Interesting Travel Facts

कहां से हुई SILK ROUTE की शुरुआत ? SILK ROUTE पर कौन- कौन से देश आते थे ?

SILK ROUTE : क्या आपने सिल्क रूट ( Silk Route ) नाम सुना है ? क्या यहां पर सिर्फ सिल्क का व्यापार ही होता था? कहां से हुई थी Silk Route की शुरुआत? क्या आपको पता है सिल्क रोड ( Silk Route ) का जमीनी हिस्सा कितने किलोमीटर लंबा था ? अगर नहीं पता तो आप एक नजर इस ऑर्टिकल पर डाल सकते है ।

क्या है Silk Route? : सिल्क रूट (Silk Route) ये प्राचीन काल में पूर्व और पश्चिम जगत को जोड़ने वाले प्रमुख व्यापारी मार्गों का जाल था। जिसे हम नेटवर्क और ट्रेड रूट बोल सकते है । इस सिल्क रूट की शुरुआत चाइना के हान साम्राज्य में हुई थी । इस रूट ने ईसवीं सन पूर्व 130 से लेकर ईसवीं सन 1453 तक व्यापार को जोड़े रखा । इस रूट को सिल्क रूट नाम देने का श्रेय GERMAN GEOGRAPHER और TRAVELLER  FERDINAND VAN RICHTHO FAN को जाता है । इस सिल्क रोड पर WEST से EAST और EAST से WEST  में व्यापार होता था। सिल्क रोड का जमीनी हिस्सा 6500 किलोमीटर लंबा था। इसका नाम चीन के रेशम के नाम पर पड़ा, जिसका व्यापार इस मार्ग की मुख्य विशेषता थी। व्यापारिक नजरिए से चीन रेश्म चाय और चीनी मिट्टी के बर्तन भेजता था तो वहीं भारत मसालें, हाथीदांत, कपड़े, काली मिर्ची और कीमती पत्थर भेजता था। वहीं, रोम से सोना चांदी, शीशे की वस्तुएं, शराब, कालीन और गहने आते थे।

क्यों पड़ा Silk Route नाम ? : ऐसा नहीं है कि SILK ROAD नाम है तो इन मार्गों पर केवल सिल्क की ट्रेडिंग होती थी। बल्कि ये रोड चीन को अनेक भागों से जोड़ता था, और विविध प्रकार की चीजों का इस मार्ग के जरिए व्यापार किया जाता था। इस रूट के जरिए दुनिया के अनेक देश आपस में जुड़े हुए थे। ऐसा भी नहीं है कि सिल्क रोड के तहत सिर्फ थल मार्ग आते थे। इस कॉरिडोर के जरिए जल और थल दोनों ही मार्गों के जरिए ट्रांसपोटेशन की व्यवस्था थी और यह ईस्ट एशिया, साउथ ईस्ट एशिया अफ्रीका वेस्ट अफ्रीका और साउदर्न यूरोप तक व्यापार मार्ग को बढ़ाया था।

Silk Route का Golden period: चीन के दूसरे शासक हान वंश 207 ईसा पूर्व से 220 ईस्वी के थे। सिल्क रोड की शुरुआत और विकास इनके राज्यकाल में सबसे ज्यादा हुआ। ये भी कह सकते हैं कि सिल्क रोड का स्वर्णिम काल हान वंश के शासनकाल में ही रहा। सिल्क रोड के माध्यम से उस समय न सिर्फ व्यापार और संस्कृति का आदान- प्रदान किया जाता था। बल्कि यह सेनाओं के एक जगह से दूसरे जगह जाने का भी सबसे सुगम मार्ग था। इसी काल में the great wall of china का  निर्माण हुआ था। सिल्क रोड के जरिए चीन शासकों ने 618-908 ईस्वीं तक मजबूत रूप से सेंट्रल एशिया पर शासन किया था। सिल्क रोड ने उस समय ही चीन, कोरिया, जापान, इंडिया, ईरान अफगानिस्तान, यूरोप और अरेबिया में सभ्यता के विकास में अहम भूमिका निभाई थी। इस सिल्क रोड के जरिए धर्म, तकनीक, संस्कृति और समस्याओं के रूप में बीमारियों का भी एक देश से दूसरे देश में जाना हुआ करता था।

