Mosques in Delhi - popular muslim shrines in India capital
Mosques in Delhi – दिल्ली विविध संस्कृतियों के लोगों से भरी है. प्रत्येक संस्कृति का ईश्वर में अपना विश्वास है और उनकी अपनी नैतिकता है. हमारे पास मंदिर, चर्च और मस्जिद हैं. यह लेख आपको दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध मस्जिदों के बारे में विस्तार से बताने जा रहा है. जैसे ही हम मस्जिद का जिक्र करते हैं तो सबसे पहले नाम जो मन में आता है, वह प्रसिद्ध जामा मस्जिद है, जो भारत में सबसे बड़ी और सबसे सुंदर मस्जिदों में से एक है. इसके अलावा, दिल्ली में कई मस्जिदें हैं. इनमें से कुछ मस्जिद सभी लोग जा सकते हैं. हमने नीचे दिल्ली की कुछ प्रसिद्ध मस्जिदों और दरगाहों की सूची बनाई जहां आप एक बार घूमने के लिए जा सकते हैं.
जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है. मस्जिद ए जहांनुमा’ था, जिसका अर्थ है पूरी दुनिया को दिखने वाली मस्जिद. बड़ा होने के कारण यहां काफी लोग जमा होने लगे. इससे लोगों ने इसे जामा मस्जिद कहना शुरू कर दिया. यहीं नाम आगे चलकर जुमा मस्जिद हुआ यानी, जहां जुमे की नमाज होती है. आगे समय के साथ ‘मस्जिद ए जहांनुमा’, जामा मस्जिद कहलाने लगी. इसी शहर में जामा मस्जिद तैयार हो की गई थी, जो मगल कला की समृद्धता का बड़ा उदाहरण बनी.
Ajmer Sharif Dargah Tour – जानें अजमेर दरगाह के Rules, यहां अकबर के कढ़ाहे में बनती है बिरयानी
मस्जिद की नक्काशी में हिन्दू एवं जैन वास्तुकला की भी छाप छोड़ी गई. माना जाता है कि जामा मस्जिद शाहजहां की आखिरी अतिरिक्त खर्चीली वास्तुशिल्प थी. इतना ही नहीं मुगल शासक शाहजहां का यह अंतिम आर्किटेक्चरल काम था, इसके बाद उन्होंने किसी कलात्मक इमारत का निर्माण नहीं करवाया. आंगन में एक बार में 25,000 से अधिक लोग नमाज अदा कर सकते हैं. जामा मस्जिद को बनाने में पूरे छह साल लगे थे.
पता: चांदनी चौक, नई दिल्ली
समय : सुबह 7:00 बजे-दोपहर 12:00 बजे, दोपहर 1:30 बजे- शाम 6:30 बजे
ये दरगाह उस संत की है जिसने दुनिया को इंसानियत, भाईचारे और प्यार की सीख दी है. हजरत निज़ामुद्दीन चिश्ती घराने के चौथे संत थे. इस सूफी संत ने शांति और सहनशीलता की मिसाल पेश की, कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने युद्ध रोक दिया था, इस तरह ये हर धर्म के लोगों में लोकप्रिय बन गए.
हजरत साहब ने 92 वर्ष की आयु में अपने प्राण त्यागे और उसी साल उनके मकबरे का निर्माण शुरू हो गया, पर इसका नवीनीकरण 1562 तक होता रहा. दरगाह में संगमरमर से बना एक छोटा चौकोर कमरा है, इसके संगमरमरी गुंबद पर काले रंग की लकीरें हैं. मकबरा चारों ओर से मदर ऑफ पर्ल केनॉपी और मेहराबों से घिरा है, जो झिलमिलाती चादरों से ढकी रहती हैं. यह इस्लामिक वास्तुशैली का एक बेहतरीन नमूना है.
पता: निजामुद्दीन पश्चिम, नई दिल्ली
समय : 5:00 – 10:30 बजे
फतेहपुरी मस्जिद का निर्माण 1650 में फतेहपुरी बेगम ने किया था, जो शाहजहां पत्नी थी. यह मस्जिद मुगल वास्तुकला की भव्यता का एक सुंदर नमूना है. जो आज तक मुगल और ब्रिटिश काल से सभी ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह है. मस्जिद लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई है. ये मस्जिद पूरी दिल्ली में एक अकेली गुंबददार मस्जिद है.
