Friday, March 29, 2024
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World Tallest Shiva Statue : दुनिया की सबसे ऊंची 351 फीट की शिव प्रतिमा बनकर तैयार, बनने में लगे दस साल

World Tallest Shiva Statue : राजस्थान का हर कण अपनी वीरता, त्याग और भक्ति के साथ-साथ स्पिरिचुअल कल्चर और विरासत के कारण देश-विदेश के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसी कड़ी में राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथद्वारा में श्रीनाथ जी की पावन धरा पर 351 फ़ीट की विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनाई गई है.  यह भगवान शिव की एकमात्र ऐसी मूर्ति है जिसमें लिफ्ट की सीढ़ियों से लोगों के बैठने के लिए हॉल बनाया गया है. पहले इस मूर्ति की ऊंचाई 251 फीट रखी जानी थी लेकिन बाद में इसे 351 फीट करने का निर्णय लिया गया.

नाथद्वारा शहर को जल्द ही राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देश के प्रमुख मंदिर में भी एक नई पहचान मिलेगी. यह शहर अब दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा के लिए भी जाना जाएगा. 351 फीट ऊंची शिव प्रतिमा का इस साल दिवाली के बाद उद्घाटन किया जाएगा.  इसका उद्घाटन देश के अग्रणी राम कथा वाचक संत मोरारी बापू के हाथों किया जाएगा.  दस साल पहले संत मोरारी बापू ने स्वयं इस प्रतिमा की नींव रखी थी.

6 नवंबर को होगा प्रतिमा का उद्घाटन ||The statue will be inaugurated on November 6

यह अफवाह है कि संत मोरारी बापू अगले महीने 6 नवंबर को इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे, लेकिन इसकी आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है. इस कार्यक्रम में देश के जाने-माने मेहमानों और राजनेताओं को आमंत्रित किया जाएगा. संत मोरारी बापू नाथद्वारा में होने वाली राम कथा के बीच राजसमंद जिले के नाथद्वारा शहर में एक छोटी सी पहाड़ी पर बनी शिव की प्रतिमा का लोकार्पण करेंगे.

दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा || tallest Shiva statue in the world

शिव प्रतिमा को 20 किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है, यहां लिफ्ट से पहुंचा जा सकता है.  दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बीस किलोमीटर आगे से दिखाई देती है. बैठी हुई अवस्था में बनी यह शिव मूर्ति बेहद खास है. यानी 280 फीट की ऊंचाई तक जाकर शिव के कंधे पर खिड़कियों से अरावली की पहाड़ियों को देखा जा सकता है.

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दस साल लगे बनाने में ||took ten years to make

प्रतिमा को नाथद्वारा व्यवसायी मिराज ग्रुप के मालिक और सीएमडी मदन पालीवाल ने तैयार किया है.  जिसे बनने में करीब दस साल लगे. यह शिवाजी की एकमात्र मूर्ति है, जिसमें लोगों के बैठने के लिए लिफ्ट, सीढ़ियां, हॉल है. पहले इस मूर्ति की ऊंचाई 251 फीट रखी जानी थी लेकिन बाद में इसे 351 फीट करने का निर्णय लिया गया. इसके अंदर दो लिफ्ट हैं, जिसमें 29-29 श्रद्धालु एक बार में 110 फीट तक जा सकते हैं, तो 13-13 श्रद्धालु एक साथ 280 फीट तक जा सकते हैं. इसके अलावा तीन सीढ़ियां भी हैं.

दर्शन करने आए श्रद्धालुओं को बताया जाएगा कि कैसे बनी थी मूर्ति ||The devotees who came to visit will be told how the idol was made

यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इस प्रतिमा के अंदर हॉल में बताया जाएगा कि इस प्रतिमा को बनाने की प्रक्रिया कैसी रही. उन्हें प्रोजेक्टर के माध्यम से इसके निर्माण की शुरुआत से लेकर अंत तक की प्रक्रिया के बारे में बताया जाएगा.  गौरतलब है कि वर्ष 2012 में संत मोरारी बापू ने इस प्रतिमा की नींव रखी थी. उस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हुए थे. गहलोत अभी भी राज्य के मुख्यमंत्री हैं.

