Travel History

Khooni Darwaza in Delhi – दिल्ली का खूनी दरवाज़ा, जहां मार दिए गए थे मुगल शहज़ादे

Khooni Darwaza in Delhi – देश की राजधानी दिल्ली में बचे हुए 13 ऐतिहासिक दरवाज़ों में से एक है खूनी दरवाजा ( Khooni Darwaza ). पुरानी दिल्ली की सरहद जहां नई दिल्ली से टकराती है, वहीं मौजूद है ये दरवाजा ( Khooni Darwaza ). क्यों कहते हैं इसे खूनी दरवाजा? क्या सचमुच यहां दहशत का साया रहता है? आज सड़क के बीचों बीच खड़े इस दरवाज़े का इतिहास जितना भयावह है, आज इसके नजदीक की खामोशी उतनी ही गहरी है.

खूनी दरवाजे ( Khooni Darwaza ) को लाल दरवाजा भी कहा जाता है. यही वह जगह है जहां 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने दमन के सिलसिले की दर्दनाक कहानी लिखी थी. अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के दो बेटों व एक पोते की गोली मारकर हत्या कर दी थी, वो भी इसी जगह पर. इसी वजह से इस दरवाजे का नाम खूनी दरवाजा पड़ गया. वैसे असल में यह दरवाजा न होकर एक तोरण है.

ख़ूनी दरवाज़ा ( Khooni Darwaza ), दिल्ली में बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर दिल्ली गेट के पास मौजूद है. इस दरवाज़े के बारे में कहा जाता है कि मॉनसून में इसकी छत से खून की बूंदें टपकती थीं. इतना ही नहीं रात में किसी के चिल्लाने की आवाज भी सुनाई पड़ती है.

मुगल इतिहास में, भाईयों के खूनी संग्राम की खौफनाक दास्ता की गवाही ये जगह देती है. औरंगजेब ने भी अपने भाई दाराशिकोह का सिर काटकर यहीं लटकाया था.

मुगल सल्तनत के जिन तीन शहजादों को यहां कत्ल किया गया, उनमें बहादुरशाह जफर के बेटे मिर्जा मुगल व मिर्जा सुल्तान और बहादुर शाह के पोते अबू बकर थे. मुग़ल सम्राट बहादुरशाह ज़फ़र ने अपने तीनों राजकुमारों के साथ हुमायूँ के मकबरे में शरण ली थी. मगर अंग्रेज़ो को उस जगह का भी पता चल गया.

मुगल सम्राट के समर्पण के अगले ही दिन विलियम हॉडसन ने तीनों शहजादों को भी समर्पण करने पर मजबूर कर दिया. 22 सितंबर को जब वह इन तीनों को हुमायूं के मकबरे से लाल किले ले जा रहा था. इन शहजादों को बताया गया था कि इन्हें लालकिला ले जाया जाएगा. जहां उन पर मुकदमा चलेगा. उनका विद्रोह में योगदान नहीं है तो उन्हें मुक्त कर दिया जाएगा.

अंग्रेज सैनिक तीनों शहजादों को हुमायूं के मकबरे से लेकर लालकिला के लिए चले थे तो उनके पीछे बड़ी संख्या में जनता हो ली थी. शहजादों की गिरफ्तारी पर जनता में भारी रोष था.

ब्रिटिश जनरल विलियम हॉडसन भी अंग्रेज सैनिकों की टुकड़ी के साथ चल रहा था. तभी खूनी दरवाजे ( Khooni Darwaza ) पर हॉडसन ने तीनों शहजादों को रोका, उनके कपड़े उतरवा कर कतार में खड़ा किया गोली मार दी.

इसके बाद शवों को इसी हालत में ले जाकर कोतवाली के सामने लटका दिया गया. इतिहासकार जुबैर हुसैन कहते हैं कि शहजादों की हत्या और उन्हें कोतवाली पर लटकाए जाने का मकसद अंग्रेजों द्वारा जनता में भय पैदा करना था.

