Shaheddi Park : शहीदी पार्क, भारत का पहला आउटडोर म्यूजियम , दिल्ली में खुला: जानें टिकट की कीमतें और कैसे पहुचें
दिल्ली में Shaheedi Park Outdoor Museum MCD ने साढ़े चार एकड़ के एरिया में तैयार किया है… यहां एक एम्फिथिएटर भी है… कभी एक खुला पार्क हुआ करता था, लेकिन एमसीडी की योजना ने यहां की तस्वीर को बदल डाला… इस स्थान पर रखी गई कलाकृतियाँ आपको भारत के प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास की झलक दिखाती हैं… इस पार्क को ‘वेस्ट टू आर्ट’ थीम पर तैयार किया गया है. इसे 10 कलाकारों और लगभग 700 कारीगरों ने छह महीने के कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया है. इसमें लगभग 250 टन कबाड़ का इस्तेमाल किया गया है.
ये पार्क भारत के राष्ट्रीय नायकों को समर्पित है और इसमें उन महान व्यक्तित्वों की झलक दिखाई गई है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए अलग-अलग कालखंडों में अपना बलिदान दिया है. पार्क देश की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करने वाले अनेक आकर्षणों से भरा हुआ है. पार्क में सुंदर आकृतियाँ, कलात्मक स्थापत्य और स्मारक भी बनाए गए हैं, जो उन महत्वपूर्ण घटनाओं और ऐतिहासिक कालों को समर्पित हैं जिन्होंने हमारे देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाई. पार्क में लगभग 56 हजार पेड़ हैं.
थीम और डिज़ाइन की बात करें तो, शहीदी पार्क के हर कोने में कोई न कोई वीर पुरुष या महिला की प्रतिमा लगी है — जैसे भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, रानी लक्ष्मीबाई, सुभाषचंद्र बोस, महात्मा गांधी, अशफाकुल्ला खान, और अन्य कई शहीदों की मूर्तियाँ… इन मूर्तियों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वे कबाड़ धातुओं से बनी होने के बावजूद भावनात्मक और जीवंत लगती हैं.
आप यहां प्रवेश करते ही प्राचीन भारत के विद्वानों के बारे में जानते हैं, जैसे भास्कराचार्य, वराहमिहिर, आर्यभट्ट, पतंजलि जैसे आविष्कारक और ऋषियों के बारे में… यहां सबसे दिलचस्प है भारत माता की प्रतिमा… ये जगह एक सेल्फी पॉइंट भी है.
Main Attractions की बात करें तो भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की मूर्ति— देशभक्ति की भावना को दर्शाती सबसे प्रमुख प्रतिमा है। ये प्रतिमा म्युजियम बनने से पहले भी यहां पर थी. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई — घोड़े पर सवार मूर्ति, जिसमें वे अपने बेटे को पीठ पर बांधकर वीरतापूर्वक तलवार थामे हुए हैं। सुभाष चंद्र बोस का भाषण देते हुए पोज़— आज़ादी के जज़्बे का प्रतीक है। अशफाक उल्ला खान और रामप्रसाद बिस्मिल — हिन्दू-मुस्लिम एकता का सशक्त संदेश देते हैं। चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा, जो आज भी उनकी शहादत के आखिरी पलों को दर्शाती है. शहीद स्मारक दीवार — जिसमें देशभर के शहीदों के नाम उकेरे गए हैं…
यहां भारतीय सेना के वीर सपूतों की प्रतिमा भी है, खासतौर से परमवीर चक्र से सम्मानित वीर नायकों की प्रतिमाएं… इसके अलावा चापेकर बंधु, वीर दामोदर सावरकर, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी, खुदीराम बोस, राजा राममोहन रॉय की प्रतिमा भी यहां है… अहोम विद्रोह को दिखाती प्रतिमा, 1857 क्रांति के नायक मंगल पांडे, की भी प्रतिमा यहां है…
इन मूर्तियों के आसपास खूबसूरत लैंडस्केपिंग, गार्डन, और वॉकिंग ट्रैक्स बनाए गए हैं, ताकि ये जगह परिवारों और बच्चों के लिए एक शिक्षाप्रद और मनोरंजक स्थल बन सके.
शहीदी पार्क का निर्माण इस सोच के साथ किया गया है कि Waste to Wonder बनाया जा सकता है। यहाँ इस्तेमाल किया गया हर टुकड़ा किसी पुराने औद्योगिक या वाहन के हिस्से से लिया गया है। इस तरह यह पार्क पर्यावरण संरक्षण, recycling, और कला को एक साथ जोड़ता है. इसकी प्रेरणा दिल्ली के पहले Waste to Wonder Park और Bharat Darshan Park से ली गई है, लेकिन शहीदी पार्क को शहीदों को समर्पित थीम के साथ बनाया गया है, जो इसे अनोखा बनाता है।
यह पार्क बच्चों के लिए एक ओपन म्यूज़ियम की तरह है, जहाँ वे न केवल भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में सीखते हैं बल्कि ये भी देखते हैं कि कैसे कचरे से कला बनाई जा सकती है. यहाँ इंटरैक्टिव ज़ोन, सेल्फी पॉइंट्स, और आर्ट इंस्टॉलेशन्स हैं, जो इसे बच्चों और युवाओं दोनों के लिए आकर्षक बनाते हैं।
इस पार्क में अगर आप घूमने का प्लान बनाएं, तो जान लें कि ये दिनभर खुला रहता है. सोमवार और गजटेड हॉलिडेज पर ये पार्क बंद रहता है. बात करें टिकट की, तो
बड़ों के लिए यहां की टिकट है सौ रुपए और बच्चों के लिए पचास रुपए… आप यहां पहुंचने के लिए… आईटीओ मेट्रो स्टेशन आएं… वहां से पैदल आप यहां तक आ सकते हैं… आप यहाँ बस, ऑटो या कैब से भी आसानी से पहुँच सकते हैं.
शहीदी पार्क दिल्ली का एक ऐसा स्थल है जहाँ देशभक्ति, कला और पर्यावरण — तीनों का संगम देखने को मिलता है। ये न सिर्फ़ देखने लायक जगह है बल्कि बच्चों और युवाओं के लिए सीखने की प्रेरणा भी देता है कि कैसे हम अपने इतिहास, संस्कृति और प्रकृति — तीनों की रक्षा कर सकते हैं।
पार्क में प्रवेश के लिए वयस्कों का टिकट ₹100 और बच्चों का टिकट ₹50 रखा गया है। जल्द ही ऑनलाइन टिकट बुकिंग सुविधा भी शुरू की जाएगी। पार्क में प्रवेश बहादुर शाह जफर मार्ग से होगा। आगंतुक अपने वाहनों को कोटला किले के सामने वाली सड़क पर निर्धारित पार्किंग स्थल में खड़ा कर सकेंगे।
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