नेपाल में शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा || tallest statue of shiva in nepal

बता दें नाथद्वारा की शिव प्रतिमा से पहले दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा नेपाल के कैलाशनाथ मंदिर में है, जिसकी ऊंचाई 143 फीट है. इसके अलावा कर्नाटक के मरुदेश्वर मंदिर में 123 फीट ऊंची शिव प्रतिमा, तमिलनाडु के स्थील आदियोग मंदिर में 112 फीट ऊंची शिव प्रतिमा और मॉरीशस में मंगल महादेव की 108 फीट ऊंची शिव प्रतिमा भी दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमाओं में शामिल हैं.

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3 हजार टन की मूर्ति ||3 thousand ton statue

इस शिव प्रतिमा की निर्माण कंपनी और इस परियोजना के प्रभारी व्यक्ति के अनुसार नाथद्वारा की शिव प्रतिमा का वजन करीब तीन हजार टन है.  इसके निर्माण में 2600 टन स्टील और लोहे का इस्तेमाल किया गया था.  इस प्रतिमा पर किसी भी प्रकार के मौसम या भूकंप का प्रभाव नहीं पड़ेगा. अगले 2500 वर्षों तक, इस प्रतिमा का कुछ भी क्षतिग्रस्त नहीं होगा. 26 बीघा में फैली प्रतिमा स्थल पर कैफेटेरिया, गार्डन समेत कई सुविधाएं तैयार की गई हैं. इस प्रतिमा के निर्माण में प्रतिदिन 750 कारीगरों और मजदूरों ने काम किया। प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान और विश्राम की मुद्रा में हैं.

नाथद्वारा की कीर्ति को लगेंगे चार चांद || The glory of Nathdwara will take four moons

नाथ सम्प्रदाय की सबसे बड़ी सीट श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा पूरे देश में जानी जाती है. लेकिन अब उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा के लिए भी पहचाना जाएगा. वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है, जबकि नाथद्वारा में बनी शिव प्रतिमा 105 मीटर से अधिक ऊंची है. मिराज ग्रुप के मालिक मदन पालीवाल शिव के भक्त हैं. उन्होंने अपने गुरु मोरारी बापू के आशीर्वाद से इस प्रतिमा का निर्माण शुरू किया.

कैसे पहुंचे राजसमंद  || How to reach Rajsamand

सुंदर झीलों, शानदार महलों और प्राकृतिक सुंदरता से अलंकृत, राजसमंद राजाओं, युद्धों और साहस की ऐतिहासिक कहानियों से भरा पड़ा हैय इतिहास में डूबा हुआ, शहर शाही परंपराओं की एक अद्भुत विरासत का दावा करता है.

लोकप्रिय शहर उदयपुर के बगल में स्थित, यह राजस्थान के सबसे प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों में से एक है, जो अपनी रंगीन और जीवंत जातीय कलाओं के लिए जाना जाता है.  प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध यह शहर विशेष रूप से संगमरमर और ग्रेनाइट के बड़े उत्पादन के लिए जाना जाता है. राजसमंद नाम शहर के भीतर स्थित इसी नाम की एक खूबसूरत झील से लिया गया है. आप राजसमंद ट्रेन और  फ्लाइट के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं.

फ्लाइट से राजसमंद पहुंचना|| Reaching Rajsamand by Flight

राजसमंद नियमित उड़ानों के माध्यम से देश के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से नहीं जुड़ा है. नजदीकी हवाई अड्डा उदयपुर में 48 किमी की दूरी पर है.

हवाई अड्डे: महाराणा प्रताप हवाई अड्डा

ट्रेन से राजसमंद पहुंचना|| Reaching Rajsamand by Train

देश के अन्य प्रमुख शहरों से राजसमंद के लिए कोई नियमित ट्रेन नहीं है. नजदीकी रेलवे स्टेशन उदयपुर में है जो 54 किमी की दूरी पर स्थित है.

रेलवे स्टेशन (ओं): उदयपुर शहर, राणाप्रतापनगर

Komal Mishra

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