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दिल्ली भारत की राजधानी है और अपने समृद्ध इतिहास और शानदार किलों के लिए जानी जाती है. ये किले दिल्ली के गौरवशाली अतीत की कहानियाँ आज भी शान से बयान करते हैं. आइए आज हम जानते हैं दिल्ली के प्रमुख किलों के बारे में. इन किलों में राय पिथौरा किला, लाल किला, पुराना किला, तुगलकाबाद किला, फिरोज शाह कोटला शामिल हैं. यही नहीं, दिल्ली में कई छोटे किले भी हैं. इनमें जफर महल और भूली भटियारी जैसे फोर्ट्स शामिल हैं. आइए इनके बारे में भी विस्तार से बात करते हैं.

1. राय पिथौरा किला (लालकोट)

दिल्ली का सबसे प्राचीन किला “लालकोट” के नाम से जाना जाता है. इसे 11वीं सदी में तोमर वंश के राजा अनंगपाल तोमर ने बनवाया था. बाद में 12वीं सदी में चौहान राजा पृथ्वीराज चौहान ने इसका विस्तार करवाया और इसे ‘राय पिथौरा किला’ नाम दिया गया. ये किला मूल रूप से आक्रमणकारियों से सुरक्षा के लिए बनवाया गया था और ये दिल्ली की पहली स्थायी सैन्य राजधानी मानी जाती है. आज यह किला खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन इसके कुछ भाग कुतुब मीनार परिसर और आसपास के इलाकों में देखे जा सकते हैं.

ASI स्थिति

राय पिथौरा किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत संरक्षित स्मारक है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: मुफ्त,फोटोग्राफी: कोई शुल्क नहीं

खुलने का समय और दिन
समय: सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
दिन: सभी दिन (सोमवार को कुछ हिस्से बंद हो सकते हैं)
लोकेशन
पता: महरौली, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: कुतुब मीनार (लगभग 1 किमी)

राय पिथौरा किला कैसे पहुंचें

मेट्रो: नजदीकी मेट्रो स्टेशन कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन (येलो लाइन) है। यहाँ से ऑटो रिक्शा या पैदल (15 मिनट) में पहुँचा जा सकता है।
बस: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) की बसें महरौली टर्मिनल तक जाती हैं। बस नंबर 505, 534 आदि।
सड़क मार्ग: टैक्सी या निजी वाहन से महरौली-बदरपुर रोड के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

घूमने का सबसे अच्छा समय

सर्दियों (अक्टूबर-मार्च) में मौसम सुहावना होता है, जिससे किले की सैर और आसपास के कुतुब मीनार जैसे स्थानों का आनंद लिया जा सकता है। सुबह का समय सबसे अच्छा है क्योंकि भीड़ कम होती है।

2. सीरी किला

सीरी किले का निर्माण 13वीं सदी के अंत में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था। यह किला उनकी नई राजधानी “सीरी” का हिस्सा था और इसे मंगोलों के लगातार हमलों से बचाव के लिए बनवाया गया था। कहा जाता है कि इस किले में ही उन्होंने अपनी प्रसिद्ध ‘हज़ार सुतुन’ (हजार खंभों वाला महल) बनवाया था। हालांकि आज सीरी किला लगभग नष्ट हो चुका है, लेकिन इसके कुछ अवशेष हौज खास और सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम के पास देखे जा सकते हैं।

3. तुगलकाबाद किला

इस विशाल किले का निर्माण 1321 ईस्वी में तुगलक वंश के संस्थापक सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक ने करवाया था। उन्होंने इसे दिल्ली के बाहर एक शक्तिशाली और अभेद्य किले के रूप में विकसित किया, जिसमें ऊंची दीवारें, चौकियाँ और सैन्य व्यवस्था थी। कहा जाता है कि इस किले को लेकर सूफी संत निजामुद्दीन औलिया और ग्यासुद्दीन तुगलक के बीच टकराव हुआ था। संत ने इसे शाप दिया था: “या बसे गुरु का चेला, या बसे ग्यास का तुगलकाबाद”। यह किला अब खंडहर में है, लेकिन इसकी दीवारें आज भी इसके गौरवशाली अतीत की कहानी कहती हैं।

