Singapore Travel, Singapore Journey, Singapore Yatra, Singapore Travel Blog, How to Go Singapore, Singapore to India
अगले दिन फिर सुबह सन राइज देखने के लालच में जल्दी उठ गयी लेकिन आज आसमान में काले बादल उमड़ घुमड़ रहे थे और सूरज के दर्शन होने मुश्किल थे। आज सिंगापोर में मेरा आखिरी दिन था। तो मैं और भी ज्यादा लालची हो गयी थी और हर लम्हे को इस्तेमाल कर लेना चाहती थी। आज भी क्रूज पर करने के लिए ढेर सारी एक्टिविटीज थी। बाहर बारिश हो रही थी। समुन्दर में बारिश गिरते हुए देखना बड़ा सुहाना लग रहा था। क्रूज धीरे धीरे अपनी मंज़िल पर पहुँच रहा था।
सिंगापोर के पास पहुँचते पहुँचते समुन्द्र में टापुओं पर बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज दिखने लगी थी। पूछने पर पता चला कि ये टापू सिंगापोर वासियों ने कूड़े को रीसायकल करके बनाये है। पोर्ट के पास आते आते सेंटोसा को जाने वाली केबल कार भी दिखने लगी थी। सेंटोसा जाते समय मैं इसी केबल कार में बैठ कर गयी थी। ये केबल कार धरती से हज़ारों फ़ीट की ऊंचाई पर चलती हैं और शहर और समुन्द्र के ऊपर से जाती हैं । इनसे नीचे देखने से नीचे चलती गाड़ियां बिलकुल खिलौनों जैसी लगती थी।
अब धीरे धीरे क्रूज को गुड बाय कहने का वक़्त आ गया था। क्रूज से बाहर निकलते हुए भी क्रूज स्टाफ ने बिलकुल हवाई जहाज की तरह अभिवादन किया। अब हमें पोर्ट से अपने कागज़ात और सामान वापिस लेकर एयरपोर्ट के लिए निकलना था। आज 16 तारीख थी। भारत में चुनाव नतीजे आ चुके थे। हम सभी लोग सामान लेने के लिए अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे कि तभी एक व्यक्ति ने चिल्ला कर कहा कि बीजेपी भारी मतों से जीत गयी है। चूँकि वहां ज्यादातर भारतीय गुजरती थे तो सभी में ज़बरदस्त ख़ुशी की लहर दौड़ गयी और ‘नमो नमो’ के नारे लगने लगे।
सामान लेकर हम पोर्ट से दोपहर 1.30 पर बाहर आ गए और हमारी उड़ान रात 8 बजे की थी। हमारे पास 3 घंटे फ्री थे। तो सोचा कि पास के शॉपिंग मॉल में समय बिता लिया जाये। उस शॉपिंग मॉल में एक कपड़ों की दुकान का नाम ‘लालू’ था। वहां मैकडोनाल्ड्स भी था तो सोचा बर्गर खा लिया जाये। रेट पूछे तो दो डॉलर का एक बर्गर था लेकिन जब पूछा कि ये शाकाहारी हैं ना तो पता चला कि इसमें तो बीफ यानी गाय का मांस है। बर्गर खाने का इरादा वहीँ त्याग दिया। ऊपर आइटम लिस्ट पर नज़र डाली तो ध्यान दिया कि वहां मैकडोनाल्ड्स में भारत की तरह वेज – नॉन वेज की कोई अलग से लिस्टिंग थी ही नहीं। वहां सभी कुछ नॉन वेज था। बस एक आइसक्रीम का कप ही वेज था। तो उसी से काम चलाया।
एक घंटा उस मॉल में बिताने के बाद सोचा कि अब एयरपोर्ट चला जाये तो कि अब एयरपोर्ट चला जाये तो टैक्सी स्टैंड आ गए। वहां टैक्सी लेने के लिए लाइन लगी थी । टैक्सी अपने नियत स्थान पर ही रूक रही थी और एक कर्मचारी सभी सवारियों को बारी बारी टैक्सी में बिठा रहा था। हमारा नंबर अभी दूर था लेकिन तभी उस कर्मचारी ने आवाज़ लगाई कि कोई चंगी एयरपोर्ट की सवारी है तो आ जाये। हम लाइन से निकलकर उक्त टैक्सी में बैठ गए। वो टैक्सी वाला टैक्सी शुरू होते ही बोलना शुरू हो गया, पर हाय री किस्मत, टैक्सी वाला तोतला था और बोलने का निहायत शौक़ीन। बस पूरे रास्ते वो बोलता रहा और मैं यस नो करती रही।
