दोस्तों बचपन में आपने और मैंने हम दोनों ने ही परियों की कहानियां तो ज़रूर अपनी नानी, नाना, दादा, दादी से सुनी होंगी और उन कहानियों को सुनकर हम सभी को बड़ा मज़ा भी आया करता था मगर बच्चपन की सारी कहानियां आज के समय में काल्पनिक ही लगती हैं. खासकर जब बात हो परियों के देश की. जी हाँ दोस्तों मेरा नाम ऋषभ है और मैं उत्तराखंड के चमोली जिले का रहेने वाला हूँ और आज आप सभी को पहाड़ों मे एक ऐसी जगह जिसको परियों का देश कहा जाता है उसके बारे में बताने जा रहा हूँ.
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में एक ऐसा पर्वत यानि की ऐसा पहाड़ है जहाँ पर परियां अदृश्य रूप मे आज भी विचरण करती है उस पहाड़ को “खेट पर्वत” के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है यदि कोई व्यक्ति दिन के समय या रात के समय इस पहाड़ पर घूमने जाता है तो वह परियों की निगरानी मे रहता है और अगर वह व्यक्ति उन परियों को पसंद आ गया तो वह परियां उस व्यक्ति को अपने साथ परियों के राज्य यानि की परीलोक मे ले जाती है और फिर वह व्यक्ति कभी वापस नहीं आ सकता.
इस पर्वत पर एक मंदिर भी बना हुआ है जिसको खेट खाल मंदिर कहा जाता है और यह भी कहा जाता है की यहाँ पर स्वर्ग से अप्सराये विचरण करने धरती पर आती है और यह उन अप्सराओं का प्रमुख निवास स्थल भी माना जाता है. पहाड़ों में वनदेवियों को आचरी-मातरी के नाम से जाना जाता है और इन्ही को परियों के रूप में भी जाना जाता है. और इन परियों को जो भी पसंद आ जाता है वो उस व्यक्ति को मूर्छित कर अपने साथ ले जाती हैं और उसको अपना बना लेती है.
वैसे यहाँ की खूबसूरती देखने ही बनती है इस पहाड़ के नीचे बहती है भिलंगना नदी जो यहाँ की सुन्दरता को और भी खूबसूरत बनाती है. यहाँ खेट पर्वत एक खुले मैदान मे अलग से सुशोभित होता हुआ नज़र आता है. कहा जाता है कि इस पर्वत की 9 श्रृंखला हैं और उन सभी 9 श्रृंखलाओं मे 9 परियां रहती हैं जो 9 बहने हैं. जिनका आना जाना आज भी स्वर्ग और धरती मे होता रहता है.
ये कहा जाता है की आज भी यहाँ पर परियां अपने लिए खेती करती है और लहसुन, प्याज, अनाज इत्यादि को उगती है और यह भी देखा गया है कि अनाज और धान कूटने वाली ओखाली जो ज़मीन पर होती है वो यहां पहाड़ों और दीवारों पर बनी हुई है. घनघोर जंगल के बीचों-बीच खेती के प्रमाण आज भी मिलते हैं. कहा जाता है की एक बार एक गाँव का ग्वाला अपनी भैंस को चराने के लिए दोपहर के वक़्त यहाँ पर लाया था. उस लड़के का नाम जीतू था. वह पूरे गाँव में अपनी बांसुरी बजाने की कला के लिए बहुत जाना जाता था. कहा जाता है कि जीतू बहुत ही सुरीली और मधुर बांसुरी बजाता था.
वही जब एक दिन जीतू खेट पर्वत पर एक दोपहर में अपनी भैंस चराने के लिए गया तो धूप तेज़ होने की वजह से वह एक पेड़ की छावों मे जाकर बैठ गया और अपनी बांसुरी बजाने लगा. उसकी बांसुरी की मधुर आवाज़ को सुनकर वहां की परियां जो स्वर्गलोक से धरती पर विचरण करने के लिए आई थी जीतू की बांसुरी की आवाज़ की तरफ बढ़ने लगी. जीतू को बांसुरी बजाते हुए देख उसको अपना बनाने की इच्छा मे जीतू को मूर्छित कर हमेशा के लिए अपने पास परीलोक मे ले गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि उस दिन के बाद जीतू कभी भी कही भी नहीं दिखाई दिया.
दोस्तों ये है परियों का देश टिहरी गढ़वाल मे स्तिथ खेट पर्वत जिसको परीलोक कहा जाता है. उत्तराखंड की लोक कहानियों से जुडी कुछ रोचक और मजेदार कहानिया लेकर मैं आता रहूँगा. आप अपनी राय हमको लिखना न भूलें और हमारे साथ जुड़े रहे रोचक और मज़ेदार किस्सों के साथ वो भी सैर-सपाटे के साथ.
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