सेठ चुन्नामल हवेली (Chunnamal Haveli): दीवार पर आज भी 1864 वाली उर्दू लिखी है!
लाल किला (Red Fort) , जिसे हमने आपने सुना खूब है, कईयों ने देखा भी होगा. कभी भीतर जाकर तो कभी पंद्रह अगस्त के दिन प्रधानमंत्री को वहीं से भाषण देते हुए. अब इसी लाल किले के सामने जो चांदनी चौक है न उसी की भीड़ भाड़, ट्रैफिक, चिल्ल पौं करते हॉर्न हम सभी के सिर में आज दर्द कर देते हैं. लेकिन अगर आप गौर करें तो ये चांदनी चौक कई बेशकीमती नगीने आज भी अपने में समेटे हुए हैं. अब आप कहेंगे ये तो हम बचपन से सुनते सुनते बड़े हो गए, आपके पास नया क्या है, मेरे भाई, इस चांदनी चौक में नया तो कुछ नहीं है, होगा भी कैसे, सदियों की कहानी जो इसके हर कदम पर बिखरी हुई है, हां… यही पुरानापन इसका स्वर्णजड़ित गुंबद है, जिसे हर हिंदुस्तानी को पास से, करीब से, नजदीक जाकर, ठहराव और लंबी सांस लेकर, वक्त निकालकर जरूर देखकर जहन में उतार लेना चाहिए.
अब जरा पॉइंट पर आता हूं. मैं 24 सितंबर 2019 को चांदनी चौक गया. मेरा उद्देश्य था कि पहले माइक लूंगा, फिर धरमपुरा हवेली (Dharampura Haveli) जाउंगा, और फिर भटकते भटकते कुछ और हवेलियां. जिन हवेलियों के नाम मैंने लिखकर स्थानीय जनता वाया गूगल मैप चलने का प्लान बनाया था, उनके नाम थे… बेगम समरू की हवेली, हक्सर हवेली, नमक हराम हवेली, चुन्नामल की हवेली, मिर्जा गालिब की हवेली और बिहारी लाल की हवेली.
मैं सबसे पहले कैमरा मार्केट में गया, जहां मेरी माइक खरीदने की कोशिश नाकाम साबित हुई. इसके बाद मैं चल पड़ा धरमपुरा की हवेली की तरफ. मन तो था कि मैं इस हवेली के हर हिस्से को कैमरे में उतारकर ज्ञान से भरा ऐसा वॉइस ओवर दूंगा की मेरी ही बांछे खिल जाएंगी लेकिन वहां के मैनेजमेंट से मायूसी हाथ लगी. मुझे वहां जाकर पता चला कि शूट की कीमत ढाई लाख रुपये है. अब या तो ये मजाक था, या ना कहने का टेढ़ा बहाना. मैं हवेली देखकर वाह करना चाह रहा था लेकिन मैनेजमेंट ने मुझे आह करने पर मजबूर कर दिया.
इसके बाद मैं गूगल मैप पर आ गया. मैंने टाइप किया चुन्नामल हवेली (Chunnamal Haveli) और दिखाए जा रहे रास्ते पर आगे बढ़ने लगा. चलते चलते मैं परांठे वाली गली पहुंचा. वहां जाकर स्टार्स की तस्वीरों से सजे होटल देखे तो मन किया क्यों न खा ही लिया जाए. एक रेस्टोरेंट में बैठा. हालांकि सच कहूं तो न परांठे अच्छे थे, न सब्जियां. इससे अच्छा स्वाद तो मुझे घर पर बने परांठों में मिल जाता है. खैर, नाम बड़े और दर्शन छोटे. पेट भरकर मैं आगे बढ़ चला. गूगल मैप गलियों से होते हुए मुझे मुख्य रास्ते पर ले आया और फिर आया मेरा गंतव्य, जो था चुन्नामल हवेली (Chunnamal Haveli).
हवेली को दूर से देखकर ही मैं समझ गया था कि यही चुन्नामल हवेली (Chunnamal Haveli) होगी. पास गया तो मुख्य दरवाजे के पास संतोष सिंह नाम के शख्स मिले जो हवेली के दरवाजे पर ही थे. मैंने उनसे अंदर जाने की अनुमति मांगी तो उन्होंने कहा कि आप हवेली के मालिकों से पहले बात कर लीजिए. उन्होंने मुझे बताया कि गूगल पर मुझे हवेली (Chunnamal Haveli) मालिक श्री अनिल प्रसाद जी का नंबर मिल जाएगा. मैंने अनिल प्रसाद जी को इससे पहले कई वीडियोज, डॉक्यूमेंट्री में देखा था, सो मैंने उन्हें नंबर मिला दिया. अनिल जी को मैंने अपना परिचय दिया. मेरी बात सुनते ही अनिल जी ने तुरंत कहा कि आप ऊपर आ जाइए. बस फिर क्या, मैंने खुद को तैयार किया और चल दिया हवेली के अंदर. तैयार का मतलब मेकअप से कतई मत समझिएगा. तैयार का मतलब अनिल जी से पूछे जाने वाले सवाल थे.