Travel Blog

People of Afghanistan – भारत के ‘मिनी काबुल’ में किस हाल में हैं ये अफगानी?

People of Afghanistan – दोस्तों, किसी की जिंदगी पर बात करने पर गमों की ऐसी कहानी मिलेगी, ये न सोचा था. दिल्ली के भोगल में काफी संख्या में अफगानिस्तान मूल के लोग ( People of Afghanistan ) रहते हैं. अफगानियों की कुछ संख्या दिल्ली के लाजपत नगर और साकेत में भी है. अफगानिस्तान में चल रहे संकट को देखते हुए, हमने भोगल इलाके में जाने का फैसला किया और सोचा क्यों न इन सभी से मुलाकात की जाए और इनके लाइफस्टाइल कल्चर को समझा जाए. हालांकि इस यात्रा से कई दूसरे पहलू भी सामने आए, जैसे हमें उनकी तकलीफों के बारे में पता चला. तकलीफ भी ऐसी कि कलेजा मुंह को आ गया. अफगानिस्तान में जो जुल्म तालिबान का है, वह तो टीवी पर सभी देख रहे हैं, लेकिन अपने वतन से दूर, इन बेवतनों की तकलीफ देखने वाला कोई नहीं है. हम इस ब्लॉग में, आपको पहले उनके खानपान के बारे में बताएंगे, और संघर्ष भरी ज़िंदगी के बारे में भी…

पहली बार देखी अफगानी रोटी

जंगपुरा में चलते चलते, मैं एक ऐसी दुकान पर पहुंचा जहां अफगानी रोटी बन रही थी. ये रोटियां अफगानी मूल के ही लोग ( People of Afghanistan ) खरीदते और खाते हैं. इस दुकान में सभी लोग अफगानिस्तान से ही थे. मैंने उनसे बात की, इस रोटी को बनाने का तरीका समझा. अंदर एक भट्टी थी, जिसमें बेलने के बाद लोई को आंच पर पकाते हैं. बातों बातों में उन्होंने मुझे अफगानी चाय भी दिखाई. इस रोटी को अफगानी चाय के साथ ही खाते हैं.

आलू का पराठा | चिकन समोसा | अफगानी मोमोज

अफगानी नाम लेते ही, जहन में कुछ बड़ी सी तस्वीर बन जाती है, बस ऐसा ही समझिए. ये आलू का पराठा भी ऐसा ही था. कमाल का लजीज व्यंजन. एक में ही पेट भर जाए. मैंने इसे खाया. आधे में ही मेरा पेट फुल हो गया. हालांकि फिर जैसे तैसे पूरा खाया. चिकन खाता नहीं हूं सो आपको समोसे और मोमोज़ के बारे में नहीं बता सकता. हालांकि, ये अफगानी आलू का पराठा  भी अफगानी लोग ( People of Afghanistan ) ही ज्यादातर खाते हैं.

अफगानिस्तान की एनर्जी ड्रिंग

एक शॉप पर मैंने अफगानिस्तान से आने वाले बटर, एनर्जी ड्रिंक्स को देखा. ये सभी सामान सिर्फ अफगानी शॉप्स पर ही मिलते हैं. भारत में इनकी मैन्युफैक्चरिंग नहीं होती है. एक एनर्जी ड्रिंक पीया. ये कुछ कुछ रेड बुल जैसा था. हालांकि, था उससे काफी ज्यादा कीमत का. ये 130 का था जबकि रेड बुल 100 की आ जाती है.

इन जायकों का मज़ा लेने के बाद अब बारी थी लोगों से बात करके उनकी लाइफ़स्टाइल जानने की. इसके लिए मैं सबसे पहले दो लड़कियों के पास गया. उनसे मैंने अनुरोध किया तो एक तैयार हो गईं. पीछे से दो अफगानिस्तान के ही लड़के आए. वे दोनों भी तैयार थे. लड़कों ने कहा कि वे आ रहे हैं, तब तक उन्होंने मुझे लड़कियों के साथ कहीं जाने के लिए कहा. एक लड़की तो तैयार थी लेकिन दूसरी आनाकानी कर रही थीं. मैंने मनाया, उनकी सहेली ने मनाया. वे मानीं जैसे तैसे. मैं तो खुश हो रहा था कि आज अच्छी स्टोरी मिल जाएगी.

लेकिन ये क्या, जब वे मुझे एक शॉप पर ले गईं, जहां हमें बैठकर बात करनी थी, वहां के ओनर ने मुझे छूटते ही कह दिया, भैया यहां कोई बात नहीं कर सकते आप. मैंने अनुरोध किया, तो वह सॉरी सॉरी बोलने लगे. मुझे थोड़ा गुस्सा आया लेकिन क्या करता. चुपचाप बाहर आ गया. पूरे प्लान पर पानी फिर गया था. यहां वे लड़कियां भी वापस जाने लगीं. मैंने रिक्वेस्ट की तो एक ने, जो पहले से बात के लिए तैयार थीं, उन्होंने मुझे स्कूटी पर आए दो लड़कों में से एक का नंबर दिया और कहा कि वे तैयार हो जाएंगे और आपकी मदद भी कर देंगे.