22 सितंबर को ही 1857 क्रांति की निर्णायक जंग लड़ी गई थी. इसमें अंग्रेजों ने कश्मीरी गेट को भी दोबारा कब्जे में ले लिया था.

खूनी दरवाजा ( Khooni Darwaza ) नाम इससे सम्बन्धित कहानियों के जैसा बड़ी डरावनी है. मुस्लिम शूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी द्वारा बनवाये गये इस द्वार को कभी अफगानिस्तान से आने वाले मुसाफिर इस्तेमाल करते थे.

यह 15.5 मीटर ऊंचा है और दिल्ली के क्वार्टज़ाइट पत्थर का बना है. इस दरवाज़े में तीन स्तर हैं जिनपर इसमें स्थित सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.

इसे लेकर कई दूसरी कहानियां भी मशहूर है. जैसे – अकबर के बाद जब जहागीर मुगल सम्राट बना तो अकबर के कुछ नवरत्नों ने उसका विरोध किया. जवाब में जहागीर ने नवरत्नों में से एक अब्दुल रहीम खानखाना या रहीमदास के दो लड़कों को इस दरवाजे पर मरवा डाला और इनके शवों को यहीं छोड़ दिया गया.

दूसरी ये कि औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह को सिंहासन की लड़ाई में हरा कर उसका सिर कलम कर इस दरवाजे पर लटका दिया था.

ऐसा भी कहा जाता है कि जब 1739 में पारस के राजा नादिर शाह ने दिल्ली को लूटा था तब इस गेट पर बहुत रक्तपात हुआ था. स्वतंत्रता के पश्चात भी 1947 के दंगों में भी खूनी दरवाजे पर काफी रक्तपात हुआ था.

पुराना किला स्थित कैंप की ओर जाते हुये कई शरणार्थियों को यहां पर मौत के घाट उतार दिया गया था. आज यह दरवाजा भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है.

हालांकि साल 2002 में इस गेट पर घटी एक दुखद घटना के बाद अब इसे पूरी तरह से सील कर जनता के प्रवेश के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है.

आज ये दरवाजा मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से फिरोजशाह कोटला किले की ओर पैदल आने के लिए एक रास्ते का किनारा ही बनकर रह गया है.

खूनी दरवाज़ा कैसे पहुंचें | How to Visit Khooni Darwaza

मेट्रो या निजी वाहन से – यहां से नज़दीकी मेट्रो स्टेशन दिल्ली गेट है. आप अपनी गाड़ी से भी यहां आ सकते हैं. यह फिरोजशाह कोटला किले से थोड़ी ही दूर है.

बस से – डीटीसी की आईटीओ के लिए लिए जाने वाली किसी भी बस से आप यहां पहुंच सकते हैं. यहां का नज़दीकी बस स्टैंड दिल्ली गेट और एक्सप्रेस बिल्डिंग है.

Recent Posts

Learner Licence Kaise Banwayen: लर्नर लाइसेंस के लिए कैसे करें आवेदन

Learner Licence Kaise Banwayen:  लर्नर लाइसेंस एक temporary driving license है जिसे RTO  द्वारा जारी… Read More

5 hours ago

Cannes Travel blog: जहां होता है International कांस Film Festival, वहां की पूरी ट्रैवल डिटेल

Cannes Travel blog : कान्स को अमीरों और फेमस लोगों के लिए हॉलीडे पर जानें… Read More

10 hours ago

Travel Mistakes: घुमक्कड़ी में कतई न करें ये छोटी-छोटी गलतियां

Travel Mistakes : अक्सर हम इस बात पर तो गौर करते हैं कि अगर ट्रेवल… Read More

1 day ago

Thailand E-Visa Apply : थाईलैंड के लिए ई-वीजा कैसे करें अप्लाई ,जानें पूरा प्रोसेस

Thailand E-Visa Apply : आइए आज हम आपको बताते हैं कि थाईलैंड जाने से पहले… Read More

1 day ago

Honeymoon Destinations In India : Just Married Couple के लिए भारत में ये हैं बेस्ट डेस्टिनेशन

Best Honeymoon Destinations in India : इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे भारत की बेस्ट… Read More

2 days ago