4. जहानपना किला

14वीं शताब्दी में मोहम्मद बिन तुगलक ने तुगलकाबाद और सीरी के बीच के क्षेत्र को जोड़कर एक नया शहर बसाया, जिसे उन्होंने ‘जहानपना’ नाम दिया। इसका अर्थ है ‘विश्व की सुरक्षा’। जहानपना किले का निर्माण उसी शहर की सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए किया गया था। यह दिल्ली का चौथा ऐतिहासिक नगर था। आज इसका बहुत कम हिस्सा बचा है, लेकिन इसके अवशेष सिरी फोर्ट के आसपास देखे जा सकते हैं।

5. फिरोजशाह कोटला किला

फिरोजशाह तुगलक ने 1354 में इस किले का निर्माण करवाया और इसे अपनी राजधानी “फिरोजाबाद” का मुख्य किला बनाया। यह यमुना नदी के किनारे स्थित था और यहां पर एक अष्टकोणीय स्तंभ है जिसे अशोक स्तंभ कहा जाता है, जिसे मेरठ से लाकर यहां स्थापित किया गया था। इस किले में एक मस्जिद, बावली और अन्य संरचनाएं भी थीं। लोक कथाओं के अनुसार, इस किले में जिन्नों का वास है और लोग गुरुवार को यहां मनोकामना मांगने आते हैं।

6. पुराना किला (ओल्ड फोर्ट)

पुराना किला दिल्ली के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। इसे सम्राट हुमायूं और शेरशाह सूरी के समय में बनवाया गया था। पहले यह किला हुमायूं ने बनवाया, लेकिन जब शेरशाह ने उसे हराया तो उसने इसे पुनः निर्मित कराया और इसे और भी मजबूत बनाया। यह माना जाता है कि यही वह स्थल है जहां पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी स्थित थी। आज भी यहां शेर मंडल, एक पुराना पुस्तकालय है, जहां हुमायूं की सीढ़ियों से गिरकर मृत्यु हुई थी।

7. लाल किला (रेड फोर्ट)

लाल किला दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध और भव्य किला है, जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1638 में बनवाया था जब उसने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की। यह यमुना नदी के किनारे स्थित है और लाल बलुआ पत्थरों से बना है। लाल किले के अंदर दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, मोती मस्जिद जैसी कई शानदार इमारतें हैं। भारत की स्वतंत्रता के बाद हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री यहीं से राष्ट्र को संबोधित करते हैं।

8. जफर महल

मुगल काल के अंतिम दौर में बनवाया गया जफर महल, बहादुर शाह ज़फर से जुड़ा है। इसे 18वीं शताब्दी में बनाया गया और यह महरौली में स्थित है। कहा जाता है कि बहादुर शाह ज़फर यहीं समय बिताने आते थे और यहीं दफन होना चाहते थे, लेकिन उन्हें रंगून (अब यंगून, म्यांमार) में दफन किया गया। यह महल अब खंडहर में है लेकिन मुगल काल के अंतिम चिन्हों में से एक माना जाता है।

9. भूली भटियारी का महल

यह किला जैसा दिखने वाला ढांचा तुगलक काल में बना एक शिकारगाह था, जिसे सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था। इसके नाम को लेकर कई किवदंतियाँ जुड़ी हैं – कोई कहता है कि यहां एक भटकती आत्मा ‘भूल भुलैया’ की तरह घूमती थी, तो कोई इसे एक रानी से जोड़ता है जो यहां अकेली रह गई थी। यह करोल बाग के पास जंगलों के बीच स्थित है और अब एक वीरान, रहस्यमयी स्थल बन चुका है।

 

 

 

दिल्ली के किलों का इतिहास और यात्रा जानकारी

दिल्ली, भारत की राजधानी, अपने समृद्ध इतिहास और शानदार किलों के लिए जानी जाती है। ये किले दिल्ली के गौरवशाली अतीत की कहानियाँ बयान करते हैं। यहाँ हम दिल्ली के प्रमुख किलों जैसे राय पिथौरा किला, लाल किला, पुराना किला, तुगलकाबाद किला, फिरोज शाह कोटला, और छोटे किलों जैसे जफर महल और भूली भटियारी का महल के बारे में विस्तार से जानेंगे।

1. राय पिथौरा किला (किला राय पिथौरा)
इतिहास
राय पिथौरा किला, जिसे लाल कोट भी कहा जाता है, दिल्ली का सबसे पुराना किला माना जाता है। इसे 12वीं सदी में चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था। यह किला दिल्ली के सात प्राचीन शहरों में से एक, इंद्रप्रस्थ का हिस्सा था। यह किला दिल्ली को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए बनाया गया था। आज इस किले के कुछ अवशेष ही बचे हैं, जो महरौली क्षेत्र में देखे जा सकते हैं।

