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Surajkund Mela 2025 : फरीदाबाद में इस तारीख से शुरू होगा सूरजकुंड मेला 2025, जानें थीम, टिकट की कीमतें और बहुत कुछ

Surajkund Mela 2025 : सूरजकुंड शिल्प मेला अपने 38वें वर्जन के साथ वापस आ गया है. यह वार्षिक मेला दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा मेला है, सूरजकुंड मेला दस लाख से ज़्यादा टूरिस्ट को आकर्षित करता है – नेशनल और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के पर्यटक यहां आते हैं. यह हर साल सूरजकुंड में हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाता है. इस मेले में हर उम्र के पर्यटकों के लिए कई अनोखे आकर्षण हैं. दक्षिण एशिया, अफ्रीका और यूरोप के 20 से ज़्यादा देश इस मेले में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं – जिससे यह एक बड़ी सफलता बन जाती है.

सूरजकुंड मेला 2025 की तिथि एवं समय || Surajkund Mela 2025 date and time

सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 2025 हरियाणा के फरीदाबाद जिले के सूरजकुंड में 7 फरवरी से 23 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा. मेला सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहेगा. सप्ताह के दिनों में आने का प्रयास करें, क्योंकि वीकेंड में भीड़ अधिक होगी. मेला परिसर काफी बड़ा और थका देने वाला हो सकता है, इसलिए आरामदायक जूते पहनें. अपनी आवश्यकता के अनुसार पानी की बोतल और कैश साथ रखें.

सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय मेले में कैसे पहुंचे || How to reach Surajkund International Fair

दिल्ली से फरीदाबाद जाने के लिए आप मेट्रो से जा सकते हैं. इसके लिए सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन बदरपुर (वायलेट लाइन) है. वहां से आप ऑटो या कैब के ज़रिए मेला स्थल तक पहुंच सकते हैं. सड़क मार्ग से दिल्ली से सूरजकुंड की दूरी करीब 23 किलोमीटर है, जिसे निजी वाहन या बस से तय किया जा सकता है. दिल्ली, गुड़गांव और फरीदाबाद से हरियाणा रोडवेज और डीटीसी की बसें उपलब्ध हैं, जो आपको मेला स्थल तक पहुंचाएंगी.

सूरजकुंड मेला 2025 की टिकट कीमतें || Surajkund Mela 2025 Ticket Prices

सूरजकुंड में प्रवेश टिकट सप्ताह के दिनों में 120 रुपये और वीकेंड यानी शनिवार और रविवार को 180 रुपये प्रति व्यक्ति है. टिकट दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) के सारथी ऐप के ज़रिए बुक किए जा सकते हैं. ऑनलाइन के लिए आप दिल्ली मेट्रो स्टेशनों पर विशेष काउंटर और मेला स्थल पर टिकट काउंटर से टिकट प्राप्त कर सकते हैं.

ओडिशा और मध्य प्रदेश दो थीम राज्य हैं || Odisha and Madhya Pradesh are the two theme states

रामचंद्रन ने कहा कि यह हरियाणा राज्य के लिए गर्व की बात है कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर के मेले के आयोजन की जिम्मेदारी को प्रभावी ढंग से निभा रहे हैं. इस बार मेले में ओडिशा और मध्य प्रदेश दो थीम राज्य होंगे. वहीं, बिम्सटेक संगठन से जुड़े देशों बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड को भागीदार देश बनाया गया है. नॉर्थ ईस्ट हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट एसोसिएशन मेले का सांस्कृतिक भागीदार है.

दिल्ली मेट्रो भी टिकटिंग पार्टनर होगी. सूरजकुंड मेला पूरी तरह से डिजिटल होगा. उन्होंने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में सूरजकुंड मेले को भव्य रूप से मनाने के लिए सभी तैयारियां प्रभावी ढंग से की जा रही हैं. अधिकारियों के साथ बातचीत में प्रधान सचिव ने मेले के लिए किए जाने वाले प्रबंधों के बारे में विभागीय स्तर पर सभी अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए, उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य में आयोजित होने वाला यह सूरजकुंड मेला आज विश्व स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है, इसलिए हमें पूरी जिम्मेदारी के साथ मेले के सफल आयोजन में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी.

सूरजकुंड मेला का इतिहास || History of Surajkund Mela

 

सूरजकुंड 10वीं शताब्दी का एक प्राचीन जलाशय है. यह दक्षिणी दिल्ली से लगभग 8 किमी (5 मील) दूर हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर में अरावली पर्वतमाला के दक्षिणी दिल्ली रिज पर स्थित है. सूरजकुंड (शाब्दिक रूप से ‘सूर्य की झील’) एक कृत्रिम कुंड है (‘कुंड’ का अर्थ है “झील” या जलाशय) जो अर्धवृत्ताकार रूप में निर्मित एक अखाड़े के आकार के तटबंध के साथ अरावली पहाड़ियों की पृष्ठभूमि में बनाया गया है. ऐसा कहा जाता है कि इसे 10वीं शताब्दी में तोमर राजपूत वंश के राजा सूरजपाल ने बनवाया था.

दिल्ली के राजपूत शासक अनंगपाल तोमर के छोटे बेटे तोमर एक सूर्य उपासक थे और इसलिए उन्होंने इसके पश्चिमी तट पर एक सूर्य मंदिर बनवाया था. सूरजकुंड अपने वार्षिक मेले “सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला” के लिए जाना जाता है, इस मेले के 2015 संस्करण में 1.2 मिलियन आगंतुकों ने भाग लिया था, जिसमें 160,000 विदेशी शामिल थे और इसमें 20 से अधिक देशों ने भाग लिया था.

पश्चिम में मंगर बानी से लेकर उत्तर-पूर्व में तुगलकाबाद तक सूरजकुंड के चारों ओर 43 पुरापाषाण स्थल (100,000 ईसा पूर्व) हैं, जिनमें रॉक आर्ट और माइक्रोलिथिक पत्थर के औजार हैं.

यह सरिस्का टाइगर रिजर्व से दिल्ली तक फैले उत्तरी अरावली तेंदुआ वन्यजीव गलियारे के भीतर एक महत्वपूर्ण जैव विविधता वाला क्षेत्र है. सेंचुरी के आसपास के ऐतिहासिक स्थल हैं बड़खल झील (6 किमी उत्तर पूर्व), अनंगपुर बांध (16 किमी उत्तर), दमदमा झील, तुगलकाबाद किला और आदिलाबाद खंडहर (दोनों दिल्ली में), छतरपुर मंदिर (दिल्ली में) यह फरीदाबाद के पाली-धुज-कोट गांवों में मौसमी झरनों पवित्र मंगर बानी और असोला भट्टी Wildlife Sanctuary से सटा हुआ है. इस क्षेत्र में और इसके आस-पास परित्यक्त खुली खदानों में कई दर्जन झीलें बनी हैं.  सूरजकुंड तेंदुए के आवास के अंदर आता है.

पंजाब के सुनाम में ‘सूरज कुंड’ के नाम से एक और ‘कुंड’ मौजूद था, जिसे महमूद गजनवी या तैमूर लेन ने लूट लिया था, जिसके परिणामस्वरूप अब यह खंडहर में पड़ा हुआ है.

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