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Maha Kumbh 2025 : 2025 में महाकुंभ मेला कब है? जानें शाही स्नान की सही तारीखें, पूरी जानकारी

Maha Kumbh 2025 : कुंभ मेला हर 3 साल, अर्ध कुंभ मेला हर 6 साल और महाकुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित किया जाता है. आखिरी महाकुंभ मेला साल 2013 में आयोजित किया गया था. इसके बाद 2019 में अर्ध कुंभ मेला आयोजित किया गया. अब महाकुंभ मेला साल 2025 में आयोजित होने जा रहा है और यह बहुत भव्य होने वाला है. आइए जानते हैं महाकुंभ 2025 से जुड़ी अहम बातें.

महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 29 जनवरी 2025 को सिद्धि योग में होने जा रहा है. सनातन धर्म को मानने वालों के लिए यह सबसे बड़ा पर्व है. जिसमें दुनिया भर से साधु-संतों और लोगों की भीड़ इस पवित्र मेले में भाग लेने के लिए आती है. महाकुंभ का नजारा ऐसा होता है मानो पूरी दुनिया से लोग इस मेले में आए हों. हर कोई महाकुंभ के इस पवित्र महासंगम में डुबकी लगाने की इच्छा रखता है. इसीलिए इसे महासंगम भी कहा जाता है। महाकुंभ 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है.

महाकुंभ 2024 के शाही स्नान की तिथि || Date of Royal Bath of Maha Kumbh 2024

13 जनवरी: महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान 13 जनवरी को होगा। इस दिन पौष पूर्णिमा भी है..

14 जनवरी: मकर संक्रांति के पावन अवसर पर भव्य शाही स्नान का आयोजन किया जाएगा.

29 जनवरी: 29 जनवरी को मौनी अमावस्या है. इस दिन शाही स्नान भी होगा.

3 फरवरी: 3 फरवरी को बसंत पंचमी के अवसर पर शाही स्नान है.

12 फरवरी: माघ पूर्णिमा के पावन अवसर पर भी शाही स्नान किया जाएगा.

26 फरवरी: महाशिवरात्रि के अवसर पर भी शाही स्नान किया जाएगा.

महाकुंभ मेला किन स्थानों पर आयोजित किया जाता है || In which places is the Maha Kumbh Mela organized?

महाकुंभ मेला मुख्य रूप से 4 स्थानों पर आयोजित किया जाता है.

हरिद्वार- कुंभ मेला हरिद्वार में तब आयोजित किया जाता है जब सूर्य मेष राशि में होता है और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है.

प्रयागराज- महाकुंभ प्रयागराज में तब आयोजित किया जाता है जब सूर्य मकर राशि में होता है.

नासिक- महाकुंभ मेला नासिक में तब आयोजित किया जाता है जब सूर्य और बृहस्पति मकर राशि में होते हैं.

उज्जैन- महाकुंभ उज्जैन में तब आयोजित किया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि में होता है और सूर्य मेष राशि में होता है.

महाकुंभ 2025 का महत्व || Significance of Maha Kumbh 2025

‘कुंभ’ की उत्पत्ति बहुत प्राचीन है, इसकी शुरुआत समुद्र मंथन के समय से हुई थी. जब अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच युद्ध हुआ था. हिंदुओं के लिए कुंभ का विशेष महत्व है. हर महाकुंभ के अवसर पर लाखों श्रद्धालु इस भव्य उत्सव में भाग लेने आते हैं. साल 2003 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ मेले में 10 मिलियन से ज्यादा लोगों ने भाग लिया था.

कुंभ की सबसे बड़ी खासियत मेले में शामिल होने वाले चमत्कारों से भरे साधु-संत हैं, जो कम ही देखने को मिलते हैं. महाकुंभ का सबसे बड़ा महत्व यह है कि इसमें भाग लेने वाले लोगों में एक अलग तरह की अनुभूति होती है. ऐसा माना जाता है कि कुंभ के दौरान स्नान करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है जिससे व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है.

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