tanot-mata-mandir-where-bomb-of-pakistan-get-defused
Tanot Mata Mandir – बम वाली देवी मंदिर जैसलमेर जिले के तनोट गांव में स्थित है, गांव का नाम देवी तनोटराय माता के नाम पर ही रखा गया है. जैसलमेर से कोई 122 किलोमीटर दूर, इंडो पाक बॉर्डर से सटा हुआ यह मंदिर स्थानीय निवासियों की श्रद्धा का केंद्र है. मंदिर का बॉर्डर फ़िल्म और युद्ध के अलावा, पाकिस्तान से भी बेहद खास रिश्ता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार बलूचिस्तान स्थित हिंगलाज माता का ही अवतरण है तनोटराय. तनोटराय को आवड के नाम से भी जाना जाता है. यह कहानी काफी लंबी है पर है बेहद ही दिलचस्प है.
सन 1965 और 71 के भारत-पाक युद्ध के दौरान मंदिर के आस-पास पाकिस्तानी फौज द्वारा गिराए गए बम नहीं फटे थे. ये बम आज भी मंदिर के साथ बने म्यूजियम में रखे हैं. बमों के न फटने का कारण देवी का चमत्कार बताया जाता है. .प्रदेश का यह एक मात्र मंदिर है, जिसका संचालन सीमा सुरक्षा बल करता और जवान माता की पूजा जवान करते हैं. मंदिर की साफ-सफाई के अलावा मंदिर में होने वाली तीन समय की आरती बीएसएफ के जवान ही करते हैं. मातेश्वरी तनोट राय मंदिर में प्रतिदिन सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा की जाने वाली आरती में भक्ति भावना के साथ जोश का अनूठा रंग नजर आता है. अभी यहां 139वीं रामगढ़. मातेश्वरी तनोट राय मंदिर में आरती करते बीएसएफ के जवान सीमा सुरक्षा बल तैनात है.
तनोट माता को रूमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है. माता तनोट के प्रति आस्था रखने वाले भक्त मंदिर में रुमाल बांधकर मन्नत मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर रूमाल खोला जाता है. यह माता के प्रति बढ़ती आस्था ही है कि दूर-दराज से हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर माता के दरबार में पहुंचते हैं और पैदल जाने वाले भक्तों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. तनोट माता के दर्शन करने वाले भक्त रूमाल बांधकर माता के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं.
वो पाकिस्तानी बम जो मंदिर को खरोंच तक नहीं पहुंचा सके, आज भी मंदिर के म्यूजियम में देखने को मिलते हैं. अब अगर कभी जैसलमेर आने का प्लान बने तो किले के अलावा इस तरफ जरूर आएं. रास्ता बेहद ही खूबसूरत है, अच्छी सड़क और मस्त नज़ारे देखने को मिलेंगे. अगर बाइक से आ सकते हैं तो सोने पे सुहागा हो जाएगा. नीचे कुछ ज़रूरी जानकारी शेयर कर रहे हैं, आपके काम आ सकती है.
तनोट माता मंदिर और तनोट गांव जैसलमेर शहर से लगभग 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां केवल सड़क के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, क्योंकि अब इस मार्ग पर एक रेलवे लाइन का निर्माण किया जा रहा है. जैसलमेर से निजी टैक्सी, साझा टैक्सी और बसें आसानी से मिल जाएंगी.
आमतौर पर, थार मरुस्थल को सर्दियों के दौरान सबसे अच्छा दौरा किया जाता है, लेकिन नवरात्रि महोत्सव के लिए हिंदू कैलेंडर के अनुसार होने वाले दो वार्षिक मेलों के दौरान तनोट माता मंदिर का दौरा किया जा सकता है (आमतौर पर अप्रैल और अक्टूबर के महीनों में पड़ता है)। तनोट माता मंदिर जाने के लिए मानसून में भी आया जा सकता है.
तनोट माता मंदिर परिसर के अंदर एक धर्मशाला है जो बीएसएफ जवान जिसे चलाते हैं. वहां आप ठहर सकते हैं. मंदिर के बाहर स्थानीय भोजन भी मिलते है जिसकों आप टेस्ट कर सकते हैं.
Kalp Kedar : कल्प केदार उत्तराखंड राज्य में स्थित एक रहस्यमय और अलौकिक तीर्थस्थल है,… Read More
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले का धराली गांव एक बार फिर प्राकृतिक आपदा का शिकार हुआ… Read More
Chhatarpur Mandir जिसे छतरपुर मंदिर कहा जाता है, दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध और भव्य मंदिरों… Read More
Partywear dresses for women के लिए एक complete guide – जानें कौन-से आउटफिट्स पहनें शादी,… Read More
दोस्तों सुहागरात न सिर्फ रिश्ते की नई शुरुआत होती है बल्कि ये पति और पत्नी… Read More
Gates of Delhi : दिल्ली एक ऐसा शहर जिसने सदियों से इतिहास के कई पन्नों… Read More