2. लाल किला
इतिहास
लाल किला दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध किला है, जिसे 1639 में मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया था। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और मुगल स्थापत्य कला का शानदार उदाहरण है। लाल बलुआ पत्थर से बना यह किला शाहजहानाबाद (पुरानी दिल्ली) की राजधानी का केंद्र था। यहाँ स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का भाषण होता है। किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, और मोती मस्जिद जैसी संरचनाएँ हैं।

ASI स्थिति
लाल किला ASI के अंतर्गत संरक्षित है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 35 रुपये, विदेशियों के लिए 500 रुपये
फोटोग्राफी: मुफ्त (वीडियोग्राफी के लिए 25 रुपये)
साउंड एंड लाइट शो: 80 रुपये (वयस्क), 30 रुपये (बच्चे)
खुलने का समय और दिन
समय: सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक
दिन: मंगलवार से रविवार (सोमवार को बंद)
साउंड एंड लाइट शो: शाम 6:00 बजे के बाद (हिंदी और अंग्रेजी में)
लोकेशन
पता: नेताजी सुभाष मार्ग, चांदनी चौक, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: चांदनी चौक बाजार
वहाँ कैसे पहुँचें
मेट्रो: चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन (येलो लाइन) सबसे नजदीक है, किले से 10 मिनट की पैदल दूरी पर।
बस: DTC बसें (जैसे 347, 419) लाल किला बस स्टॉप तक जाती हैं।
सड़क मार्ग: टैक्सी या ऑटो से पुरानी दिल्ली के रास्ते आसानी से पहुँचा जा सकता है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
अक्टूबर से मार्च, खासकर शाम को साउंड एंड लाइट शो के लिए। गर्मियों में (अप्रैल-जून) तापमान 40 डिग्री तक पहुँच सकता है, इसलिए सुबह जल्दी जाना बेहतर है।

3. पुराना किला
इतिहास
पुराना किला दिल्ली के सबसे पुराने किलों में से एक है, जिसे 16वीं सदी में हुमायूँ और शेर शाह सूरी ने बनवाया था। इसे पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ से भी जोड़ा जाता है। किले में किला-ए-कुहना मस्जिद और शेर मंडल जैसी संरचनाएँ हैं। यहाँ शाम को ध्वनि और प्रकाश शो भी होता है।

ASI स्थिति
पुराना किला ASI के अंतर्गत संरक्षित है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 20 रुपये, विदेशियों के लिए 200 रुपये
फोटोग्राफी: मुफ्त
खुलने का समय और दिन
समय: सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
दिन: सभी दिन
लोकेशन
पता: मथुरा रोड, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: दिल्ली चिड़ियाघर
वहाँ कैसे पहुँचें
मेट्रो: सुप्रीम कोर्ट मेट्रो स्टेशन (ब्लू लाइन) सबसे नजदीक है, लगभग 2.1 किमी दूर। यहाँ से ऑटो या ई-रिक्शा लिया जा सकता है।
बस: DTC बसें (जैसे 405, 447) दिल्ली चिड़ियाघर या पुराना किला स्टॉप तक जाती हैं।
सड़क मार्ग: मथुरा रोड से टैक्सी या निजी वाहन से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
घूमने का सबसे अच्छा समय
सर्दियों में (अक्टूबर-मार्च) मौसम ठंडा और सुहावना होता है। शाम का ध्वनि और प्रकाश शो देखने के लिए भी उपयुक्त समय है।

4. तुगलकाबाद किला
इतिहास
तुगलकाबाद किला 14वीं सदी में तुगलक वंश के संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक ने बनवाया था। यह किला दिल्ली की रक्षा के लिए बनाया गया था, लेकिन आज यह खंडहर के रूप में है। किले की विशाल दीवारें और मकबरे इसकी भव्यता को दर्शाते हैं।