अब हम एयरपोर्ट आ गए थे लेकिन अभी भी हमारे पास 5 घंटे का टाइम था और समझ नहीं आ रहा था कि सामान के साथ कहाँ जाये और क्या करे। तभी अचानक एक सूटेड बूटेड सिंगपोरियन ने हमें मदद की पेशकश की। वह एयरपोर्ट पर कस्टमर केयर एक्सिक्यूटिव थे। उन्होंने हमे बताया कि हम अपना सामान एयरलाइन्स वालों के पास जमा करवा कर आराम से एयरपोर्ट पर घूम सकते है। यही नहीं उन्होंने हमें मैप के ज़रिये एयरपोर्ट की सभी देखने लायक जगहों के बारे में समझा दिया। वहां एयरपोर्ट पर भी देखने के लिए बहुत से चीज़े थी। इन सबको देखने में हमारा टाइम कब बीत गया पता भी नहीं चला। एयरपोर्ट पर डस्टबिन भी साफ़ सुथरे और बड़ी सुन्दर सुन्दर शेप के थे और उन पर रीसायकल पॉइंट लिखा था। मैंने सिंगापोर में भी देखा था कि वहां डस्टबिन से कूड़ा उठाने वाले लोग कूड़ा उठाने के बाद डस्टबिन को बाकायदा कपडे से पोंछते थे। एयरपोर्ट पर भी सिंगापोर की तरह खुलेआम सिगरेट पीने की मनाही थी। सिगरेट पीने वालो के लिए अलग से स्मोक रूम्स बने हुए थे।
एयरपोर्ट पर शाकाहारी भोजन के रेस्त्रां भी उपलब्ध थे। वहां पर काउंटर पर खड़े व्यक्तियों ने अपनी कमीज पर एक बैच लगा रखा था जिस पर अंग्रेजी में लिखा था कि वह हिंदी भी बोल सकता है। एक रेस्त्रां में एक अँगरेज़ ‘भारतीय शाकाहारी थाली’ बड़े मज़े ले ले कर हाथ से खा रहा था।
नियत समय पर हम भी अपने विमान में चले गए। विमान में चढ़ने से पहले मैंने हाथ हिला कर सिंगापोर को गुड बाय कहा। वापिस आते समय विमान की काफी सारी सीटें खाली थी। रास्ते भर मौसम भी काफी ख़राब था। रह रह कर बिजली कड़क रही थी और बादल गरज रहे थे। बार बार हमें सीट बेल्ट बांधे रखने का निर्देश मिल रहा था। विमान 900 किलोमीटर की गति से और 12000 मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहा था। सामने लगा स्क्रीन बता रहा था कि मैं कभी लंकावी द्वीप के ऊपर उड़ रही थी तो कभी पेनांग द्वीप के ऊपर से।
धीरे धीरे मेरा भारत नज़दीक आता जा रहा था। विमान जब दिल्ली के ऊपर उड़ रहा था तो मन में घर लौट आने की ख़ुशी हिलोरें मार रही थी। नियत समय पर विमान ने भारत की धरती को चूमा और इस तरह मेरी सिंगापोर की ये 6 दिन की दिलचस्प यात्रा खत्म हुई।
पर मेरा खोजी और घुमन्तु मन कहाँ मानने वाला है। फिर से कर रहा है अगली यात्रा का इंतज़ार
Ragi Cheela : नाश्ते में चीला लोगों की पहली पसंद होता है. ज़्यादातर घरों में… Read More
साल 2025 में चार दिन चलने वाले छठ पर्व का पहला दिन, जिसे नहाय खाय… Read More
सबरीमाला मंदिर भारत के केरल राज्य के पठानमथिट्टा जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र हिन्दू… Read More
Travelling on a budget often feels like a puzzle. You want to cover as much… Read More
नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि या शरद नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। यह… Read More