सिंगापुर डायरी-5: बुर्का पहने चीनी लड़कियां और उनकी CockTail Marriage
अगली सुबह फिर माइक हमे सिटी टूर के लिए लेने आ गया। सिटी टूर के दौरान एक के बाद एक बहुत ही दिलचस्प बाते मेरे सामने आ रही थीं। सिंगापोर का अपना कोई इतिहास नहीं है। वहां की जनसँख्या में लगभग 72% चीनी, 10% भारतीय और बाकी अन्य लोग है। बरसो पहले ये सिर्फ कुछ मछुआरों का गाँव था जो आज इतना उन्नत है। यहाँ की सरकार में दो भारतीय भी है। माइक ने बताया कि यहाँ सरकार में सिर्फ पीएचडी क्वालिफाइड लोग ही स्थान पा सकते है। वहां दो बार भारतीय मूल के लोग राष्ट्रपति रह चुके है। वहां के आर्मी चीफ भी एक भारतीय है। रास्ते में उसने हमे एक रंग बिरंगी खिड़कियों वाली ईमारत दिखाई जिसमे 911 खिड़कियाँ थी।
माइक ने बताया कि ये पहले सिंगापोर पुलिस का हेडक्वाटर था और इसमें 911 खिड़कियां इसलिए है क्योंकि सिंगापोर पुलिस का हेल्पलाइन नंबर 911 था। अब यह ईमारत मिनिस्ट्री ऑफ़ यूथ के पास है। हम वहां सिंगापोर रिवर में रिवर क्रूज पर भी गए। सिंगापोर रिवर को साफ़ करने के लिए वहां की सरकार ने भरसक प्रयास किये है और अब भी उसके रखरखाव का पूरा ध्यान रखा जाता है। नदी में कुछ भी डालना पूरी तरह से मना है। नदी साफ़ तो थी लेकिन फिर भी कुछ गुंजाईश थी। मैंने सोचा कि अगर इस नदी में अभी भी सफाई की गुंजाईश है तो ये नदी कितनी ज्यादा गन्दी होगी और इसे कितना और किस तरह से साफ़ किया गया होगा।
सिंगापोर में मैंने ओब्सर्व किया कि बहुत सी चीनी महिलाओं न बुर्खा पहना था। जब मैंने माइक से इस बारे में पूछा तो उसने कहा कि यहाँ सिंगापोर में ‘कॉकटेल’ शादियां बहुत होती है, जैसे पति मुस्लिम और पत्नी चीनी। जब मैंने पूछा कि क्या ये शादियां लम्बे समय तक निभती है? तो उसने कहा कि बिलकुल निभती हैं। माइक एक ट्रेंड गाइड था। हमारे साथ वैन में दो भारतीय हनीमून कपल भी थे जिन्हे वह ‘हनीमून भैया’ और ‘हनीमून बहना’ कह कर पुकार रहा था।
सिटी टूर के दौरान माइक ने हमें वहां का सरकारी अस्पताल भी दिखाया। जो देखने में किसी 7 स्टार अस्पताल जैसा लगता था। जब मैंने पूछा कि दामिनी को यहीं लाया गया था ना? तो उसने पूछा कि वो ‘डेली रेप केस’। मैंने हाँ कहा तो उसने लापरवाही से मेरी बात अनसुनी कर दी। उसने हमे एक ईमारत दिखाई जिसके बारे में उसने बताया कि यहाँ सरकार द्वारा मामूली किराये पर उन औरतों को रहने की जगह दी जाती है जो सिंगल मदर हैं। फिर उसने पूछा कि क्या भारत सरकार ऐसा कुछ करती है?
सिटी टूर के दौरान मैंने एक से एक नायब इमारतें देखी जो इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना थी। पूरे सिंगापोर में कहीं भी मैंने आवारा कुत्ते या आवारा गाय घूमती नहीं देखी और न ही कहीं कूड़े या मलबे के ढेर लगे देखे। बल्कि वहां हर तरफ हरियाली थी। वहां फ्लाईओवर के पिलर्स पर और पैदल पार पथ के पिलर्स पर भी सुन्दर पत्तों की बेलें चढ़ी हुई थीं। यहाँ तक की कई जगह तो घरों की बालकनियों में भी ज़बरदस्त हरियाली थी और वो गमलों में लगे फूले के पौधे नहीं थे बल्कि कंक्रीट की बालकनी में असली हरियाली थी। वहां मैंने एक ओपन बस भी देखी जो पर्यटकों को सिंगापुर घुमाती है। इसकी खासियत ये थी कि सड़क पर तो ये बस ही थी लेकिन पानी में जाकर ये स्पीड बोट बन जाती थी।
इस दौरान मुझे सिंगापोर फ्लायर पर जाने का भी मौका मिला। ये एशिया का सबसे बड़ा झूला है जो 0.24 मीटर प्रति सेकेंड की मद्धम गति से घूमता है। इससे सिंगापोर शहर का बहुत ही विहंगम दृशय दिखता है। दूर तक देखें तो मलेशिया और इंडोनेशिया भी दिख जाता है। सिंगापोर के किसी भी टूरिस्ट पॉइंट पर एक बात कॉमन थी। यहाँ आप जैसे ही एंट्री करेंगे, एक कैमरामैन आपकी तस्वीर खींच कर आपको एक स्लिप पकड़ा देगा। फिर जैसे ही आप घूम फिर कर लौट कर आएंगे वो आपकी फोटो अपने टीवी स्क्रीन पर आपको दिखा देगा। फिर आप चाहे तो उससे अपना फोटो खरीद लीजिए। सिंगापोर फ्लायर के पास ही एक शेड में पीले रंग की लेम्बोर्गिनी खड़ी थी जो लगभग 27000 रूपये में 15 मिनट चलाने के लिए किराये पर उपलब्ध थी।

सिंगापोर में आप प्राइवेट व्हीकल में तय सीट से ज्यादा सवारी नहीं बिठा सकते। सिर्फ लोकल सिटी बस में ही सवारियों को खडे होकर सफर करने की इज़ाज़त है। उसमे भी मुझे कोई भी बस ऐसी नहीं नज़र आई जो सवारियों से पूरी तरह भरी हो और जिसमें सवारियां बाहर तक लटकी हों। इन बसों में कोई कंडक्टर नहीं था। सिर्फ एक मशीन लगी थी जिस पर कार्ड पंच करेंगे तो आपका टिकट अपने आप कट जायेगा। इसके आलावा मेट्रो भी थी जिसे वहां एमआरटी कहते है।
दोपहर बाद हम सेंटोसा गए। ये समुन्दर किनारे बसा एक थीम पार्क था जिसमे नए नए तरह के राइड्स थे और 4 डी मूवीज थी। यहाँ एक अंडर वाटर ट्यूब टनल भी थी जिसमे बहुत ही यूनिक समुंद्री जीव देखे जा सकते थे। साथ ही यहाँ कुछ बीच भी थे। ये बीच बहुत ही साफ़ थे लेकिन फिर भी माइक ने हमे यहाँ के बीच पर नहाने से मना किया था।
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