ASI स्थिति
तुगलकाबाद किला ASI के अंतर्गत संरक्षित है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: मुफ्त
फोटोग्राफी: मुफ्त
खुलने का समय और दिन
समय: सुबह 7:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
दिन: सभी दिन
लोकेशन
पता: तुगलकाबाद, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: कुतुब मीनार (लगभग 8 किमी)
वहाँ कैसे पहुँचें
मेट्रो: तुगलकाबाद मेट्रो स्टेशन (वायलेट लाइन) सबसे नजदीक है, यहाँ से ऑटो से 10 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
बस: DTC बसें (जैसे 511, 525) तुगलकाबाद गांव तक जाती हैं।
सड़क मार्ग: मेहरौली-बदरपुर रोड से टैक्सी या निजी वाहन से आसान पहुँच।
घूमने का सबसे अच्छा समय
सर्दियों में सुबह का समय सबसे अच्छा है, क्योंकि गर्मियों में यहाँ छाया कम होती है।

5. फिरोज शाह कोटला
इतिहास
फिरोज शाह कोटला किला 14वीं सदी में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। यह किला यमुना नदी के किनारे स्थित है और इसमें अशोक स्तंभ, जामी मस्जिद, और बावली जैसी संरचनाएँ हैं। इसे दिल्ली की भूतिया जगहों में भी गिना जाता है।

ASI स्थिति
यह ASI के अंतर्गत संरक्षित है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: मुफ्त
फोटोग्राफी: मुफ्त
खुलने का समय और दिन
समय: सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
दिन: सभी दिन
लोकेशन
पता: बहादुर शाह जफर मार्ग, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: दिल्ली गेट
वहाँ कैसे पहुँचें
मेट्रो: प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन (ब्लू लाइन) सबसे नजदीक है, लगभग 2 किमी दूर।
बस: DTC बसें (जैसे 502, 623) दिल्ली गेट तक जाती हैं।
सड़क मार्ग: टैक्सी या ऑटो से बहादुर शाह जफर मार्ग के रास्ते पहुँचें।
घूमने का सबसे अच्छा समय
सर्दियों में सुबह या दोपहर, जब मौसम ठंडा हो और धूप हल्की हो।

6. जफर महल
इतिहास
जफर महल महरौली में स्थित है और इसे अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर ने 19वीं सदी में बनवाया था। यह हौज-ए-शम्सी के पास एक ग्रीष्मकालीन महल था। आज यह खंडहर में है, लेकिन इसकी मुगल स्थापत्य कला देखने लायक है।

ASI स्थिति
जफर महल ASI के अंतर्गत संरक्षित है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: मुफ्त
फोटोग्राफी: मुफ्त
खुलने का समय और दिन
समय: सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक
दिन: सभी दिन
लोकेशन
पता: महरौली, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: हौज-ए-शम्सी और जहांगीर मस्जिद
वहाँ कैसे पहुँचें
मेट्रो: कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन (येलो लाइन) से ऑटो या पैदल (20 मिनट)।
बस: DTC बसें (जैसे 505, 534) महरौली टर्मिनल तक।
सड़क मार्ग: मेहरौली-गुड़गांव रोड से टैक्सी या निजी वाहन।
घूमने का सबसे अच्छा समय
सर्दियों में सुबह, जब मौसम ठंडा और शांत हो। यहाँ भीड़ कम होती है।

7. भूली भटियारी का महल
इतिहास
भूली भटियारी का महल 14वीं सदी में फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था। इसे शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। यह दिल्ली की भूतिया जगहों में गिना जाता है और स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार यहाँ रात में अजीब आवाजें सुनाई देती हैं।

ASI स्थिति
यह ASI के अंतर्गत नहीं है और वर्तमान में उपेक्षित स्थिति में है।

टिकट
प्रवेश शुल्क: मुफ्त
फोटोग्राफी: मुफ्त
खुलने का समय और दिन
समय: कोई निश्चित समय नहीं (खुला क्षेत्र)
दिन: सभी दिन (रात में जाने से बचें)
लोकेशन
पता: सेंट्रल रिज रिजर्व फॉरेस्ट, करोल बाग, नई दिल्ली
नजदीकी मील का पत्थर: करोल बाग मेट्रो स्टेशन
वहाँ कैसे पहुँचें
मेट्रो: करोल बाग मेट्रो स्टेशन (ब्लू लाइन) से ऑटो या टैक्सी (लगभग 3 किमी)।
बस: DTC बसें (जैसे 753, 883) करोल बाग तक।
सड़क मार्ग: झंडेवालान रोड से टैक्सी या निजी वाहन।
घूमने का सबसे अच्छा समय
सर्दियों में दिन के समय, क्योंकि यह एकांत क्षेत्र है और रात में असुरक्षित हो सकता है।