नंबर तीन बार मिलाने पर उन्होंने फोन उठाया. और तकरीबन 20 मिनट के इंतज़ार के बाद आए. हां आते ही वे मुझे एक शॉप में ले गए जहां 5-6 अफगानिस्तान मूल के लोग ( People of Afghanistan ) बैठे थे. उन्होंने कहा कि मैं इन सभी से बात कर सकता हूं. यहां भी वही ढाक के तीन पात वाला मामला. डर ऐसा था, पता नहीं किस बात का कि आखिर में दो ही लोग बचे. अब इनसे क्या क्या बात हुई उसका ब्यौरा जान लीजिए.

‘अफगानिस्तान में तो एक ही बार में मर जाते हैं, यहां रोज मरना पड़ता है’

एक अफगानिस्तानी शख्स जो मेरे बगल में थे, वह 5 साल से यहां हैं, उन्होंने कहा कि यहां हमारा क्या भविष्य है? न रिफ्यूजी कार्ड है हमारे पास. सरकार की कोई योजना नहीं मिल पाती है. 5 साल में बेटी शादी के लायक हो जाएगी. कहां से करेंगे. अपना वतन भी नहीं रहा. वहां जाएंगे तो भी कुछ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि हम यूएन ऑफिस पर प्रदर्शन करते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है हमारी. अफगानिस्तान में तालिबान तो एक ही मार में मार देता है, यहां तो हमें रोज मरना पड़ता है.

दूसरे शख्स ने भी दर्द भरी कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में सरकार का राशन मिला सभी को. लेकिन हमें क्या मिला? हमारा एक स्कूल था यहां, जिसे चलाने का खर्च एंबेसी से आता था, अब एंबेसी बंद, स्कूल भी बंद. क्या करें? कोरोना के वक्त, जब देश में सब अपने गांव को भाग रहे थे, हम कहां जाते, मकान मालिक ने हमसे कोई रहम नहीं दिखाया और पूरा किराया लिया. हम किस गांव जाते. अब तो न वतन है, न कोई भविष्य. हम यहां भी बर्बाद हो रहे हैं, अफगानिस्तान में भी होते.

दोस्तों, सच कहूं, अपना देश तो अपना ही होता है, चाहे कैसा भी हो. मैं देखता हूं, चलते-फिरते लोग देश-सरकार को गाली देते हैं. लेकिन इन अफगानिस्तान के लोगों ( People of Afghanistan ) के आंसू देखकर मेरा कलेजा पसीज गया. भारत सरकार को इन लोगों ( People of Afghanistan ) की मदद करनी चाहिए. सिर्फ आसरा देना ही सब कुछ नहीं होता है. मैंने बहुत तकलीफ महसूस की वहां. इसका वीडियो हम जल्द लेकर आएंगे.

Recent Posts

Delhi Baoli History and Facts : गंधक की बावली से लेकर उग्रसेन की बावली तक… ये हैं दिल्ली के ऐतिहासिक Stepwells

Delhi Baoli History and Facts : उग्रसेन की बावली से लेकर गंधक की बावली तक...… Read More

4 hours ago

Tianjin City China : कैसा है चीन का तिआनजिन शहर जहां पहुंचे PM मोदी?

Tianjin City China : तिआनजिन  उत्तरी चीन का एक प्रमुख शहर और प्रांत-स्तरीय नगरपालिका (Municipality)… Read More

15 hours ago

U-Special Buses Delhi University : कभी डीयू की धड़कन थीं यू स्पेशल बसें, फिर से शुरुआत!

Delhi University U special bus Service :  दिल्ली सरकार ने 28 अगस्त 2025 को से… Read More

1 day ago

Vaishno Devi landslide : 30 से ज्यादा लोगों की मौत, झेलम नदी खतरे के निशान से ऊपर

Vaishno Devi landslide : जम्मू और कश्मीर (J&K) के रियासी जिले में श्री माता वैष्णो… Read More

5 days ago

Vaishno Devi landslide : SDRF ने शुरू की रेस्क्यू ऑपरेशन, कई यात्री फंसे

श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा मार्ग पर अर्धकुवारी में हुए भयंकर लैंडस्लाइड के कारण… Read More

5 days ago

Delhi Metro Fare Hike 2025: दिल्ली मेट्रो ने बढ़ाया किराया, जानें क्या होगा नया Fare?

Delhi Metro Fare Hike 2025: दिल्ली मेट्रो ने एक बार फिर से किराया बढ़ा दिया… Read More

6 days ago