Best Places to Visit Near Lalitpur : ललितपुर के पास घूमने की 10 बेहतरीन जगहें
Best Places to Visit Near Lalitpur : ललितपुर के आसपास कई ऐसी जगहें हैं जहां इतिहास, स्थापत्य कला और प्रकृति एक साथ मिलते हैं. इन जगहों तक पहुंचने के लिए लंबी यात्रा की ज़रूरत नहीं होती. यहाँ आप सदियों पुराने किलों की सैर कर सकते हैं, चट्टानों में तराशे गए मंदिरों में समय बिता सकते हैं या नदियों और झीलों के किनारे शांति का अनुभव ले सकते हैं. ये डेस्टिनेशन डे-ट्रिप के लिए बिल्कुल सही हैं लेकिन इनमें इतनी गहराई है कि हर यात्रा यादगार बन जाती है. अगर आपको लोकल परंपराएँ जानना पसंद है, मध्यकालीन स्थापत्य की बारीकियों को देखना अच्छा लगता है या फिर केवल सुकून भरी ड्राइव करनी हो—तो ललितपुर के पास ये जगहें आपके लिए बिल्कुल सही रहेंगी.
ललितपुर जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के जिलों में से एक है। ललितपुर जिला झांसी संभाग का हिस्सा है. ललितपुर मुख्य शहर और प्रशासनिक मुख्यालय है. जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 5039 वर्ग किलोमीटर है और जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 12,21,592 है. ललितपुर जिला पहले चंदेरी राज्य का हिस्सा था, जिसकी स्थापना 17वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत द्वारा की गई थी, जो ओरछा के रुद्र प्रताप के वंशज थे. 18वीं शताब्दी में बुंदेलखंड के अधिकांश हिस्सों की तरह चंदेरी भी मराठा अधिकार में आ गया। पड़ोसी ग्वालियर के दौलत राव सिंधिया ने 1811 में चंदेरी राज्य का एनेक्सेशन किया. 1844 में पूर्व चंदेरी राज्य ब्रिटिश के अधीन आ गया और ब्रिटिश भारत का चंदेरी जिला बन गया, जिसमें ललितपुर शहर जिला मुख्यालय था। भारतीय विद्रोह 1857 में ब्रिटिशों ने यह जिला खो दिया था, और इसे देर से 1858 में पुनः जीता गया। 1861 में, जिला का वह हिस्सा जो बेटवा नदी के पश्चिम में था, जिसमें चंदेरी शामिल था, ग्वालियर को वापस कर दिया गया और शेष हिस्से का नाम ललितपुर जिला रखा गया। ललितपुर जिला 1891 से 1974 तक झांसी जिले का हिस्सा रहा. ललितपुर को 1974 में एक अलग जिला बनाया गया, जो न केवल बुंदेलखंड क्षेत्र का हृदयस्थल बल्कि हृदय के आकार वाला जिला भी है. यह उत्तर-पूर्व में झांसी जिले से एक संकीर्ण मार्ग से जुड़ा है, लेकिन लगभग पूरी तरह मध्य प्रदेश से घिरा हुआ है पूर्व में टीकमगढ़ जिला, दक्षिण में सागर जिला, और पश्चिम में अशोकनगर और शिवपुरी जिले हैं. ललितपुर, जलौन और झांसी जिले मिलकर झांसी संभाग का निर्माण करते हैं. झांसी संभाग उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के 17 संभागों में से एक है. इसमें झांसी, जलौन और ललितपुर जिले शामिल हैं. झांसी शहर इसका प्रशासनिक केंद्र है. यह संभाग ऐतिहासिक बुंदेलखंड क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें उत्तर प्रदेश का दक्षिणी हिस्सा और पड़ोसी मध्य प्रदेश राज्य का हिस्सा शामिल है. झांसी भारतीय रेलवे का एक सबसे पुराना संभाग है.
यहां आपको ऐतिहासिक किले, प्राचीन मंदिर और झीलें देखने को मिलेंगी. ज्यादातर जगहें 50 से 150 किलोमीटर की दूरी पर हैं, यानी आसानी से कार या बाइक से पहुंचा जा सकता है. यह क्षेत्र बुंदेलखंड की संस्कृति और इतिहास को करीब से दिखाता है. यहां का वातावरण भीड़-भाड़ से दूर और शांत है।
देवगढ़ ललितपुर के पास घूमने की सबसे प्रमुख जगहों में से एक है. यहां का दशावतार मंदिर गुप्तकाल (5वीं शताब्दी) का है, जिसमें विष्णु के अवतारों की सुंदर नक्काशी बनी हुई है. पास ही चट्टानों पर बने 40 से अधिक जैन मंदिर देखने को मिलते हैं.