सामान्य सुझाव
सर्वश्रेष्ठ मौसम: दिल्ली घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है, जब मौसम ठंडा और सुहावना होता है। गर्मियों में (अप्रैल-जून) तापमान बहुत अधिक होता है, और मानसून (जुलाई-सितंबर) में बारिश असुविधा पैदा कर सकती है।
सुरक्षा: पर्यटक स्थलों पर बुनियादी सावधानियाँ बरतें, जैसे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में सामान का ध्यान रखना।
यातायात: दिल्ली मेट्रो सबसे सुविधाजनक और किफायती है। DTC बसें भी सस्ती हैं, लेकिन भीड़ हो सकती है। ऐप-आधारित टैक्सी (उबर, ओला) भी एक अच्छा विकल्प हैं।
होहो बस: दिल्ली टूरिज्म की होहो बस सेवा (600 रुपये) एक दिन में कई किलों और पर्यटक स्थलों को कवर करती है। यह साकेत, INA, या शिवाजी मेट्रो स्टेशनों से शुरू होती है।

मालचा महल, दिल्ली के चाणक्यपुरी क्षेत्र के पास जंगलों के बीच स्थित एक वीरान और रहस्यमयी इमारत है। इसे ‘विलाप करता महल’ या ‘Haunted Malcha Mahal’ भी कहा जाता है। यह इमारत 1356 ई. में फिरोज शाह तुगलक द्वारा एक शिकारगाह (हंटिंग लॉज) के रूप में बनवाई गई थी।

लेकिन इसकी असली चर्चा तब शुरू हुई जब अवध की बेगम विलायत महल और उनके परिवार ने इसे अपना घर बना लिया और उसके बाद शुरू हुई एक दुखद और रहस्यमयी गाथा।


🏰 इतिहास और निर्माण

  • निर्माणकर्ता: फिरोज शाह तुगलक

  • निर्माण वर्ष: 1356 ईस्वी

  • उद्देश्य: तुगलक वंश के शासकों के लिए शिकारगाह

  • स्थान: दिल्ली के बुद्धा गार्डन (Chanakyapuri) के पास

  • शैली: तुगलक काल की सैन्य वास्तुकला


👑 अवध की शाही विरासत और विलायत महल की कहानी

  • 1980 के दशक में, बेगम विलायत महल जो खुद को अवध के नवाब वाजिद अली शाह की वंशज बताती थीं, अपने बेटे और बेटी के साथ मालचा महल में रहने लगीं

  • यह परिवार रेलवे स्टेशन पर वर्षों तक रहने के बाद भारत सरकार द्वारा मालचा महल में स्थानांतरित किया गया था।

  • 1993 में बेगम विलायत महल ने आत्महत्या कर ली, और तब से उनके बेटे प्रिंस अली रजा (Cyrus) और बेटी महल में अकेले रहने लगे।

रहस्यमयी और डरावनी कहानियाँ

  • महल में बिजली, पानी और आधुनिक सुविधाएं नहीं थीं, फिर भी यह परिवार वहाँ वर्षों तक रहा।

  • कहा जाता है कि मालचा महल में किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं थी, और एक तख्ती पर लिखा होता था – “Entry is strictly prohibited. Intruders will be gunned down.”

  • अली रजा की मौत के बाद महल एक बार फिर वीरान हो गया और इसके साथ शुरू हुई Haunted Palace की कहानियाँ।

  • क्या सच में भूतिया है मालचा महल?

  • स्थानीय लोगों और कुछ खोजी पत्रकारों का दावा है कि महल के आसपास अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं।

  • रात के समय वहाँ कोई जाने की हिम्मत नहीं करता

  • हालांकि, पुरातत्वविद् और इतिहासकार इसे सिर्फ एक उपेक्षित विरासत मानते हैं।

Komal Mishra

मैं हूं कोमल... Travel Junoon पर हम अक्षरों से घुमक्कड़ी का रंग जमाते हैं... यानी घुमक्कड़ी अनलिमिटेड टाइप की... हम कुछ किस्से कहते हैं, थोड़ी कहानियां बताते हैं... Travel Junoon पर हमें पढ़िए भी और Facebook पेज-Youtube चैनल से जुड़िए भी... दोस्तों, फॉलो और सब्सक्राइब जरूर करें...

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