Agra Tour Guide : आगरा में ताजमहल के अलावा ये 9 जगहें भी घूमें, यहां से लें Full Information
हालांकि मस्जिद बाहर से बहुत ही छोटी दिखाई देती है लेकिन अन्दर जाने पर पता चलता है की ये एक विशाल संरचना है. मस्जिद परंपरागत डिजाइन में है जिसका प्रार्थना हॉल धनुषाकार है साथ ही इसके अन्दर साथ विशाल मेहराब हैं. मस्जिद के तीन द्वार हैं जिसका फाटक लाल किले के सामने है, और अन्य दो एक उत्तर में और दूसरा मस्जिद के दक्षिण में है. इस्लाम धर्म के अनुनायी आज भी अपने दो प्रमुख त्योहारों ईद-उल-फितर और ईद -उल – जुहा को बड़ी ही भव्यता के साथ इस मस्जिद में मानते हैं.
पता : चांदनी चौक,
घंटे: 5:00-9:30 बजे
खिड़की मस्जिद के अंदर बनी खूबसूरत खिड़कियों के कारण इसका नाम खिड़की मस्जिद पड़ा. यह मस्जिद दो मंजिला है. मस्जिद के चारों कोनों पर बुर्ज बने हैं. तीन मीनारें बनी हैं. खिड़की मस्जिद का निर्माण मलिक मकबूल ने किया था. मस्जिद में उसके इतिहास को दर्शाते हुए कोई शिलालेख नहीं बनाया गया है.
1915 में भारत के राजपत्र में इसे ‘खिडकी मस्जिद’ के रूप में दर्ज किया गया है 87 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैले, खिड़की मस्ज़िद में चार बड़े आंगन हैं जो मस्जिदों के आंतरिक प्रार्थना हॉल में पर्याप्त प्रकाश और वेंटिलेशन प्रदान करते हैं.
पता : खिड़की एक्सटेंशन, मालवीय नगर
Ajmer Tour Guide in Hindi – अजमेर में ये 16 जगहें हैं बेहतरीन, जरूर घूमने जाएं
मोठ की मस्जिद या मस्जिद मोठ जिसका वस्तुतः अर्थ “दाल मस्जिद” है. इसे 1505 में वज़ीर मियां भाइयों ने बनवाया था, यहां के विस्तृत क्षेत्र में दाल की खेती से हुई आय द्वारा इस मस्जिद का निर्माण हुआ था. इसीलिए इस मस्जिद का नाम मोठ की मस्जिद पड़ा. इस मस्जिद की नींव स्वयं सिकंदर लोदी ने रखी थी और कहा जाता है कि यह मस्जिद मियां भोइयों की निजी मस्जिद थी. यह मस्जिद अपनी भारतीय – इस्लामिक वास्तुकला के लिए जानी जाती है. लाल पत्थरों से बनी इस मस्जिद में जालीदार नक्काशी वाली खिड़कियां, एक छोटा अर्धवृत्ताकार गुंबद, खुले मेहराब एवं दो मंजिला बुर्ज हैं. फूलों की अद्भुत एवं जटिल नक्काशियां सुंदर दृश्य उपस्थित करती हैं.
Kalp Kedar : कल्प केदार उत्तराखंड राज्य में स्थित एक रहस्यमय और अलौकिक तीर्थस्थल है,… Read More
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का धराली गांव एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ… Read More
Chhatarpur Mandir जिसे छतरपुर मंदिर कहा जाता है, दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध और भव्य मंदिरों… Read More
Partywear dresses for women के लिए एक complete guide – जानें कौन-से आउटफिट्स पहनें शादी,… Read More
दोस्तों सुहागरात न सिर्फ रिश्ते की नई शुरुआत होती है बल्कि ये पति और पत्नी… Read More
Gates of Delhi : दिल्ली एक ऐसा शहर जिसने सदियों से इतिहास के कई पन्नों… Read More