मुख्य आकर्षण: दशावतार मंदिर, जैन गुफा मंदिर, देवगढ़ किला, बेतवा नदी घाट
चंदेरी की पहचान इसके शानदार किलों और बुनकरों से है. यहां का चंदेरी किला ऊंचाई पर बना है जहां से पूरे शहर का नज़ारा मिलता है. रास्ते में आप बादल महल गेट और कोशक महल भी देख सकते हैं. चंदेरी की साड़ियां और हैंडलूम यहां के कारीगरों की शान हैं.
मुख्य आकर्षण: चंदेरी किला, बादल महल गेट, कोशक महल, हैंडलूम साड़ी केंद्र
अगर आप ललितपुर के पास पुराने स्थापत्य और ऐतिहासिक माहौल का अनुभव करना चाहते हैं, तो ओरछा बेहतरीन ऑप्शन है. यहां का ओरछा फोर्ट कॉम्प्लेक्स, राजा महल और जहांगीर महल देखने लायक हैं। पास ही चतुर्भुज मंदिर और राम राजा मंदिर भी फेमस हैं.
मुख्य आकर्षण: ओरछा फोर्ट कॉम्प्लेक्स, चतुर्भुज मंदिर, राम राजा मंदिर, बेतवा नदी पर रिवर राफ्टिंग.
टीकमगढ़ का किला आज भी शहर के बीच बसा हुआ है. इसकी स्थापत्य शैली में बुंदेला और मुगल दोनों का असर दिखता है. यहां के जटाशंकर मंदिर और लक्ष्मी नारायण मंदिर भी प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं.
मुख्य आकर्षण: टीकमगढ़ किला, जटाशंकर मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर.
झांसी का किला 1857 की क्रांति और रानी लक्ष्मीबाई से जुड़ा है. यहां आप उन दीवारों और रास्तों पर चल सकते हैं जहां कभी रानी ने अंग्रेजों से युद्ध किया था. पास ही रानी महल है, जो अब म्यूजियम में बदल चुका है.
मुख्य आकर्षण: झांसी किला, रानी महल, सरकारी म्यूजियम
सोनागिरि जैन तीर्थ स्थल है, जहां पहाड़ी पर 70 से अधिक सफेद मंदिर बने हैं. यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर नंबर 57 है, जो चंद्रप्रभ भगवान को समर्पित है. यह जगह पूरी तरह से आध्यात्मिक वातावरण से भरी हुई है.
मुख्य आकर्षण: जैन मंदिर परिसर, तीर्थ यात्रा पथ
गढ़ कुंदर किला बुंदेलखंड का एक छुपा हुआ रत्न है. 11वीं शताब्दी में खंगार शासकों द्वारा बनवाया गया यह किला पहाड़ी पर स्थित है. यहां कोई टिकट काउंटर या गाइड नहीं है—बस आप और पुरानी दीवारें.
मुख्य आकर्षण: पहाड़ी किला, विंध्यांचल का नज़ारा, प्राचीन स्थापत्य
बरुआ सागर झील 250 साल से अधिक पुरानी है और इसके किनारे बना बरुआ सागर किला भी आकर्षण का केंद्र है. झील का शांत वातावरण और किले से दिखने वाला नज़ारा इसे वीकेंड गेटअवे के लिए खास बनाता है.
मुख्य आकर्षण: बरुआ सागर झील, किला, नौकायन, ऐतिहासिक स्थल
मताटिला डैम बेतवा नदी पर बना है और यह पिकनिक या शॉर्ट ट्रिप के लिए शानदार जगह है. सर्दियों में यहाँ का मौसम बेहद सुहावना होता है और झील का नज़ारा मन को सुकून देता है.
मुख्य आकर्षण: डैम रिज़रवॉयर, बेतवा नदी किनारा, पिकनिक स्पॉट
तालबेहट का किला झील के किनारे बना है. यहां के आर्च, प्राचीन दरवाज़े और झील का नज़ारा पर्यटकों को बहुत पसंद आता है. आप यहां नाव की सवारी का भी आनंद ले सकते हैं. मुख्य आकर्षण: तालबेहट किला, झील किनारे मंदिर, बोटिंग
अक्टूबर से मार्च घूमने के लिए सबसे अच्छा समय है.
गर्मियों में दोपहर से बचकर सुबह या शाम को यात्रा करें.
मानसून में झीलें और नदियां अपने सबसे खूबसूरत रूप में दिखती हैं.
रेलवे: ललितपुर जंक्शन उत्तर भारत के बड़े स्टेशनों से जुड़ा है.
सड़क मार्ग: झांसी, भोपाल, और सागर से ललितपुर के लिए सीधी बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं.
एयरपोर्ट: नजदीकी हवाई अड्डा झांसी (100 किमी) और खजुराहो (200 किमी) है.
भीड़-भाड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी निकलें.
किलों और मंदिरों में आरामदायक जूते पहनें.
पानी और हल्का नाश्ता साथ रखें.
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