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Kasol to Malana Tour Blog – कसौल से मलाणा के सफर में न आदमी दिखा, न आदमी की जात!

Kasol to Malana Tour Blog – ये सुबह कुछ अलग थी. इस दिन हमें मलाणा ( Kasol to Malana ) जाना था और विपिन-वासु को खीरगंगा. ये सुबह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण होने के साथ साथ कई सरप्राइजेस भी लेकर बैठी थी. एक रात पहले की मस्ती सुबह की लेटलतीफ़ी की वजह बन चुकी थी. डोर्मेट्री के एक वॉशरूम में पहले हमने ब्रुश के लिए नंबर लगाया, फिर नहाने के लिए. ग़नीमत ये रही कि साढ़े 9 तक हम पैक्ड सामान के साथ बाहर खड़े थे. CHOJ गाँव के इस स्टे को विदा कहने से पहले हमने एक एक चाय पी ली. हालांकि इस चाय में वो बात नहीं थी जो घर वाली चाय में होती है. शायद मेरी यही चाहत ऊपर वाले ने सुन भी ली थी.

मैं और संजू CHOJ गाँव से निकल चले थे. इस गाँव से पहले हमने पार्वती नदी पर बने पुल को पार किया और फिर पैदल ही कसौल गाँव की तरफ़ बढ़ चले थे. अगले 20 मिनट बाद, हम उसी कैफ़े के बाहर पहुँच चुके थे जहां बीती रात गाड़ी की बात करके गए थे. इस घर में हमने छोटे भाई जी से मिलने को कहा. कैफ़े में साफ़ सफ़ाई कर रहे शख़्स ने उन्हें बुलाया. वो आए और बोले कि मैं नहा कर आ रहा हूँ, आप लोग बैठिए. बेहद ख़ुशमिज़ाज परिवार था इनका. पहले उनकी वाइफ से मुलाकात हुई, फिर पिताजी से, फिर भाभी से. उनकी माता जी से भी मिले. घर में एक डॉगी भी था. 

हमने उनसे बोतलें भरने का अनुरोध किया और वो (माताजी) ख़ुद आकर हमारी बोतलें भरने लगीं. बोतलें भरने के कुछ ही देर बाद हमारे लिए चाय आ गई. दोस्तों, ये मुँह माँगी मुराद के पूरा होने जैसा था. दिल्ली से आने के बाद से ही मैं चाय के लिए तरस रहा था, एक अच्छी चाय के लिए. इस चाय ने ख्वाहिश पूरी कर दी. हम बैछे, कुछ देर उनकी वाइफ से बात की, कुछ देर पिता जी और माता जी से, इतने में वो भी आ गए नहाकर.  

इसके बाद, बारी थी चलने की. भाई जी आए और हम चलने के लिए बढ़े. मैं गाड़ी में सामान रखने लगा तो उन्होंने कहा कि इसे घर पर ही रख दीजिए. मैंने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए सामान यानी दोनों बैकपैक और एक लैपटॉप बैग उनके घर में ही रख दिया. जिस कमरे में हमने ये सामान रखा था, इसी कमरे में उनके रेस्क्यू का सामान भी रखा था. दो भाइयों की ये जोड़ी पार्वती वैली में रेस्क्यू का काम भी करती है और हाल में इज़रायली नागरिकों को बचाने पर इज़रायल की एंबेसी ने इन्हें सम्मानित भी किया है. 

सामान रखकर हम मालाणा ( Kasol to Malana ) के रास्ते पर बढ़ चले. छोटे भाई का नाम लकी था. ये हमें एक एक चीज़ बताते हुए जा रहे थे. पहले यहाँ क्या था, यहाँ के लोग क्या करते थे, कसौल कैसे आबाद हुआ, आदि आदि. जरी से एक रास्ता मलाणा के लिए कट जाता है और सीधा रास्ता भुंतर निकल जाता है. हम जरी से मलाणा के रास्ते पर बढ़ रहे थे. ये रास्ता किसी वीराने की तरह था. लकी ने बताया कि सड़क बनने से काफ़ी आसानी हो चुकी है, पहले तो ट्रैक करके मलाणा पहुँचना पड़ता था. हमने मलाणा हाइड्रोपावर प्लांट भी देखा और हमारी गाड़ी एक बेहद अजीबोग़रीब सुरंग में से भी गुजरी. आप इस पूरे वीडियो को नीचे देख सकते हैं.

लगभग एक घंटे बाद हम मलाणा गाँव पहुँच चुके थे. यहाँ से थोड़े से लंबे ट्रैक के बाद मलाणा गाँव आता है. हालाँकि गाड़ियाँ यहीं तक आती हैं. गाड़ी जहां आपको छोड़ती है, वहाँ से सीधा रास्ता मैजिक वैली जाता है. मलाणा के इस माइलस्टोन पर पहुँचकर जोश दोगुना हो चुका था. हालाँकि, कई नज़रें मुझपर टिक गई थी. ये सभी मेरे कैमरे को देख रहे थे. अब मेरे साथ लकी भाई थे जो डर रफ़ूचक्कर था और जोश टॉप पर.

अगले ब्लॉग में पढ़िए मलाणा ट्रेक के मेरे अनुभव को… 

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