know the history and curse of saryu river in ayodhya
Saryu River सरयू नदी, भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश (यूपी) से होकर बहती है और यूपी के बहराइच जिले में महाकाली (शारदा) और करनाली (घाघरा) नदियों से संगम करती है. महाकाली भारत-नेपाल सीमा के दक्षिण-पश्चिम हिस्से का निर्माण करती है. कुछ मानचित्रकार सरयू को निचले घाघरा नदी का एक हिस्सा मानते हैं. सरयू को हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है. अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित है. रामनवमी पर, भगवान राम के जन्मदिन को मनाने वाले त्योहार, हजारों लोग अयोध्या में सरयू नदी में डुबकी लगाते हैं.
रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी. सरयू नदी का उद्गम (Origin) उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले से हुआ है. बहराइच से निकलकर यह नदी गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है. पहले यह नदी (Saryu River) गोंडा के ‘परसपुर’ तहसील में ‘पसका’ नामक तीर्थ स्थान पर घाघरा नदी से मिलती थी. पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे ‘चंदापुर’ नामक स्थान पर मिलती है. अयोध्या तक ये नदी (Saryu River) सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी (Saryu River) ‘घाघरा’ के नाम से जानी जाती है. सरयू नदी (Saryu River) की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है. हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से हो कर बहने के कारण हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है. सरयू नदी का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है.
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सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदी राप्ती है, जो इसमें उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के ‘बरहज’ नामक स्थान पर मिलती है. इस क्षेत्र का प्रमुख नगर गोरखपुर इसी राप्ती नदी के तट पर स्थित है और राप्ती तंत्र की अन्य नदियां आमी, जाह्नवी इत्यादि हैं,जिनका जल अंततः सरयू में जाता है. बहराइच, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद, अयोध्या, राजेसुल्तानपुर, दोहरीघाट, बलिया आदि शहर इस नदी के तट पर स्थित हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार सरयू, घाघरा व शारदा नदियों का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था. पुराणों में वर्णित है कि सरयू भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रगट हुई हैं. आनंद रामायण के यात्र कांड में उल्लेख है कि प्राचीन काल में शंकासुर दैत्य ने वेद को चुरा कर समुद्र में डाल दिया और स्वयं वहां छिप गया था. तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध किया और ब्रह्मा को वेद सौंप कर अपना वास्तविक स्वरूप धारण किया. उस समय हर्ष के कारण भगवान विष्णु की आंखों से प्रेमाश्रु टपक पड़े. ब्रह्मा ने उस प्रेमाश्रु को मानसरोवर में डाल कर उसे सुरक्षित कर लिया. इस जल को महापराक्र मी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला. यही जलधारा सरयू नदी कहलाई. बाद में भगीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाये और उन्होंने ही गंगा व सरयू का संगम करवाया.
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ऋग्वेद में इंद्र द्वारा दो आर्यों के वध की कथा में जिस नदी के तट पर इस घटना के होने का वर्णन है वह यही नदी है. रामायण में वर्णित है कि सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता है. बाद के काल में रामचरित मानस में तुलसीदास ने इस नदी का गुणगान किया है. मत्स्यपुराण के अध्याय 121 और वाल्मीकि रामायण के 24वें सर्ग में इस नदी का वर्णन है. वामन पुराण के 13वें अध्याय, ब्रह्म पुराण के 19वें अध्याय और वायुपुराण के 45वें अध्याय में गंगा, यमुना, गोमती, सरयू और शारदा आदि नदियों का हिमालय से प्रवाहित होना बताया गया है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार सरयू, घाघरा व शारदा नदियों का संगम तो हुआ ही है, सरयू व गंगा का संगम श्रीराम के पूर्वज भगीरथ ने करवाया था. सरयू नदी की कुल लंबाई करीब 160 किमी है. हिंदुओं देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से होकर बहने से हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है.
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