किन देशों से होकर गुजरती है SILK ROAD: लोकप्रिय धारणा के बावजूद, ग्रेट सिल्क रोड एक निरंतर सड़क नहीं थी। इसमें विभिन्न देशों से गुजरने वाले कारवां के लिए कई रास्ते शामिल थे। पहली दिशा, उत्तरी सड़क तरिम नदी के किनारे टीएन शान रेंज के बगल से गुजरी, फिर यह मध्य एशिया के पहाड़ों में फरगना घाटी में चला गया और फिर वोल्गा नदी के साथ, सड़क उत्तरी काले सागर क्षेत्र में ग्रीक उपनिवेशों तक पहुंच गई। मुख्य राजमार्ग दक्षिणी सड़क थी, जो मध्य एशिया में पामीर पर्वत श्रृंखला के माध्यम से अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईरान के माध्यम से रोम तक जाती थी। फिर सड़क दो दिशाओं में विभाजित हुई, जिनमें से एक सीरिया तक, दूसरी आर्मेनिया के लिए थी।

यात्रा का समुद्री हिस्सा मिस्र, अलेक्जेंड्रिया में लाल सागर से शुरू हुआ और हिंद महासागर भारत के पश्चिमी तटों तक गया। फिर अमु दरिया नदी के पार कैस्पियन सागर तक सड़क ने बैक्ट्रिया का नेतृत्व किया। फिर मार्ग अजरबैजान, आर्मेनिया और जॉर्जिया को पार कर काला सागर में चला गया, फिर रोम की ओर बढ़ गया।

इसलिए, सिल्क रोड देश के मुख्य देश चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, अजरबैजान, जॉर्जिया, आर्मेनिया थे।

रेशम का रोचक इतिहास : रेशम नेचुरल प्रोटीन से बना एक रेशा होता है। जिससे बहुत ही मुलायम और चमकदार कपड़े बनाए जा सकते है। रेशम को कुछ कीड़ों के लार्वा से बनाया जाता है इन कीड़ों को ‘पिल्लु’ कहते है और यह कई प्रकार के होते हैं चीन में शहतूत के पेड़ के पत्तों पर पलने वाले पिल्लु सबसे अच्छे माने जाते है रेश्म की खोज ईसा से भी 4000 साल पहले चीन में हुई मानी जाती है। बताया जाता है कि प्राचीन काल में चीन में एक नियम ये भी था कि अगर कोई रेशम बनाने की तकनीन किसी दूसरे देश को बताता हुआ पकड़ा गया तो उसे मृत्युदंड दिया जाता था ।

Recent Posts

Datia Travel Guide : Maa Pitambara Peeth पीठ दिलाता है हर कष्ट से मुक्ति, जानें यात्रा गाइड

Datia Travel Guide Maa Pitambara Peeth : मध्य प्रदेश के दतिया जिले में मां पीतांबरा… Read More

14 hours ago

Haridwar Travel Guide : हरिद्वार की यात्रा कैसे करें? यहां मिलेगी पूरी जानकारी

Haridwar Travel Guide : अगर आप हरिद्वार घूमने की योजना बना रहे हैं, तो हम… Read More

3 days ago

Dermatologist चेतावनी: सर्दियों में की जाने वाली ये 8 आदतें धीरे-धीरे खराब कर रही हैं Skin और Hair Health

ठंड के मौसम में स्किन और बालों पर सबसे ज़्यादा असर पड़ता है। Dermatologists का… Read More

5 days ago

Shimla-Manali भूल जाइए-यहां Snowfall का असली मज़ा मिलता है!

जब भी भारत में snowfall देखने की बात आती है, ज़्यादातर लोगों के दिमाग में… Read More

5 days ago

17 साल बाद कांचीपुरम के एकाम्बरणाथर मंदिर में महाकुंभाभिषेक सम्पन्न, हजारों श्रद्धालु बने साक्षी

कांचीपुरम के प्रसिद्ध एकाम्बरणाथर मंदिर में आज 17 साल बाद महाकुंभाभिषेक की पवित्र परंपरा सम्पन्न… Read More

6 days ago

2025 में भारत के सबसे ज्यादा सर्च किए गए Travel Destinations: नंबर 5 पर यकीन नहीं होगा!

2025 भारतीय यात्रियों के लिए सिर्फ vacation planning का साल नहीं था, बल्कि यह meaningful… Read More

1 week ago