Ashok Vatika- learn where is ashok vatika in ramayan
Ashok Vatika-25 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में दशहरा मनाया जाएगा, इस दिन हर दगह रावण का पुतला दहन किया जाता है. इसके साथ ही रावण दहन के साथ नवरात्रि के नौ दिनों का समापन हो जाएगा. इस अवसर पर हम आपको बताएंगे की रावण ने सीता अशोक वाटिका में रखा था. वह कहा मैजूद है.
Ashok Vatika- भारत में छोटे बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े तक सभी को रामायण की कहानी पता है. सभी जानते हैं राम और सीता के विवाह के बाद उन्हें 14 वर्ष के लिए वनवास पर जाना पड़ा था. वनवास पर रहने के दौरान राम और सीता को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था. इसी दौरान लंका के राजा रावण ने सीता का हरण कर लिया था और अपने साथ लंका ले जाकर उन्हें अशोक वाटिका में कई दिन रखा था.
Dussehra 2020 : यहां होती है रावण की पूजा, कभी नहीं जलाया गया रावण का पुतला
लंका में आज भी यह अशोक वाटिका मौजूद है और यहां ऐसे कई निशान हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि यहां वाकई रावण ने सीता माता को रखा था. ऐसे में लोगों के अंदर यह जानने का क्रेज बढ़ गया है कि क्या सच में रावण की कोई अशोक वाटिका थी. अगर थी तो वह कैसी दिखती थी? अब वह कहां है? तो चलिए हम आज आपको रावण की अशोक वाटिका की झलक दिखाते हैं.
25 अक्टूबर से खुलेंगे वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के कपाट, ऐसे कर सकेंगे दर्शन -पूजन
रावण ने जब सीता माता का अपहरण किया था तब वह उन्हें सीधे अपने महल लंका ले गया. वह सीता माता को रानी बनाना चाहता था मगर, सीता माता इस बात के लिए तैयार नहीं हुईं और उन्होंने महल में रहने से इंकार कर दिया. तब रावण ने सीता माता को एक गुफा के अंदर रखा जिसका सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ था. इस गुफा के आसपार हल्की सी नक्काशी झलकती है. इसके बाद रावण ने सीता माता को अशोक वाटिका में रखा. यह रावण के महल में बनी हुई थी. सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्या के नाम से प्रसिद्ध है.
श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्टि की, कि सीता एल्या ही Ashok Vatika है. यह जगह आज भी वैसी की वैसी है. इतना ही नहीं सीता जी को लेने आए हनुमान जी ने जब लंका में आग लगाई थी उसके प्रमाण भी यहां मिलते हैं. हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था. पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी.
रामायण में इस बात का वरण मिलता है कि जब राम को इस बात का पता चला कि सीता का हरण रावण ने किया है तो उन्होंने अपनी वानरों की एक सेना बनाई और हनुमान जी को आदेश दिया कि वह सीता को लंका से वापिस ले आएं. भगवान राम के आदेश पर हनुमान जी लंका पहुंच गए. Ashok Vatika में जिस वृक्ष के नीचे सीता माता बैठती थी उस पर चढ़ कर उन्होंने सीता माता को भगवान राम की अंगूठी फेंकी, जिससे सीता माता को अंदाजा हुआ कि हनुमान जी को भगवान राम ने ही भेजा है.
श्रीलंका में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां पर हनुमान जी के पैरों के निशान हैं. हनुमान जी के पैरों के निशान जिस जिस चट्टान पर पड़ें वहां पैर के आकार के गड्ढे बन गए है. यह निशान आज भी देखे जा सकते हैं.
रावण और राम के युद्ध में एक समय ऐसा भी आया था जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण बेहोश हो गए थे. वह केवल संजीवनी बूटियों से ही जीवित हो सकते थे. यह बूटियां केवल हिमालय में मिलती हैं और हनुमान जी इसे लेने के लिए वहां गए थे और संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ा उठा लाए थे. यह पहाड़ आज भी श्रीलंका में उपस्थित है और इसमें आज भी हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिलते हैं. दावा है कि इन जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्तविकता को प्रमाणित करता है
पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक ऐसा महल मिला है जिसे देख कर लगता है कि वह रामायण काल में बनाया गया होगा. रामायण इस बात का वर्णन है कि भगवान हनुमान ने रावण की लंका को जला दिया था. इस वजह इस जगह की मिट्टी काली हो गई थी और यह मिट्टी आज भी काली है.यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है. राम द्वारा रावण का वध करने के पश्चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था. विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था. यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था. नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं.
Datia Travel Guide Maa Pitambara Peeth : मध्य प्रदेश के दतिया जिले में मां पीतांबरा… Read More
Haridwar Travel Guide : अगर आप हरिद्वार घूमने की योजना बना रहे हैं, तो हम… Read More
ठंड के मौसम में स्किन और बालों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ता है। Dermatologists का… Read More
जब भी भारत में snowfall देखने की बात आती है, ज़्यादातर लोगों के दिमाग में… Read More
कांचीपुरम के प्रसिद्ध एकाम्बरणाथर मंदिर में आज 17 साल बाद महाकुंभाभिषेक की पवित्र परंपरा सम्पन्न… Read More
2025 भारतीय यात्रियों के लिए सिर्फ vacation planning का साल नहीं था, बल्कि यह meaningful… Read More