Why milestones on the highway in India are yellow, green and orange
Milestones – क्या आपने कभी ध्यान दिया है सड़क के किनारे रंग बिरंगे मील के पत्थर लगे होते हैं. आप जब अलग-अलग रास्तों पर जाते हैं तो आपको हर रास्ते पर इनके बदले हुए रंग दिखाई देते हैं. हाईवे पर, एक्सप्रेस वे पर या किसी अन्य मार्ग पर की जाने वाली यात्रा के दौरान आपको ये मील के पत्थर या माइलस्टोन अलग रंगों में दिखते रहते हैं. क्या आप जानते हैं कि सड़क के किनारे या हाईवे पर मील के पत्थर क्यों होते है और क्यों ये अलग अलग रंगों में होते हैं.
मील का ये पत्थर, एक प्रकार से तय की जाने वाली दूरी को दिखाता हैं. यह हमें बताता हैं कि निश्चित स्थान से हमारी मंजिल कितनी दूर है. भारत में सभी सड़कों पर एक जैसे मील के पत्थर ( Milestones ) नहीं होते है. ये निर्भर करता है हाईवे पर, जैसे कि राष्ट्रीय राजमार्ग नेशनल हाईवे, राज्य राजमार्ग, जिला और गांव की सड़कों के लिए अलग-अलग रंग की पट्टियों वाले पत्थर होते है. आज हम आपको इस लेख के जरिए बताएंगे मील के पत्थर में अलग- अलग रंग का क्या मतलब होता है.
TRAVEL HOMESTAY की कैसे करें बुकिंग? ये हैं काम के TIPS
सड़क पर चलते वक्त या ड्राइव करते वक्त किनारे में एक ऐसा पत्थर दिखे जिसका ऊपरी हिस्सा पीले रंग का हो तो समझ जाएये की आप नेशनल हाईवे पर चल रहे हैं. इससे यह पता चलता है की पीले रंग का पेंटेड माइलस्टोन ( Milestones ) या मील का पत्थर भारत में सिर्फ नेशनल हाईवे पर ही लगाए जाते हैं. यह हाईवे की देखरेख केंद्र सरकार के जिम्मे में रहती है.
ये भारत का प्रमुख हाईवे है जो सभी शहरों और राज्यों को कनेक्टिविटी प्रदान करता हैं. NH की देखरेख भारत सरकार (यानी NHAI), नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा की जाती है. नेशनल हाईवे 70,000 किलोमीटर से भी अधिक लंबा होता है और इन हाईवों के द्वारा उत्तर-दक्षिण- पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (NS-EW corridor) और Golden Quadrilateral भी बनते हैं.
उत्तर-दक्षिण कोरिडोर: जम्मू एवं कश्मीर में श्रीनगर से भारत के दक्षिणी सिरे यानी कन्याकुमारी तक फैला हुआ है. इस प्रमुख सड़क की लंबाई 4000 किलोमीटर है.
पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर : गुजरात में पोरबंदर को असम में सिलचर के साथ जोड़ता है और इस सड़क की कुल लंबाई 3300 कि.मी. है.
ध्यान दें कि उत्तर-दक्षिण – पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर एक ही कॉरिडोर हैं न कि अलग-अलग.
Golden Quadrilateral (GQ): भारत में चार महानगरों को जोड़ने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क है – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता, की कुल लंबाई 5846 किमी है.
जब आपको सड़क पर हरे रंग का मील का पत्थर ( Milestones ) दिखाई दे तो समझ जाइए की आप नेशनल हाईवे पर नहीं बल्कि राज्य हाईवे या स्टेट हाईवे पर चल रहे हैं. भारत में जब सड़कों का निर्माण राज्य सरकार कि ओर से कराया जाता है तो हरे रंग के माइलस्टोन या मील के पत्थर लगाए जाते हैं और इन सड़कों की देखभाल पूर्ण रूप से राज्य की सरकार करती हैं.
स्टेट हाईवे : राज्य राजमार्गों की लंबाई लगभग 150,000 किमी होती है और राज्यों द्वारा प्रत्येक राज्य में प्रवेश और शहरों में अंतर-संपर्क स्थापित करने के लिए प्रबंधित किया जाता है.
जब आपको सड़क पर काले, नीले या सफेद रंग की पट्टी वाला माइलस्टोन दिखे तो समझ जाइए की आप किसी बड़े शहर या जिले में आ गए हैं. साथ ही वह सड़क आने वाले जिले के नियंत्रण में आती है. इस सड़क की देखभाल उसी शहर के प्रशासन कि ओर से की जाती है.
जब आपको सड़क के किनारे नारंगी रंग की पट्टी वाला माइलस्टोन या मील का पत्थर दिखता है तो समझ जाइए की आप किसी गांव या फिर गांव की सड़क पर हैं. यह पट्टी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना रोड का प्रतिनिधित्व करती है.यह पट्टी प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना को भी दर्शाती है.
जीरो माइल सेंटर वह स्थान था जिसे अंग्रेज़ अन्य सभी शहरों की दूरियों को मापने के लिए एक संदर्भ बिंदु के रूप में इस्तेमाल करते थे. नागपुर ‘शून्य मील केंद्र’ के रूप में और इस प्रकार औपनिवेशिक भारत (Colonial india) के भौगोलिक केंद्र के रूप में काम किया. केंद्र में एक बलुआ पत्थर का स्तंभ है, जिसकी सूची भारत के प्रमुख शहरों के लिए सड़क मार्ग से सटीक दूरी प्रदान करती है.
Iran Travel Blog : ईरान, जिसे पहले फारस (Persia) के नाम से जाना जाता था,… Read More
Pahalgam Travel Guide : भारत के जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम (Pahalgam) उन चंद जगहों में… Read More
Haifa Travel blog: इजरायल और ईरान युद्ध में जिस एक शहर की चर्चा सबसे ज्यादा… Read More
Jagannath Puri Temple, ओडिशा का एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल आस्था बल्कि… Read More
उत्तराखंड के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ तक पहुँचने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु Helicopter Services… Read More
Air travel को भले ही आज सबसे सुरक्षित transport modes में गिना जाता है, लेकिन… Read More