बड़ी गतिविधियों में प्रतिबिंबित होनी चाहिए. इसी विचार को लेकर MGSA न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में अपने आदर्शों और कार्यशैली के लिए फेमस है.
चंबल क्षेत्र में गांधीवादी विचारों से प्रेरित डॉ. सब्बा राव ने एक नई शुरुआत की. उन्होंने हिंसक डकैतों से प्रभावित इस क्षेत्र में शांति और भाईचारे का संदेश फैलाने का संकल्प लिया. उनके नेतृत्व में 1970 में श्री पी.वी. राजगोपाल ने शांति कार्य प्रारंभ किए. 1972 में अनेक कुख्यात डकैतों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं। जो पुलिस और प्रशासन नहीं कर सके, वह इन गांधीवादी अनुयायियों ने कर दिखाया.
डकैतों के आत्मसमर्पण ने न केवल क्षेत्र में शांति लाई, बल्कि सामाजिक पुनर्निर्माण की शुरुआत भी की. बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया गया और खेती का विस्तार हुआ. यह कोई जादू नहीं था, बल्कि आश्रम के समर्पित कार्यकर्ताओं की लगातार मेहनत का परिणाम था.
MGSA आज भी आदिवासी और दलित समुदायों के भूमि और आजीविका अधिकारों की रक्षा में जुटा है. संगठन ‘एकता परिषद’ जैसे अभियानों का समर्थन करता है, जल-जंगल-जमीन के अधिकार के लिए जन आंदोलनों का नेतृत्व करता है. आंदोलन और यात्राओं के लिए आय के कुछ प्राकृतिक स्रोत विकसित किए गए हैं, जिससे न केवल आश्रम का खर्च चलता है बल्कि हाशिए पर खड़े समुदायों को आजीविका का साधन भी मिलता है.
1990 के दशक में संगठन ने 3,50,000 साहारिया आदिवासियों के बीच कार्य प्रारंभ किया. ये समुदाय शोषण, बंधुआ मज़दूरी, बेघर होने और विस्थापन की समस्या से जूझ रहा था. संगठन ने उन्हें संगठित कर नेतृत्व विकसित किया और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया. स्विस सहायता से दस वर्षों तक समर्थन मिलने से इस अभियान को बल मिला.
गांव-गांव में ‘मुखिया आधारित आंदोलन’ चलाया गया. प्रत्येक गांव से नेतृत्व क्षमता वाले व्यक्ति को चुना गया. उन्होंने गांव में अनाज बैंक, ग्राम निधि जैसे कार्य चलाए और समुदाय को जागरूक किया. समय के साथ भूमि अधिकार का मुद्दा प्रमुख बन गया और हजारों लोगों को भूमि दिलाई गई.
10 दिसंबर 1999 को ‘भूमि अधिकार सत्याग्रह पदयात्रा’ शुरू हुई। इस अभियान ने लोगों को भूमि पर अधिकार दिलाने के लिए एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया. 2007 में ‘जनादेश’ के तहत 25,000 लोग ग्वालियर से दिल्ली तक पैदल मार्च में शामिल हुए.
इस आंदोलन का मूल विचार यह है कि प्रकृति का संरक्षण तभी संभव है जब स्थानीय लोग इसके प्रबंधन में शामिल हों. समाज, संस्कृति और पर्यावरण के बीच स्वस्थ संबंध बने, और सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं तथा जन आंदोलनों के बीच सहयोग स्थापित हो.
हवाई मार्ग से महात्मा गांधी सेवा आश्रम कैसे पहुंचे || How to reach the Mahatma Gandhi Seva Ashram
सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट है, जो लगभग 70–80 किलोमीटर की दूरी पर है.
ग्वालियर एयरपोर्ट से टैक्सी या बस द्वारा मुरैना पहुंच सकते हैं.
वहां से जोरा तक स्थानीय वाहन या टैक्सी से यात्रा करें.
रेल मार्ग से महात्मा गांधी सेवा आश्रम कैसे पहुंचे || How to reach the Mahatma Gandhi Seva Ashram by train?
मुरैना रेलवे स्टेशन मुख्य स्टेशन है.
मुरैना देश के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, आगरा, ग्वालियर, इटावा आदि से रेल संपर्क में है.
मुरैना स्टेशन से जोरा तक लगभग 30–40 किलोमीटर की दूरी है। बस, ऑटो या टैक्सी द्वारा आश्रम पहुंच सकते हैं.
सड़क मार्ग से महात्मा गांधी सेवा आश्रम कैसे पहुंचे || How to reach the Mahatma Gandhi Seva Ashram by Road
मुरैना नेशनल हाईवे और राज्य मार्ग से जुड़ा हुआ है.
ग्वालियर, आगरा, दिल्ली, और आसपास के शहरों से निजी वाहन या बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है.
मुरैना से जोरा के लिए स्थानीय बस सेवा, ऑटो रिक्शा, या निजी टैक्सी उपलब्ध रहती है.
लोकल ट्रांसपोर्ट से महात्मा गांधी सेवा आश्रम कैसे पहुंचे || How to reach the Mahatma Gandhi Seva Ashram by local transport
मुरैना से जोरा तक साझा टैक्सी, निजी वाहन या बसें उपलब्ध हैं.
सड़कें अच्छी हैं, लेकिन कुछ ग्रामीण हिस्सों में सफर थोड़ा धीमा हो सकता है.
सुबह जल्दी रवाना हों ताकि समय पर पहुंच सकें.
पहले से वाहन की व्यवस्था कर लें.
ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क सीमित हो सकता है, इसलिए जरूरी संपर्क पहले नोट कर लें.
स्थानीय लोगों से रास्ता पूछ सकते हैं, वे मदद करने में सक्षम होते हैं.
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